Friday, April 19, 2024

सर्च के बहाने झारखंड की पुलिस ने स्वतंत्र पत्रकार रूपेश को किया गिरफ्तार 

रांची। झारखंड की पुलिस ने स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। सुबह ही सूबे के सरायकेला-खरसांवा की पुलिस उनके रामगढ़ स्थित घर पर पहुंच गयी थी। अभी जबकि रूपेश का परिवार सो रहा था तभी उनके घर की तलाशी शुरू हो गयी। दिलचस्प बात यह है कि पुलिस उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट लेकर गयी थी लेकिन उन्हें दिखाया नहीं।

सुबह साढ़े पांच बजे के लगभग काफी संख्या में पुलिस बल स्वतंत्र पत्रकार रुपेश कुमार सिंह के रामगढ़ स्थित मकान पर आई और सर्च वारंट दिखाकर पूरे घर को एक बजे तक सर्च किया। सर्च वारंट के मुताबिक सरायकेला-खरसांवा का कांड्रा थाना, केस नंबर- 61/21 जो आठ महीना पहले कोई मामला है। सुबह साढ़े पांच बजे से दोपहर एक बजे तक पूरे घर का सर्च करने क्रम यह नहीं बताया कि गिरफ्तारी वारंट भी है। जब जब्ती का सारा समान तैयार कर लिया गया तब आरेस्ट वारंट दिखा कर रूपेश कुमार सिंह को गिरफ्तार कर ले जाया गया है।

बताया जा रहा है कि 17 नवंबर, 2021 को उसी थाने में एक पति-पत्नी को गिरफ्तार किया गया था। जिनका संबंध माओवादियों से बताया गया था। यह गिरफ्तारी भी उसी केस में बतायी जा रही है। रूपेश की पत्नी इप्शा के मुताबिक सर्च करने और गिरफ्तारी करने आयी पुलिस की टीम में राज्य की पुलिस के अलावा एनआईए और इंटेलिजेंस के लोग भी शामिल थे। बहरहाल पुलिस ने अपनी तरफ से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं बताया। जबकि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक पुलिस को न केवल गिरफ्तारी का कारण बताना होगा बल्कि आरोपी को अपने वकील से संपर्क करने का उसे मौका भी देना होगा। लेकिन झारखंड की पुलिस ने ऐसा कुछ नहीं किया।

रूपेश कुमार सिंह पहले से ही सरकारों के निशाने पर हैं। केंद्र सरकार ने उन्हें पेगासस सूची में रखा था और उनके फोन की अवैध तरीके से निगरानी कर रहा था। लेकिन राज्य की पुलिस किसलिए और क्यों उन्हें गिरफ्तार की अभी भी रहस्य बना हुआ है। 

जानकारों का कहना है कि रूपेश की गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का खुला उल्लंघन है। किसी भी मामले में पुलिस को सबसे पहले पूछताछ करनी चाहिए और गिरफ्तारी से पहले उसे संबंधित शख्स को सूचना देनी चाहिए। जबकि इस मामले में ऐसा कुछ नहीं किया गया।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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