Friday, March 29, 2024

ग्राउंड रिपोर्ट: गौशाला में मरणासन्न गायों की दुर्दशा दिखाने पर पत्रकारों पर दर्ज हुआ मुकदमा

जौनपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट गौ-आश्रय स्थलों में व्याप्त विसंगतियों पर सरकारी मुलाजिम पर्दा डाल रहे हैं, यदि कोई पत्रकार इस पर्दे को उठाने का प्रयास करता है तो उसे फर्जी मुकदमे का दंश झेलना पड़ता है। हद तो यह है कि कोई इस पर्दे को उठाने और हकीकत को सामने लाने का काम किया तो मुलाजिम अपनी जवाबदेही से बचने के लिए फर्जी मुकदमे की बाजीगरी के जरिए “जनआवाज” को दबाने और शासन को गुमराह करने में लग जाते हैं।

पिछले दिनों जौनपुर के केराकत तहसील क्षेत्र के मुफ्तीगंज विकासखंड अंतर्गत पेसारा में स्थित अस्थाई गौशाला की हकीकत दिखाने पर चार पत्रकारों के ऊपर मुकदमा दर्ज करने का मामला सामने आया है। यहां के चार पत्रकारों पर फर्जी मुकदमा दर्ज होने के बाद जौनपुर के पत्रकारों में उबाल आ गया है। पत्रकारों ने जिले के पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर मुकदमें को वापस लेने की मांग की है। पत्रकारों में उप जिलाधिकारी केराकत के प्रति आक्रोश कायम है।

हालांकि इस मामले को भारतीय प्रेस परिषद ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य के प्रमुख सचिव और गृह सचिव पुलिस सहित जौनपुर के डीएम और एसपी को पत्र जारी कर जवाब-तलब किया है। केराकत के पत्रकार दीप नारायण सिंह ने चार पत्रकार साथियों पर दर्ज हुए फर्जी मुकदमें पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि “उप जिलाधिकारी केराकत एक दलित महिला ग्राम प्रधान को आगे खड़ा कर न केवल पत्रकारों पर फर्जी मुकदमा दर्ज कराया है, बल्कि शासन की मंशा पर पानी फेरते हुए अपनी नाकामियों पर पर्दा डालकर शासन को भी गुमराह कर रहे हैं।”

क्या है पूरा मामला?

जौनपुर जिले के केराकत तहसील के अकबरपुर गांव निवासी युवा पत्रकार पंकज सिंह को कुछ ग्रामीणों के जरिए सूचना प्राप्त हुई कि मुफ्तीगंज विकास खंड के पेसारा गांव स्थित अस्थाई गौशाला में चारा-पानी और समुचित देखभाल के अभाव में गोवंशों की हालत मरणासन्न हो गई है। जिन्हें दूर से ही देख सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि गोवंशों की देखरेख समुचित ढंग से नहीं किया जा रहा है।

पेसारा गांव में स्थित अस्थाई गौशाला का समाचार कवरेज करने 21 मार्च, 2023 की दोपहर पहुंचे पत्रकार अरविंद यादव, आदर्श मिश्रा, पंकज सिंह, विनोद कुमार ने गौशाला में गए। जहां गाएं चारा-पानी, दवा उपचार के अभाव में मरणासन्न स्थिति में पहुंच चुकी थीं। जिसे उजागर कर देना जिम्मेदार मुलाजिमों को रास नहीं आया। फिर क्या था, गांव की दलित महिला ग्राम प्रधान चंदा देवी पत्नी जयहिंद को मोहरा बनाते हुए आगे खड़ा कर उप जिलाधिकारी केराकत के इशारे पर पत्रकारों की आवाज दबाने के लिए उन पर 24 मार्च 2023 को फर्जी मुकदमा संख्या- 0089/2023 धारा 504,506,384,429,3(2) के तहत केराकत कोतवाली में कायम करा दिया गया।

उधर अस्थाई गौशाला में मरणासन्न और भूख-प्यास और अन्य तकलीफों से कराह रहे गौवंश का वीडियो वायरल होते ही, देखरेख का जिम्मा संभाले लोगों में हड़कंप मच गया।

पीड़ित पत्रकारों की माने तो गौशाला की वायरल वीडियो के बारे में पूछे जाने पर उप जिलाधिकारी केराकत नेहा मिश्रा ने कहा था कि इस वीडियो में ऐसा कुछ भी नहीं है जो सुधार कराया जाय। ऐसे में सवाल उत्पन्न होता है कि फिर पत्रकारों पर किस आधार पर मुकदमा दर्ज कराया गया? क्या हकीकत दिखाया जाना गुनाह है?

बहरहाल, गौशाला की हकीकत दिखाने पर 4 पत्रकारों पर फर्जी मुकदमा कायम किया जा चुका है। इस बात से सभी पत्रकारों में न केवल तीव्र नाराजगी देखी जा रही है, बल्कि पत्रकारों ने इस मुकदमे की घोर निंदा करते हुए इसे वापस लिए जाने की मांग की है।

फर्जी मुकदमा दर्ज होने के बाद पत्रकार विनोद कुमार “जनचौक” को बताते हैं कि, जब हम सभी पत्रकारों ने मरणासन्न गायों और अस्थाई गौशाला की जमीनी हकीकत से प्रशासन को अवगत कराया तो उस पर वे पूरी तरह उदासीन ही नहीं रहे, बल्कि पर्दा डालते हुए नजर आए। दूसरी ओर देखा गया कि गौशाला की हकीकत दिखाए जाने के बाद मरती हुई गायों का उपचार कराने के बजाज उन्हें खुले में फेंक दिया गया था। ऐसे में दूसरे दिन 22 मार्च, 2023 को पुन: पत्रकारों ने वहां जाकर खुले में सड़ रही मृत गायों पर मिट्टी डालकर दम तोड़ने के बाद भी उनकी हो रही दुर्दशा को देख मानवीय दृष्टिकोण से अपने कर्तव्यों का पालन किया, जो शायद संबंधित मुलाजिमों को नागवार गुजरा, जिसका प्रतिफल यह रहा है कि आईना दिखाने वाले पत्रकारों को ही फर्जी मुकदमे में फंसा दिया।

पुलिस अधिकारियों से मिलकर पत्रकारों ने दर्ज कराई आपत्ति

गौशाला की हकीकत दिखाने पर दर्ज हुए चार पत्रकारों पर फर्जी मुकदमे को लेकर जौनपुर के पत्रकार मुखर होने लगे हैं। जौनपुर के पत्रकारों के समर्थन में प्रदेश के कई पत्रकार संगठन समर्थन में उतर आएं हैं। पत्रकारों के प्रतिनिधिमंडल ने अपर पुलिस अधीक्षक (सिटी) जौनपुर से मिलकर अपनी बात रखते हुए पत्रकारों पर दर्ज हुए फर्जी मुकदमें को वापस लेने की मांग की है। जिस पर अपर पुलिस अधीक्षक सिटी में उन्हें आश्वासन दिया है कि पत्रकारों के ऊपर दर्ज फर्जी मुकदमे समाप्त किए जाएंगे। हालांकि यह कब किया जाएगा यह नहीं तय हो पाया है।

अपनी दी हुई तहरीर में ही फंसती नजर आ रही हैं ग्राम प्रधान

पेसारा ग्राम पंचायत की ग्राम प्रधान चंदा देवी की तहरीर पुलिस ने दर्ज करते हुए चार पत्रकारों पर फर्जी मुकदमा दर्ज तो कर लिया है, लेकिन इस तहरीर में कई पेंच फंसते हुए नजर आ रहे हैं। उस पूरी तहरीर को पढ़ें तो ग्राम प्रधान एवं अधिकारियों की साठगांठ साफ उजागर होती है।

आश्चर्य की बात यह है कि पुलिस को दी गई तहरीर में ग्राम प्रधान एक तरफ सभी पत्रकारों को फर्जी भी करार देती हैं और दूसरी तरफ उसी तहरीर में सभी पत्रकारों को अलग-अलग समाचार पत्रों से जुड़ा होना भी बता रही हैं। हैरत की बात है कि पुलिस को दी गई तहरीर में जो आरोप लगाए जा रहे हैं वह पूरी तरह से ग्राम प्रधान एवं अधिकारियों के साजिश को न केवल उजागर कर रहे हैं, बल्कि पूरी तरह से यह मनगढ़ंत और अपनी (ग्राम प्रधान की) नाकामियों को छिपाने को भी दर्शा रहा है। और तो और ग्राम प्रधान की पूरी तहरीर में साजिश की बू आ रही है। जो साफ दर्शा रहा है कि खबर से बौखला कर नाकामियों पर पर्दा डालने के गरज से पत्रकारों को फंसाया गया है।

प्रेस परिषद ने लिया स्वत: संज्ञान, यूपी के अधिकारियों से जवाब-तलब

जौनपुर में स्थित अस्थाई गौशाला का सच उजागर करने वाले पत्रकारों पर दर्ज मुकदमें के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव सहित अन्य अधिकारियों को भारतीय प्रेस परिषद ने स्वत: सज्ञान में लेते हुए तल्ख टिप्पणी की है। पत्रकारों द्वारा गौशाला का सच उजागर करने पर उनके विरुद्ध संगीन धाराओं में दर्ज मुकदमों करने के मामले में एक पत्र के माध्यम से उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, सचिव गृह (पुलिस) विभाग, पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश, जिलाधिकारी जौनपुर, पुलिस अधीक्षक जौनपुर को जवाब-तलब किया है।

गौरतलब है कि भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य श्याम सिंह पंवार ने भी संभल में पत्रकार संजय राणा द्धारा मंत्री से सवाल करने पर दर्ज किए गए फर्जी मुकदमें व जौनपुर जनपद में चार पत्रकारों पर दर्ज मुकदमों के मुद्दे पर आवाज उठाते हुए इसे प्रेस की आजादी के विरुद्ध उठाया गया कदम बताया है।

श्याम सिंह पंवार “जनचौक” संवाददाता को बताते हैं कि “संभल के पत्रकार संजय राणा ने मंत्री से सवाल किया था जो उन्हें नागवार गुजरा था, और संजय राणा पर फर्जी मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया गया। उन्होंने जौनपुर के चार पत्रकारों पर दर्ज मुकदमें को भी ग्राम प्रधान और उपजिलाधिकारी की बौखलाहट का परिणाम करार दिया है, कहा है इसका पुरजोर विरोध होगा।”

भारतीय प्रेस परिषद ने की है तल्ख टिप्पणी

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में चार पत्रकारों पर फर्जी मामला दर्ज करने के संबंध में भारतीय प्रेस परिषद ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जो पत्र मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश सरकार, गृह सचिव पुलिस विभाग एवं जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक जौनपुर सहित पुलिस महानिदेशक लखनऊ को प्रेषित किया है उसमें कड़े शब्दों में तल्ख टिप्पणी करते हुए स्पष्ट रूप से कहा है कि “ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पत्रकारों पर दबाव बनाने के उद्देश्य से ही ग्राम प्रधान द्वारा अधिकारियों के इशारे पर मुकदमा दर्ज कराया गया है।”

भारतीय प्रेस परिषद की सचिव नंगसंग्लेम्बा आओ ने 27 मार्च, 2023 को संबंधित अधिकारियों को प्रेषित अपने पत्र कहा है कि “क्योंकि यह मामला प्रथम दृष्टया प्रेस की स्वतंत्रता में कटौती से संबंधित है और भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) को प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखने का आधिदेश दिया गया है।

माननीय अध्यक्ष महोदया पीसीआई ने उक्त कार्रवाई पर चिंता जताई और प्रेस परिषद (जांच प्रक्रिया) विनियम1979 के विनियम 13 के अंतर्गत मामले का स्वत: संज्ञान लिया है तथा मुझे इस मामले में टिप्पणियां मंगवाने का निर्देश हुआ है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को भेजे गए पत्र में स्पष्ट रूप से यह भी निर्देशित किया है कि आप इस पत्र की प्राप्ति की तारीख से 2 सप्ताह के भीतर अपने टिप्पणी दाखिल करें जिससे कि प्रकरण में परिषद द्वारा आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।”

अपनी जवाबदेही से बचने के लिए फर्जी मुकदमे का दिखाया जाता है धौंस

उत्तर प्रदेश में यह कोई पहला वाकया नहीं है जब पत्रकारों को खबर प्रसारित करने, हकीकत दिखाने पर मुकदमे से जूझना पड़ा हो। याद होगा मिर्जापुर में प्राथमिक विद्यालय में “मिड डे-मील” योजना के तहत नमक-रोटी परोसे जाने पर युवा पत्रकार पवन जायसवाल को न केवल फर्जी मुकदमें में फंसाया गया था, बल्कि उन्हें मानसिक और आर्थिक यातनाओं से भी दो-चार होना पड़ा था।

हालांकि बाद में मामले में भारतीय प्रेस परिषद, सहित तमाम संगठनों के विरोध एवं जांच के उपरांत उन्हें बेदाग करार देते हुए सभी मुकदमों को वापस लेते हुए मिर्जापुर के जिला प्रशासन को जमकर फटकार भी लगाई गई थी। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए समूचे प्रशासनिक तंत्र को कटघरे में खड़ा करते हुए साफ शब्दों में कहा था, पत्रकार खबर, वीडियो नहीं बनायेगा तो क्या बनायेगा। माननीय न्यायाधीश ने गंभीर होते नमक-रोटी प्रकरण में पत्रकार को उत्पीड़ित किये जाने पर कड़ी फटकार लगाई थी।

फर्जी गौशाला की सच्चाई उजागर करना पत्रकारों को पड़ा था भारी

मिर्जापुर के ही लालगंज तहसील क्षेत्र के बरकछ गांव में फर्जी ढंग से वन विभाग की भूमि पर संचालित किए जा रहे गौशाला व गौशाला में दम तोड़ रही गायों की तस्वीर उजागर करने पर क्षेत्र के दो पत्रकारों पर फर्जी ढंग से मुकदमा कायम कराया गया था। फर्जी ढंग से गौशाला का संचालन करने वाले पूर्व प्रधान का इतने से भी जी नहीं भरा था तो ग्रामीण पत्रकारों को अपने ऊंचे रसूख के बल पर घर पर चढ़कर मारने-पीटने सहित उन्हें जेल भी भिजवाने का काम किया जा चुका है। आश्चर्य की बात है कि पीड़ित पत्रकारों की शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई सुनिश्चित नहीं हो पाई है।

(उत्तर प्रदेश के जौनपुर से संतोष देव गिरी की रिपोर्ट।)

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sk gaur
sk gaur
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11 months ago

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