Saturday, April 20, 2024

किताब को पाठ्यक्रम में बनाए रखने के लिए लड़ना मेरा कर्तव्य नहीं: अरुंधति रॉय

नई दिल्ली।(मशहूर लेखिका अरुंधति रॉय की किताब ‘वाकिंग विद द कॉमरेड्स’ को तमिलनाडु के मनोमणियम सुंदरानर विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह फैसला संघ से जुड़े संगठन विद्यार्थी परिषद के दबाव में लिया है। तमिलनाडु समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में इसका विरोध शुरू हो गया है। तमिलनाडु के विपक्षी दलों ने प्रशासन के इस फैसले पर कड़ा एतराज जाहिर किया है। इस मसले पर खुद अरुंधति रॉय ने एक बयान जारी किया है। पेश है उनका पूरा बयान-संपादक)

जब मैंने विद्यार्थी परिषद के दबाव और धमकी के बाद अपनी किताब ‘वाकिंग विद द कॉमरेड्स’ के मनोमणियम सुंदरानर विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम से हटाए जाने के बारे में सुना तो- बेहद आश्चर्यजनक तौर पर दुखी होने की जगह मैं बहुत खुश हुई। क्योंकि मुझे तो पता ही नहीं था कि यह पाठ्यक्रम में है। मुझे प्रसन्नता है कि यह बहुत सालों से पढ़ाई जा रही थी। इस बात को लेकर कि इसे पाठ्यक्रम से निकाल दिया गया है, मुझे थोड़ा भी झटका या आश्चर्य नहीं हुआ है। एक लेखक के तौर पर उसे लिखना मेरा कर्तव्य था। एक विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में उसको बनाए रखने के लिए लड़ना मेरा कर्तव्य नहीं है। ऐसा करने या फिर न करने की जिम्मेदारी दूसरों की है।

बहरहाल इसे व्यापक तौर पर पढ़ा गया है और जैसा कि हम जानते हैं पाबंदियां लेखकों को पढ़े जाने से नहीं रोक पाती हैं। हमारी मौजूदा सत्ता के द्वारा साहित्य के प्रति प्रदर्शित यह संकीर्ण, छिछला, असुरक्षात्मक रवैया केवल अपने आलोचकों के लिए नुकसानदायक नहीं है बल्कि यह उसके अपने लाखों समर्थकों के लिए भी नुकसानदेह है। यह हमारी सामूहिक बौद्धिक क्षमता को सीमित और बाधित कर देगी जिसके लिए एक समाज और देश के तौर पर हम सम्मान और स्वाभिमान का एक स्थान हासिल करने के लिए पूरी दुनिया में प्रयासरत हैं। 

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है

भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।

ग्राउंड रिपोर्ट: रोजी-रोटी, भूख, सड़क और बिजली-पानी राजनांदगांव के अहम मुद्दे, भूपेश बघेल पड़ रहे हैं बीजेपी प्रत्याशी पर भारी

राजनांदगांव की लोकसभा सीट पर 2024 के चुनाव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल और वर्तमान सांसद संतोष पांडेय के बीच मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। मतदाता सड़क, पानी, स्वास्थ्य, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को प्रमुखता दे रहे हैं, जबकि युवा बेरोजगारी और रोजगार वादों की असफलता से नाराज हैं। ग्रामीण विकासपरक कार्यों के अभाव पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।

Related Articles

अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है

भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।

ग्राउंड रिपोर्ट: रोजी-रोटी, भूख, सड़क और बिजली-पानी राजनांदगांव के अहम मुद्दे, भूपेश बघेल पड़ रहे हैं बीजेपी प्रत्याशी पर भारी

राजनांदगांव की लोकसभा सीट पर 2024 के चुनाव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल और वर्तमान सांसद संतोष पांडेय के बीच मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। मतदाता सड़क, पानी, स्वास्थ्य, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को प्रमुखता दे रहे हैं, जबकि युवा बेरोजगारी और रोजगार वादों की असफलता से नाराज हैं। ग्रामीण विकासपरक कार्यों के अभाव पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।