फैसले से संतुष्ट नहीं, पुनर्विचार की करेंगे अपील: जफरयाब जिलानी

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नई दिल्ली। कांग्रेस ने अयोध्या पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के सम्मान की बात कही है। साथ ही उसका कहना है कि इससे बीजेपी के लिए मंदिर मुद्दे पर राजनीति के द्वार भी बंद हो गए हैं।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बताया कि कांग्रेस की वर्किंग कमेटी ने इस पर एक प्रस्ताव पारित किया है। जिसमें उसने कहा है कि पार्टी अयोध्या पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करती है। इसके साथ ही उसने भारत के संविधान में स्थापित सर्वधर्म समभाव और भाईचारे के मूल्यों के मुताबिक सभी धर्मों और समुदायों के लोगों से अमन-चैन बनाए रखने की अपील की है। हालांकि इस मौके पर सुरजेवाला यह बताने से भी नहीं चूके कि जमीन का अधिग्रहण भी कांग्रेस ने ही किया था। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस भगवान श्रीराम के मंदिर के निर्माण की पक्षधर है।

मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड के पैरोकार जफरयाब जिलानी ने कहा है कि हम फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। फैसले में कई तरह के अंतरविरोध हैं। 5 एकड़ जमीन हम लोगों के लिए कोई मायने नहीं रखती है। हम फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। हम इसका रिव्यू चाहेंगे।

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि “माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले का सहदय सम्मान। देश का प्रत्येक मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च हमारा ही है। कुछ भी और कोई भी पराया नहीं है। सब अपने है। अब राजनीतिक दलों का ध्यान अच्छे स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और अस्पताल बनाने एवं युवाओं को रोज़गार दिलाने पर होना चाहिए।“

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि “सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद SC की बेंच के पाँचों जजों ने एकमत से आज अपना निर्णय दिया। हम SC के फ़ैसले का स्वागत करते हैं। कई दशकों के विवाद पर आज SC ने निर्णय दिया। वर्षों पुराना विवाद आज ख़त्म हुआ। मेरी सभी लोगों से अपील है कि शांति एवं सौहार्द बनाए रखें ।“

वरिष्ठ पत्रकार अंबरीश कुमार ने ट्विटर पर लिखा है कि फैसला से ज्यादा यह मध्यस्थता लगता है। आस्था को प्राथमिकता दी गयी है। पर विवाद खत्म करना चाहिए।

पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता शीबा असलम फहमी ने तंज के अंदाज में कहा है कि फैसला मंजूर है मी लार्ड।

चेतन चौहान के एक ट्वीट के मुताबिक मेट्रो में चलते एक आम मुस्लिम नागरिक ने कहा कि उन्हें अयोध्या में कुछ भी बनाने दीजिए। हम लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। यह अब वह भारत नहीं रहा। उनका कहना था कि उसकी आवाज में पीड़ा थी।

इसके साथ ही खबर यह भी आयी है कि फैसले के बाद कोर्ट परिसर में वकीलों ने जय श्रीराम के नारे भी लगाए।

निखिल नाम के एक शख्स का ट्विटर पर कहना था कि “एक मस्जिद ढहायी गयी थी। और एक मस्जिद बननी चाहिए। यही न्याय है। बाकी सब कुछ झूठ है।”

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