रांची। झारखंड में दूसरे चरण की सभी 38 सीटों के लिए 20 नवंबर को मत डाला जाएगा। जिसमें मुख्यमंत्री से लेकर कई मंत्रियों की किस्मत दांव पर लगी है। लेकिन इस बार राजनीति में एक ऐसे युवा की एंट्री हुई है जिसने कई सीटों पर राजनीतिक पार्टियों के होश उड़ा दिया है। सोशल मीडिया में टाइगर महतो के नाम से चर्चित जयराम महतो विधानसभा चुनाव में सेंटर ऑफ अट्रेक्शन बने हुए हैं।
राज्य में दूसरा बड़ा वोट बैंक कुड़मी समुदाय
झारखंड विधानसभा चुनाव को जयराम महतो किस तरह प्रभावित करेंगे यह सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है। कुड़मी लंबे समय से आदिवासी आरक्षण की मांग कर रहे हैं। जिसके लिए पश्चिम बंगाल और झारखंड के कुड़मी बहुल इलाकों में रेल रोको आंदोलन तक चलाया गया। आरक्षण की मांग को लेकर आदिवासी समुदाय में रोष भी था।
जयराम महतो भी कुड़मी महतो हैं। जो झारखंड के महतो गुट में से एक हैं। इसके अलावा अन्य ग्रुप तेली और कोइरी हैं। पूरे झारखंड में करीब 15 प्रतिशत कुड़मी हैं और 26 से 27 प्रतिशत आदिवासी हैं।
युवा जयराम के साथ
कुड़मी समुदाय के एक बड़े हिस्से के लिए जयराम अपनी सभाओं में झारखंड के मूलनिवासी, उसके संसाधनों पर हक, झारखंड के युवकों के लिए रोजगार, 1932 के खतियान पर बात करते हैं।
इनकी रैली में युवाओं की भीड़ देखने को मिलती है। लेकिन भीड़ वोट में कितनी तब्दील होती है, यह देखने वाली बात है। इससे पहले हुए लोकसभा चुनाव के दौरान जयराम निर्दलीय मैदान में थे और गिरिडीह सीट पर 3, 37,322 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे थे।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जयराम ने झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा नाम की पार्टी बनाई है। जिसमें 80 सीटों वाले राज्य में 71 सीटों पर उम्मीदवारों को उतारा गया है। जयराम स्वयं गिरिडीह जिले की डुमरी विधानसभा से लड़ रहा है।
अब सवाल यह है कि मात्र तीन महीने पहले बनी पार्टी पर जनता कितना भरोसा करती है। रैलियों और सभाओं में जयराम का गुस्सैल रवैये के बाद भी युवाओं और महिलाओं की भीड़ दिखाई देती है। कोई भी रैली ऐसी नहीं जिसमें भीड़ न हो।
जयराम का युवाओं में इस तरह का क्रेज कहीं आजसू तो कहीं जेएमएम को नुकसान पहुंचा सकता है। कुड़मी लोकसभा चुनाव के दौरान भले ही भाजपा को वोट करें। लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान आजसू (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स यूनियन) का उत्तरी छोटा नागपुर के सीटों समेत पूरे राज्य में 35 सीटों पर प्रभाव रहता है।
विधानसभा चुनाव में जयराम अपने गृहनगर डुमरी से मैदान में है। जहां मौजूदा समय में बेबी महतो विधायक हैं। डुमरी जेएमएम का गढ़ रहा है। पूर्व शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की क्षेत्र में मजबूत पकड़ थी। यही वजह है उनकी मौत के बाद उपचुनाव में उनकी पत्नी बेबी महतो को सहानुभूति के कारण जीत हासिल की।
अब जयराम महतो की सीधी टक्कर बेबी महतो से है जो झारखंड सरकार में मंत्री भी हैं। टाइगर की रैली में आती भीड़ जेएमएम के लिए एक अलर्ट है।
आजसू पर ज्यादा असर पड़ेगा
इस बारे में पत्रकार आनंद कुमार का कहना है कि ‘जयराम के कारण ज्यादा प्रभाव आजसू पर पड़ेगा। सिल्ली, मनोहरपुर, बेरमो, ईचागढ़, बड़कागांव, डुमरी में साफ अंतर देखने को मिलेगा। जेएलकेएम धनबाद, झारिया और बोकारो में कांग्रेस को प्रभावित करेगा। जबकि बेरमो में भाजपा पर असर रहेगा। चन्दकियारी में जेएमएम पर असर साफ देखने को मिलेगा। जयराम सबसे ज्यादा वोट जेएमएम और आजसू का ही काटेंगे। अलग-अलग जगहों में इस समीकरण में अंतर साफ दिखाई देगा।
डुमरी सीट पर बात करते हुए आनंद कुमार कहते हैं ‘यहां सीधी लड़ाई बेबी महतो और जयराम महतो के बीच है। क्योंकि यह जयराम का गृहनगर है। साथ ही लोकसभा चुनाव के दौरान डुमरी लोकसभा सीट से जयराम को अच्छी लीड मिली थी। इसलिए यहां जेएमएण और जेकेएलएम के बीच कांटे की टक्कर है’।
लोकसभा चुनाव के दौरान जयराम युवाओं के लिए रोजगार का भी मुद्दा उठाया था। जो राज्य की सबसे बड़ी समस्या है। वह लगातार अपनी सभाओं में कह रहे हैं कि झारखंड में देश का 40 प्रतिशत खनिज है। लेकिन नौकरी के नाम पर बाहरी लोगों को पहले तावज्जो दिया जाता है। जबकि यहां के युवा बेरोजगार हैं।
देश का सबसे अच्छा कोयला झारखंड से निकलता है, लेकिन इसका हेडक्वार्टर कोलकाता में है। कोई भी काम के लिए कोलकाता जाना पड़ता है। जब कोयला झारखंड का है तो काम के लिए कोलकाता क्यों जाना पड़ता है?
जयराम अपनी सभा में युवाओं से इस तरह के सवाल भी करते हैं। युवा पूरे जोश के साथ इस सब का जवाब भी देते हैं।
युवाओं के साथ एकतरफा मामला है
आदि कुड़मी युवा शक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष दयामय महतो का जयराम महतो की राजनीति में एंट्री और विधानसभा चुनाव में पड़ने वाले असर के बारे में कहते हैं ‘इस वक्त युवा सबसे ज्यादा जयराम के साथ है, इसका कारण सोशल मीडिया पर उसकी पहुंच। युवा पीढ़ी सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव है। इसलिए लोग जयराम महतो की रैली, भाषण से प्रभावित हैं। जिसके कारण कहीं-कहीं वोट एकतरफा भी जा सकता है।
वह बताते हैं कोल्हान के क्षेत्र में कुड़मी की संख्या तो अच्छी है लेकिन ज्यादातर आरक्षित सीटें होने के कारण यहां इसका असर साफ नहीं दिखाई देता। जबकि यहां के कुड़मी भाजपा के वोटर हैं। इसलिए यहां बीजेपी पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।
दयामय कहते हैं छोटानागपुर क्षेत्र की ज्यादातर सीटों पर कुड़मी जाति का प्रभाव है। कई सीटों में कुड़मी निर्णायक भूमिका में हैं। बोकारो और उसके आसपास की सीटों पर इस बार जेकेएलएम का असर रहेगा। मैं खुद बोकारो का रहने वाला हूं। पहले यहां लोग भाजपा के समर्थक थे। लेकिन इस बार एकतरफा जयराम महतो की पार्टी को वोट करने वाले हैं।
उनके अऩुसार कुड़मी समुदाय राज्य की 19 सामान्य सीट, नौ एसटी आरक्षित और तीन एससी आरक्षित सीटों को प्रभावित करता है। जहां लोग उम्मीदवार से ज्यादा जयराम महतो को तवज्जो दे रहे हैं।
(पूनम मसीह की रिपोर्ट)
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