नई दिल्ली। राष्ट्रपति भवन की तरफ मार्च कर रहे जेएनयू के छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया है। और कई छात्रों को हिरासत में ले लिया है। ऐसा छात्रों की एचआरडी मंत्रालय के साथ हुई बैठक के बाद हुआ। दरअसल मंडी हाउस से मार्च करते हुए छात्रों का जुलूस जब एचआरडी मंत्रालय पहुंचा तो वहां सभा में तब्दील हो गया। इसी बीच एचआरडी मंत्रालय से छात्रों के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत का न्योता आ गया। बताया जा रहा है कि यह वार्ता तकरीबन 2.30 घंटे चली। लेकिन वह किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी।
जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइषी घोष ने मंत्रालय से बाहर आने के बाद छात्रों के सामने ऐलान करते हुए कहा कि वार्ता निराशाजनक रही। और उसका कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला। उन्होंने कहा कि “हम एचआरडी मंत्रालय के साथ समझौते की स्थिति में नहीं हैं।
अभी भी इस पर विचार किया जा रहा है कि वीसी को हटाया जाए या नहीं।” घोष और वार्ता में गए उनके प्रतिनिधमंडल के दूसरे सदस्य चाहते थे कि रविवार को हुई घटना का जिम्मेदार ठहराते हुए कुलपति जगदेश कुमार को हटा दिया जाए।
उसके बाद आइषी घोष ने राष्ट्रपति भवन की तरफ मार्च करने का आह्वान कर दिया। जिसको रोकने की कोशिश में छात्रों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प हो गयी। छात्र और आगे बढ़ते उससे पहले ही पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। जिसमें कुछ छात्रों को चोटे आयी हैं। इस दौरान पुलिस ने कई छात्रों को हिरासत में भी ले लिया।
इसके पहले मंडी हाउस से छात्रों और शिक्षकों का मार्च निकला। लेकिन एचआरडी मंत्रालय के पास पहुंचने पर पुलिस ने उसे रोक दिया।
उसके पहले हुई सभा में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि अब कुलपति के इस्तीफे नहीं बल्कि उसे बर्खास्त किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कुलपति को अपने पद पर अब एक मिनट भी बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
सीपीआई के महासचिव डी राजा ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं। दिल्ली पुलिस ने जिस तरह से गुंडों के साथ मिलकर छात्रों पर हमले का रास्ता साफ किया है उससे अब किसी तरह का भ्रम नहीं रह गया है कि सरकार किसके साथ खड़ी है।
सभा को सीपीआईएमएल की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन ने संबोधित करते हुए कहा कि रविवार की घटना के बाद केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस की कलई खुल गयी है। लेकिन अब उन्हें इस बात को समझना चाहिए कि देश का छात्र जाग गया है और उन पर किसी भी तरह का दमन सरकार के लिए भारी पड़ेगा।
इस बीच, बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने कुलपति को हटा देने की बात कही है। उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा कि ऐसी रिपोर्ट है कि जेएनयू के वीसी को मंत्रालय ने दो बार फीस की समस्या को हल करने के लिए कुछ निश्चित जरूरी और कारगर फार्मुले सुझाए थे ।
इसके साथ ही उन्हें छात्रों और शिक्षकों से बातचीत करने की सलाह दी गयी थी। लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि कुलपति सरकार के प्रस्तावों को लागू न करने पर अड़े हैं। यह रवैया निंदनीय है और मेरे विचार में इस पोस्ट पर इस तरह के कुलपति को रहने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
+ There are no comments
Add yours