Friday, March 29, 2024

दुनिया की सेलिब्रिटीज ने बुलंद किया किसानों के पक्ष में झंडा

मोदी सरकार के नये कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 70 दिनों से जारी किसानों के ऐतिहासिक आंदोलन से न सिर्फ मोदी सरकार घबराई हुई है बल्कि बीजेपी शासित राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों की नींद उड़ी हुई है। इतना ही नहीं बिहार में जहां बीजेपी-जेडीयू की गठबंधन में कथित सुशासन बाबू नीतीश कुमार सत्ता सुख भोग रहे हैं उनकी भी नींद उड़ चुकी है। इसी का परिणाम है किसानों पर बीजेपी-आरएसएस की अगुवाई में किसानों पर हमले, फ़र्जी मुकदमे, गिरफ्तारी। इतना ही नहीं इन साजिशों का खुलासा करने वाले निष्पक्ष और साहसिक पत्रकारिता को कुचलने के लिए भी सरकारी आदेश पर पत्रकारों का दमन और अंकुश लगाने का प्रयास लगातार जारी है।

इसी क्रम में दिल्ली की सीमाओं पर जहां लाखों किसान डटे हुए हैं वहां पर किसी अंतर्राष्ट्रीय सीमा से अधिक फेंसिंग, इंटरनेट पर पाबंदी और भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गयी है, वहीं उत्तराखंड सरकार ने किसान आंदोलन के समर्थन में अपनी आवाज उठाने वालों को सजा देने के लिए सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर पासपोर्ट वेरीफिकेशन की धमकी दी है। तो नीतीश कुमार ने विरोध करने वालों को सरकारी नौकरी के अयोग्य करार देने की धमकी दी है।

किसान आंदोलन में बीते ढाई महीनों में अब तक करीब 200 किसान शहीद हो चुके हैं, जिनमें कई आत्महत्याएं भी शामिल हैं। किसान मोर्चा के अनुसार बीते 26 जनवरी को करीब 30 युवा किसान दिल्ली से लापता हैं।

किसानों के आंदोलन को कुचलने के सरकार और पुलिस प्रशासन के तमाम प्रयासों को शांतिपूर्ण तरीकों से पछाड़ते हुए यह आंदोलन अब और मजबूत हो गया है और इस विरोध के समर्थन में लोगों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।

किसानों के आंदोलन ने अब फिर से एक बार अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां पा ली है। इसका कारण है अमेरिकी पॉप सिंगर रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा किसान आंदोलन को समर्थन देना। सबसे पहले पॉप आइकॉन रिहाना ने किसान आंदोलन पर CNN की एक रिपोर्ट को ट्वीट कर लिखा, हम इस बारे में बात क्यूं नहीं कर रहे हैं?

इसके बाद मॉडल और एक्ट्रेस अमांडा सर्नी ने अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा- पूरी दुनिया देख रही है। इस मुद्दे को समझने के लिए आपका भारतीय, पंजाबी या साउथ एशियन होना जरूरी नहीं। बस आपको इंसानियत की परवाह होनी चाहिए। हमेशा प्रेस की आज़ादी, अभिव्यक्ति की आज़ादी, बेसिक ह्यूमन और सिविल राइट्स की मांग करें।

वहीं, एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने इंटरनेट बंद किये जाने की सीएनएन की खबर को साझा करते हुए ट्वीट कर लिखा -हम इंडिया में चल रहे किसान आंदोलन के साथ एकजुट होकर खड़े हैं।

यह पहली बार नहीं हुआ, इससे पहले कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन के सांसदों में भारतीय किसानों के आंदोलन के पक्ष में आवाज उठ चुकी है। जिस पर भारत सरकार ने अपने आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप कह कर कड़ा ऐतराज जाहिर किया था विशेषकर कनाडा के प्रधानमंत्री द्वारा किसान आंदोलन के समर्थन की घोषणा के बाद मोदी सरकार और विदेश मंत्रालय ने नाखुशी जाहिर की थी।

यहां भारत सरकार की आपत्ति सही भी है। किन्तु यह आंदोलन अब केवल देश का आंतरिक राजनीतिक मामला न रह कर मानवाधिकार का मामला बन चुका है।

गौरतलब है कि हर देश का अपना आंतरिक मसला होता है और किसी भी देश को किसी अन्य आजाद देश के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए, न ही कोई कमेंट करना चाहिए। किन्तु अमेरिका में वाशिंगटन डीसी में कैपिटल हॉल पर पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प के समर्थकों द्वारा हमले के बाद भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने भी तो चिंता व्यक्त की थी।

उसी अमेरिका के वाइस प्रेसिडेंट की भांजी और लॉयर मीना हैरिस ने ट्वीट कर लिखा-ये कोई इत्तेफाक की बात नहीं है कि कुछ दिन पहले दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र पर हमला हुआ और अभी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर हमला जारी है। ये जुड़े हुए हैं। हम सब को इंडिया में चल रहे इंटरनेट शटडाउन और किसानों के विरुद्ध मिलिट्री की हिंसा पर गुस्सा आना चाहिए।

वहीं, मॉडल और एक्ट्रेस अमांडा सर्नी ने अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया- पूरी दुनिया देख रही है। इस मुद्दे को समझने के लिए आपका भारतीय, पंजाबी या साउथ एशियन होना जरूरी नहीं। बस आपको इंसानियत की परवाह होनी चाहिए। हमेशा प्रेस की आज़ादी, अभिव्यक्ति की आज़ादी, बेसिक ह्यूमन और सिविल राइट्स की मांग करें।

एक्टिविस्ट वेनेसा नकाते ने किसानों के सपोर्ट में सीरीज़ में ट्वीट किए। उन्होंने लिखा है कि किसान पूरी दुनिया के अन्नदाता हैं। उनके लिए लड़िए। उन्हें बचाइए। 

केन्या की एक्टिविस्ट एलिज़ाबेथ व्यूथी ने भी ट्वीट कर किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए लिखा है कि, भारत को अपने इकनॉमिक फ़ायदे से ऊपर अपने नागरिकों के हित के लिए सोचना चाहिए। मैं किसान आंदोलन के साथ एकजुट होकर खड़ी हूं।

उन्होंने एक और ट्वीट में लिखा है- पूरी दुनिया को इंडिया में चल रहे किसान आंदोलन पर चुप नहीं रहना चाहिए। हज़ारों-लाखों किसान पड़ोसी राज्यों से चलकर दिल्ली पहुंचे हैं, उन कानूनों का बहिष्कार करने जिनसे छोटे किसानों को नुकसान होगा और बड़े उद्योगपतियों को फ़ायदा।

इसी क्रम में अमेरिकन क्लाइमेट एक्टिविस्ट जेमी मारगोलिन ने ट्वीट कर लिखा है-यह बहुत ज़रूरी है कि इंटरनेशनल कम्युनिटी किसान आंदोलन के साथ एकजुट होकर खड़ी हो। प्लीज़ इंडिया में चल रहे किसान आंदोलन को सपोर्ट कीजिए।

मानवीय अधिकारों के हनन के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली संस्था ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ ने भी ट्वीट किया है। ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ ने रिहाना के ट्वीट को साझा करते हुए लिखा है- भारतीय प्रशासन को उन एक्टिविस्ट और अन्य लोगों को रिहा कर देना चाहिए जिनके खिलाफ राजनैतिक मंशा के तहत केस दर्ज किए गए हैं। ना कि उस लिस्ट में और नाम जोड़ने चाहिए।

‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ ने एक और ट्वीट में लिखा है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी हिंदू राष्ट्रवादियों के एजेंडे पर काम करते हुए अभिव्यक्ति की आज़ादी पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रहे हैं।

वहीं किसान आंदोलन के समर्थन में विदेशी हस्तियों द्वारा हैशटैग चलाकर ट्वीट किये जाने के सवाल पर भारत सरकार के पक्ष ने कहा कि यह देश का आंतरिक मामला है।

इधर भारत सरकार ने साफ कहा है कि सनसनीखेज सोशल मीडिया हैशटैग और कमेंट्स से लुभाने का तरीका न तो सही है और न ही यह जिम्मेदाराना है। विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, भारत की संसद ने चर्चा के बाद कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए कानून पास किए थे। ये कानून किसानों को बड़ा बाजार मुहैया कराएंगे और उनके लिए अपनी फसल बेचना पहले से आसान होगा। ये कानून पारिस्थितिक और आर्थिक रूप से स्थायी खेती का रास्ता भी साफ करते हैं।

भारत के किसानों के एक छोटे से हिस्से के मन में कानूनों को लेकर कुछ संशय हैं। उनकी भावनाओं का ध्यान रखते हुए भारत सरकार ने उनके प्रतिनिधियों के साथ कई दौर की वार्ताएं की। केंद्रीय मंत्री बातचीत में शामिल हुए और 11 दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं। सरकार ने यहां तक कि कानूनों को रोकने का भी प्रस्ताव दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह प्रस्ताव दोहराया भी।’

(पत्रकार नित्यानंद गायेन की रिपोर्ट।)

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