झारखंड चुनाव : गांव वालों की नाराजगी खत्म करेगी चंपई सोरेन का राजनीतिक करियर ?

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जमशेदपुर। झारखंड की 81 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में 13 और 20 नवंबर को मत डाला जाएगा। जिसका नतीजा 23 नवंबर को आएगा। इस रण में झारखंड के कई दिग्गज नेताओं के साथ मंत्रियों की राजनीति भी साख पर लगी हुई है। ऐसी ही एक सीट है कोल्हान क्षेत्र की सरायकेला विधानसभा सीट (अनुसूचित जनजाति आरक्षित)।

इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री और कोल्हान टाईगर के नाम से मशहूर चंपई सोरेन भाजपा से मैदान में हैं। जबकि झारखंड आंदोलन से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले चंपई यहां से पिछले चार बार से जेएमएम के विधायक रहे हैं।

लेकिन इस बार हुए राजनीतिक बदलाव ने यहां की हवा का रुख बदल दिया है। दरअसल लंबे समय से जेएमएम की तरफ से मैदान में रहने वाले चंपई सोरेन ने भाजपा का दमन थाम लिया है। वहीं दूसरी ओर पिछली दो बार से भाजपा की टिकट पर लड़ने वाले गणेश महली ने जेएमएम ज्वांइन कर लिया है।

जिसके बाद जेएमएम ने गणेश महली को सरायकेला से प्रत्याशी नामंकित किया है। अब ऐसे माहौल में जनता के लिए परेशानी बढ़ गई है।

चंपई ने धोखा दिया है

जनचौक की टीम ने सरायकेला विधानसभा का दौरा कर यहां की जनता से भाजपा और जेएमएम के इस उलटफेर के बारे में जानने की कोशिश की है।

जमदेशपुर से लगभग 45 किलोमीटर दूर सरायकेला एक औद्योगिक शहर है। इस विधानसभा का 40 प्रतिशत हिस्सा शहरी है। राजनगर में चाईबासा के रास्ते में चौराहे पर सिद्धू और कान्हू की मूर्ति लगाई गई है। जिसका उद्धाटन चंपई सोरेन के द्वारा किया गया है।

बाजार में लोग दीपावली की खरीदारी में व्यस्त थे। उर्मिला मूर्मू इसी बाजार से साईकिल से अपने घर की तरफ जा रही थीं।

वह जेएमएम की कल्याणकारी योजनाओं के काफी खुश हैं। वह कहती हैं ‘माईया सम्मान योजना के साथ-साथ हमें कई तरह की सुविधा दी गई है। मैंने पिछली बार जेएमएम को वोट दिया था’।

उर्मिला मूर्मू

मैंने उनसे पूछा चंपई सोरेन के बारे में आपके क्या विचार हैं? इसके जवाब में उर्मिला कहती हैं “चंपई सोरेन बदल गए, जो बदल गए उससे अब कोई नाता नहीं”।

सरायकेला में यह बात आम हो गई है। जहां चंपई सोरेन के जेएमएम को छोड़ने के लेकर जनता के बीच नाराजगी है।

एक बुजुर्ग ने हमसे बात करते हुए कहा कि “इस बार जेएमएम और भाजपा के प्रत्याशियों को लेकर जनता कन्फ्यूजन में हैं। वह गुस्से में कहते हैं, नेताओं में दल बदलने की प्रवृत्ति है। जनता जिसे वोट देकर आगे बढ़ाती हैं वह और भी आगे चले जाते हैं और जनता पर कोई ध्यान नहीं देता। सरायकेला की जनता भी ऐसा ही साथ धोखा हुआ है”।

चंपई और गणेश नहीं, पार्टी के नाम पर वोट

जनता के साथ-साथ यह उलटफेर कार्यकर्ताओं के लिए भी परेशानी का सबब बना हुआ है। भाजपा के कार्यकर्ता चंपई सोरेन नहीं बल्कि पीएम मोदी के चेहरे और नीतियों पर जनता से वोट मांग रहे हैं। वहीं जेएमएम के कार्यकर्ता बिजली बिल माफी और माईया सम्मान योजना की उपलब्धियां गिना रहे हैं।

भाजपा के कार्यकर्ता मोती लाल महतो ने हमसे बात करते हुए बताया कि “जनता पीएम मोदी के नाम पर वोट कर रही है। जहां तक चंपई सोरेन के चेहरे की बात है, वह अपने कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा में शामिल हुए हैं। इसलिए उम्मीद है जनता व्यक्ति विशेष नहीं बल्कि पार्टी के नाम पर वोट करेंगी”।

वहीं दूसरी ओर जेएमएम के कार्यकर्ता भी इन्हीं शब्दों के साथ जनता के पास जा रहे हैं। राजनगर के प्रखंड अध्यक्ष रामकुमार हांसदा अपनी पूरी टीम के साथ गांव-गांव में प्रचार कर रहे हैं।

वह कहते हैं ‘प्रत्याशी तो दोनों पार्टियों में वही हैं, बस उनका कफन बदल गया है। जेएमएम को चंपई सोरेन के खिलाफ एक मजबूत प्रत्याशी चाहिए था। जिसके कारण गणेश महली को टिकट दिया है। फिलहाल सभी लोग संगठित होकर प्रचार कर रहे हैं’।

वह कहते हैं “सरायकेला विधानसभा सीट का पूरा मैदान सजा हुआ है। जेएमएम के वोटर दूसरी तरफ शिफ्ट नहीं हो रहे हैं, क्योंकि बिजली बिल माफी और ‘माईया सम्मान योजना’ से जनता खुश हैं। बाकी लोग तीर धनुष के निशान को नहीं भूलने वाले है”।

शिबू सोरेन से धोखा

इस सीट के बारे में हमने वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार से बातचीत की। वह कहते हैं कि पूरे कोल्हान में भाजपा के चार पूर्व मुख्यमंत्री या तो सीधे लड़ रहे हैं या उनके पारिवारिक संबंधी लोग मैदान में हैं। चंपई सोरेन ने भाजपा ज्वांइन करने के बाद अपने लोगों का भरोसा खो दिया है। लोग अब ऐसा मानने लगे हैं कि उन्होंने शिबू सोरेन के साथ धोखा किया है।

चंपई सोरेन के राजनीतिक करियर के अनुसार वह पिछले चार दशकों से एक ही विचारधारा की राजनीति करते आ रहे थे, जिसके कारण जनता उनसे भावात्मक रुप से जुड़ी हुई थी।

हमने चंपई सोरेन के गांव जिलिंगगोड़ा का भी दौरा किया। गांव में लोग साफ तौर पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। जो लोग पहले से ही भाजपा के वोटर रहे हैं सिर्फ वही या चंपई सोरेन के अपने खास समर्थक उनके साथ खड़े हैं।

गांव के ही एक शख्स ने नाम न लिखने की शर्त पर कहा कि “भाजपा में वह किन कारणों से गए हैं यह कह पाना मुश्किल है। राजनीति है चंपई अपने हिसाब से आगे बढ़ हैं। जो उन्हें सही लगा वह किया है, अब जनता को जो सही लगा वह करेगी’।  

वहीं दूसरी ओर गांव के बुजुर्ग गोपाल मूर्मू का कहना है कि ‘चंपई सोरेन की कोल्हान के आदिवासियों के बीच एक अलग पहचान है। चुनाव में भी वह जिन-जिन सीटों पर जाएंगे उस पर भाजपा का प्रभाव बढ़ेगा।

बाकी जहां तक उनके भाजपा में जाने की बात है। इसके बारे में हमलोग कुछ नहीं जानते यह उनकी निजी इच्छा थी। लेकिन मेरे हिसाब से चंपई अपने नाम पर कुछ वोट भाजपा में ले जाएंगे’।

इस बारे में पत्रकार आनंद कुमार का कहना है कि ‘उनके गांव के लोग भी बहुत कुछ कहने को तैयार नहीं है। लोगों का कहना है दादा तो ठीक है, लेकिन भाजपा में चले गए ये अच्छा नहीं लगा। अब किस रुप में बाहर निकल कर आऐंगे ये देखने वाली बात होगी’।

औद्योगिक क्षेत्र की सीट है सरायकेला

सरायकेला विधानसभा सीट का 40 प्रतिशत क्षेत्र शहरी इलाका है। जिसमें आदित्यपुर, गाम्हरिया, कांद्रा और सरायकेला तक औद्योगिक क्षेत्र है। जिसमें ज्यादातर बिहार, छत्तीसगढ़ और ओडिशा से लोग आकर बसे हैं।

आनंद कुमार कहते हैं कि ‘इन क्षेत्रों में बसे ज्यादातर लोग परंपरिक तौर पर भाजपा को वोट करते हैं। जबकि राजनगर और अन्य आदिवासी इलाकों में लोग जेएमएम के वोटर्स रहे हैं। जबकि हाल मे हुए लोकसभा चुनाव में सरायकेला विधानसभा सीट पर 20 हजार की लीड़ मिली थी। भाजपा इसी लीड को अब बढ़ाना चाह रही है’।

जबकि यह आंकड़ा चिंताजनक है क्योंकि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 70 हजार की लीड मिली थी। वहीं साल 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान जब रघुवार दास सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेसी थी, उस समय जेएमएम और भाजपा के बीच 15 हजार का अंतर था। जबकि इससे पहले तक अधिकतम 3200 वोटों का मार्जिन रहा था।

वह कहते हैं ‘यहां भाजपा और जेएमएम दोनों ही वोटों के मामले में बराबर है। भाजपा को यह भरोसा है कि चंपई सोरेन आए हैं तो अपने साथ आदिवासी वोट को भी लेकर आएंगे। अगर ले गए तो ठीक, वरना राजनीतिक करियर दाव पर लग जाएगा’।

वोटों के पूरे समीकरण पर बात करते हुए आनंद कुमार कहते हैं ‘इस चुनाव में जेएमएम ने जिस उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। वह पिछले दो चुनावों में एक हजार से 1500 के वोटों के अंतर से हारे हैं।

साथ ही गणेश महली पिछले लंबे समय से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। जिसका फायदा जेएमएम को जरुर मिलेगा। लेकिन जनता इस उलटफेर से असमंजस में है। इसलिए किसी के लिए भी जीतना इतना आसान नहीं है।

(झारखंड के सरायकेला से पूनम मसीह की ग्राउंड रिपोर्ट।)

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