बनारस। काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के सुंदरीकरण के बाद अस्सी घाट के पास जगन्नाथ कॉरिडोर बनाने की योजना फिलहाल खटाई में पड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रचार में नगवां इलाके में कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव के कड़े विरोध के बाद प्रशासन बैकफुट पर आ गया। नागरिकों के कड़े विरोध को देखते हुए बनारस के एसडीएम सदर ने भवनों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई रोकने का निर्देश दिया है। साथ ही बनारस सदर तहसील के उप जिलाधिकारी सार्थक अग्रवाल ने अपने 09 फरवरी 2024 के आदेश को स्थगित कर करते हुए इस मामले में सुनवाई की अगली तिथि 12 जून 2024 मुकर्रर की है।
जगन्नाथ कॉरिडोर का मामला तब सुर्खियों में आया जब जनचौक ने समूचे मामले की गहन छानबीन के बाद एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की। विस्तृत रिपोर्ट छपने के बाद प्रशासन बैकफुट पर आ गया। दरअसल, नगवां और अस्सी इलाके के लोगों ने जगन्नाथ कॉरिडोर के मुद्दे पर लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को घेरने की योजना बनाई थी। मोदी के विरोध में प्रचार करने के लिए कमेटी गठित की गई थी। प्रशासन के नए पैंतरे पर पीड़ित परिवारों को भरोसा नहीं है। इन्हें लगता है कि एसडीएम सदर सार्थक अग्रवाल कभी भी स्थानादेश रद्द कर सकते हैं और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कभी भी शुरू की जा सकती है।
जान दे देंगे, जमीन नहीं देंगे
जगन्नाथ कॉरिडोर के विरोध की कमान संभाल रहे वरिष्ठ पत्रकार जयनारायण मिश्र कहते हैं, “अफसरों की नीयत साफ नहीं है। अगर सरकार और प्रशासन सचमुच नागरिकों को राहत देना चाहते हैं तो जगन्नाथ कॉरिडोर को रद्द करने का एलान करें। मोदी खुद ऐलान करें कि जिन लोगों के पास पुरानी रजिस्ट्रियां हैं उनके घरों पर बुल्डोजर नहीं चलाया जाएगा। हमें कारिडोर पर एतराज नहीं है। हमारा विरोध प्रशासन की उन नोटिसों पर है जो नगवां इलाके के 350 से अधिक मकानों को खाली करने के लिए दी गई थी।”

पत्रकार जयनारायण यह भी कहते हैं, “जगन्नाथ कॉरिडोर योजना सालों से नगवां इलाके में रह रहे लोगों को उजाड़ने वाली योजना है। हम जान दे देंगे, लेकिन जमीन नहीं देंगे। जिस स्थान पर हमारी जमीन है उसे हमारे पूर्वजों ने विधिवत रजिस्ट्री कराई है। छद्म नाम के व्यक्ति और फर्जी अभिलेखों के आधार पर बड़ी तादाद में लोगों को बेघर करने की योजना है। हमें जमीन में गाड़ दें और उसके बाद हमारे मकानों को बुल्डोजर से ढहा दें। हम जान दे देंगे, पर अपना मकान नहीं छोड़ेंगे।”
बनारस के अस्सी के पास मोदी-योगी सरकार ने गुपचुप तरीके जगन्नाथ कॉरिडोर बनाने की योजना बनाई है। अस्सी और नगवा इलाके के करीब 350 घरों पर सरकारी मुलाजिमों ने लाल निशान लगा दिया है। प्रशासन के इस फ़ैसले से हजारों लोग आहत हैं। खासतौर पर वो लोग जो अपने पुराने काशी की गलियों वाले रहन-सहन और खान-पान की संस्कृति को नष्ट होता नहीं देख पा रहे हैं। जगन्नाथ कॉरिडोर के लिए जिन लोगों के मकानों को खाली करने का हुक्म दिया गया है वो काफी चिंतित, असहज और काफी गुस्से में हैं।
आनन-फानन में मिला स्टे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 मई 2024 को रोड शो करने बनारस आए थे। मंगलवार को उन्हें यहां अपना नामांकन-पत्र दाखिल करना है। बनारस के नगवां इलाके के लोग आंदोलित हैं, यह खबर उन तक न पहुंचे, इससे पहले ही एसडीएम सदर सार्थक अग्रवाल ने मामले की सुनवाई करने के बाद स्थनादेश जारी कर दिया। एसडीएम ने वाद संख्या 12812/2024 राघवेंद्र पांडेय बनाम अन्य बनाम प्रेमनारायण पर सुनवाई करते हुए नया आदेश पारित किया। एसडीएम ने अपने आदेश में हाईकोर्ट की एक याचिका का हवाला देते हुए कहा है कि अराजी नंबर 3302 और 3303 के काश्तकारों को किसी तरह की नोटिस निर्गत नहीं की गई थी। यह आदेश एकपक्षीय और मानवाधिकार के खिलाफ था। इस आधार पर पूर्व आदेश को स्थगित करने का अनुरोध किया गया। पत्रावली का अवलोकन करने के बाद सीपीसी के नियम 39 (1) के क्रम में न्याहित में 9 फरवरी 2024 के आदेश को स्थगित किया जाता है। इस मामले की अगली सुनवाई 12 जून 2024 को होगी।

जगन्नाथ कॉरिडोर के लिए मकान खाली करने हेतु जिन लोगों को नोटिसें जारी की गई थीं उनकी रातों की नींद उड़ गई थी। बनारस का अस्सी और नगवा मोहल्ला कैंट विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। इलाकाई विधायक सौरभ श्रीवास्तव 07 मई 2024 को अपने समर्थकों के साथ नरेंद्र मोदी के प्रचार नगवा इलाके में पहुंचे तो उन्हें जबर्दस्त विरोध का सामना करना पड़ा। उग्र भीड़ ने उन्हें घेर लिया और उनके खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। नगवां इलाके के विधायक और उनके समर्थकों को घेरकर खूब खरी-खोटी सुनाई। साथ ही वापस जाओ के नारे भी लगाए।

बीजेपी विधायक सौरभ श्रीवास्तव करीब एक घंटे तक लोगों को समझाने की कोशिश करते रहे। गुस्साये लोग उनके वादों को फर्जी और झूठ करार देते रहे। आक्रोशित नागरिकों ने विधायक के समर्थकों की टोपी भी उतार दी। बाद में विधायक से जगन्नाथ कॉरिडोर के जद में आने वाले लोगों को लिखित आश्वासन लिया। साथ ही अफसरों से फोन कर जनता की बात सुनने का निर्देश दिया। बीजेपी विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने स्थिति को संभालते हुए नाराज लोगों को शांत कराने के लिए यकीन दिलाया कि वो किसी का घर नहीं टूटने देंगे। बीजेपी विधायक सौरभ श्रीवास्तव के विरोध का वीडियो जमकर वायरल हुआ। नतीजा सत्तारूढ़ दल के नेता, जनप्रतिनिधि और अफसर बैकफुट पर आ गए।
मध्यस्थ बने शतरुद्र
पूर्व मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता शतरुद्र प्रकाश ने जगन्नाथ कॉरिडोर के नाम पर लोगों को उजाड़े जाने के मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थ की भूमिका अदा की। अंततः एसडीएम सदर सार्थक अग्रवाल को अपने आदेश को स्थगित करना पड़ा। बीजेपी नेता शतरुद्र ने जनचौक से कहा, “बनारस प्रधानमंत्री पर हमेशा अपना प्यार लुटाता रहा है। मोदी जी खुद नहीं चाहेंगे कि बनारस के लोग बेवजह दुखी रहें। बनारस में कोई भी योजना तभी मूर्तरूप लेगी जब यहां के लोग अपनी सहमति की मुहर लगाएंगे। अबकी बनारस में प्रधानमंत्री रिकार्ड मतों से चुनाव जीतेंगे। वो ऐसा रिकार्ड बनाएंगे, जिसे समूची दुनिया देखेगी।”

विधायक का घेराव और प्रदर्शन का नेतृत्व मझीललका दीक्षित, राघवेंद्र पांडे, ननकू, कौशलेंद्र पांडे, नीरज, अभिषेक मिश्रा कहते हैं कि हमारे पूर्वजों जमीन खरीदकर मकान बनवाया था, जिसे तोड़ने के लिए लाल निशान लगाए गए हैं। हमें लोगों को उजाड़ने का प्रयास किया जा रहा है। यह कहां तक उचित है? इनका आरोप है कि बीजेपी सरकार बनारस में गुजरातियों को बसाना चाहती है। उनके पूर्वजों ने 70 से 80 साल से अपनी मेहनत की कमाई से जमीन खरीदी और मकान बनाया। अब वो फर्जी तरीके से उनकी जमीनें हड़प लेना चाहते हैं। जिसे वोट देकर हम सत्ता और सरकार में लाए, वही हमें उजाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। सरकार बगैर मुआवजा दिए लोगों को बेदखल करने पर उतारू है। जब से मकानों का सर्वे शुरू हुआ है तब से लोगों का सुख-चैन छिन गया है।
बनारस के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर प्रशासन ने अस्सी इलाके के नगवां मुहल्ले में जगन्नाथ कारिडोर की एक बड़ी कार्ययोजना बनाई है। लोकसभा चुनाव के चलते जगन्नाथ कारिडोर के लेआउट को फिलहाल गोपनीय रखा गया है। यही वजह है कि नगवां मुहल्ले के करीब तीन सौ से अधिक घरों में रहने वाले लोगों को बुल्डोजर चलने का डर सता रहा है। इनमें तमाम ऐसे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने बैंक से लोन लेकर अपना आशियाना बनवाया है। अस्सी घाट के किनारे जगन्नाथ कॉरिडोर का निर्माण कराने के लिए मकानों को चिह्नित कर लिया गया है। तमाम मकानों पर निशान लगा दिए गए हैं। स्थगनादेश के बावजूद लोग डरे हुए हैं और आशंका जता रहे हैं कि चुनाव के नतीजे आने के बाद नगवा इलाके में बुल्डोजर गरजेंगे।
“फर्जी याचिका पर फैसला “
बनारस के कमिश्नर कौशलराज शर्मा के निर्देश पर अस्सी-नगवां के बीच एक बड़े इलाके में जगन्नाथ कॉरिडोर का खाका खींचा गया है। लोगों की जमीन मुफ्त में हथियाने के लिए कोलकाला ब्लाक- 78 निवासी तथाकथित प्रेम नारायण पुत्र श्रीप्रकाश की ओर से बनारस के एसडीएम सदर के यहां एक याचिका दायर की गई। यह याचिका भी उसी तरह दाखिल की गई, जैसे सर्वे सेवा संघ हथियाने के लिए अनाम व्यक्ति की ओर से दाखिल की गई थी। प्रेम नारायण बनाम सरकार की याचिका पर 23 जनवरी 2023 को सुनवाई हुई, जिसकी वाद संख्या 35498/2023 है। वादी प्रेमनारायण एसडीएम सदर कोर्ट में आज तक कभी हाजिर ही नहीं हुआ। पीड़ित पक्ष ने वादी को कोर्ट में हाजिर करने की मांग उठाई, लेकिन एसडीएम सदर सार्थक अग्रवाल ने 9 फरवरी 2024 को वादी प्रेम नारायण के पक्ष में फैसला सुना दिया।
एसडीएम सदर सार्थक अग्रवाल ने वाद संख्या 35498/2023 में 09 फरवरी को अंतिम आदेश देते हुए कहा कि कोलकाता निवासी रामनारायण पुत्र श्रीप्रकाश के प्रार्थाना-पत्र के अंतर्गत दफा-32/38 में राजस्व संहिता प्रस्तुत करते हुए कहा कि बनारस के परगना देहात अमानत के अराजी नंबर-3302, 3303, 3308 और 3337 पूर्व में सार्वजनिक उपयोग की जमीन थी। इसका व्योरा साल 1291 फसली के खसरा अंकित है।
एसडीएम ने अंतिम आदेश देते जो फैसला सुनाया उसमें कहा गया है कि आपत्तिकर्ता राम अधार सिंह पुत्र स्व. छेदी सिंह मोहल्ला-नगवा की 19 जनवरी 2024 की आपत्ति बलहीन है। तहसीलदार सदर की आख्या दिनांक 23 फरवरी 2023 स्वीकार की जाती है। तदनुसार पहगना देहात अमानत तहसील सदर में स्थित अराजी संख्या अराजी नंबर-3302, 3303, 3308 और 3337 अंकित वर्तमान प्रविष्टि त्रुटिपूर्ण होने के कारण निरस्त कर 1291 फसली खतौनी में अंकित प्रविष्टि बहाल करते हुए प्रश्नगत अराजी संख्या 1291 फसली में अंकित प्रविष्टि के आधार पर संबंधित खाते में दर्ज किया जाए। साथ ही तहसीलदार की 2 मार्च 2023 की आख्या का आदेश अंकित कर आवश्यक कार्यवाही हेतु पत्रावली अभिलेखागार में दाखिल की जाए।
वरिष्ठ पत्रकार जयनारायण मिश्र कहते हैं कि जगन्नाथ कॉरिडोर तो एक बहाना है। इस कॉरिडोर के जरिये गुजरातियों को यहां बसाना है। जनचौक से बातचीत में वह कहते हैं, “वादी प्रेमनारायण नाम के आदमी का कोई वजूद नहीं है। उसका पता भी संदिग्ध है। सुनवाई के दौरान किसी तारीख पर वह उपस्थित भी नहीं हुआ। चंद दिनों के अंदर जांच आख्या मंगवाकर त्वरित फैसला सुना दिया जाना किसी के गले से नीचे नहीं उतर रहा है। सिविल वाद के मामले में एसडीएम कोर्ट को फैसला सुनाने का कोई अधिकार है ही नहीं। एसडीएम सिर्फ राजस्व के मामलों का निस्तारण कर सकते हैं।”
“हमारा परिवार आजादी के पहले से ही यहां काबिज है। सभी के मकान बन गए हैं। हजारों लोग मौके पर आबाद हैं। विस्थापन के भय से नगवां इलाके के लोग भयभीत हैं। किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए। फिलहाल कुछ दिनों के लिए प्रशासन ने अपने फैसले को रोक दिया है। कहा जा रहा है कि जगन्नाथ कारिडोर मामले में एसडीएम कोर्ट का स्टे सिर्फ राजनीतिक स्टंट है। सरकारी मशीनरी का रुख कब बदल जाएगा, कुछ कहा नहीं जा सकता है। पीएम मोदी सचमुच बनारसियों के हितैषी हैं तो पुश्तैनी जमीन पर मकान बनाकर रह रहे लोगों को उखाड़े जाने से बचाएं। ऐसा नहीं हुआ तो नगवां इलाके के लोग आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे। “
(विजय विनीत बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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