गांडेय। झारखंड में पूरे चुनाव कवरेज के दौरान एक नाम जिस पर हर कोई बात कर रहा है। वह है कल्पना सोरेन। वजह बहुत साफ है झारखंड की राजनीति में अभी तक कोई भी महिला राजनीतिक रुप से इतना मुखर होकर सामने नहीं आई है। लेकिन कल्पना ने सभी राजनीतिक पार्टियों की बखिया उधेड़ कर रख दी है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कल्पना सोरेन की राजनीति में एंट्री हुई। जिसके बाद वह रुकी ही नहीं। राज्य में हर कोई कल्पना के भाषण, रैली, भाषा पर पकड़ और विपक्षियों पर प्रहार की तारीफ कर रहा है।
भाषण से चर्चा में
उनकी सभा में लोगों की बड़ी भीड़ देखने को मिल रही है। जहां वह जेएमएम के लिए वोट मांगने के साथ-साथ हेमंत सोरेन को एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाने की बात करती नजर आती हैं।
कल्पना सोरेन का राजनीतिक करियर इसी साल लोकसभा चुनाव के दौरान गांडेय में उपचुनाव से शुरू हुआ। देखते ही देखते वह देश के बड़े नेताओं में शामिल हो गईं।
उपचुनाव में अच्छी सफलता मिलने के बाद जेएमएम ने एक बार फिर से कल्पना को गांडेय से जेएमएम का प्रत्याशी बनाया है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने भी महिला प्रत्याशी मुनिया देवी को मैदान में उतारा है।

इस समय सोशल मीडिया पर कल्पना सोरेन का विभिन्न भाषाओं में भाषण भी खूब चर्चा में है। एक सोशल मीडिया पोस्ट में वह गांडेय की महिलाओं को संथाली में कह रही हैं ‘मैं आप लोगों का प्यार और दुलार चाहती हूं। चार महीने पहले ही मुझे यहां का प्रभार मिला है। असली चुनाव अभी है। इस बार मुझे जिताएं तो मैं पूरे पांच साल काम करुंगी’।
वह आगे वोटरों से अपील कर रही हैं ‘हमें पूरे झारखंड में जेएमएम को जिताना है। भाजपा ने पहले झूठे केस में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल में डाल दिया था। हमें इसका जवाब देना है’।
कल्पना अपने भाषणों के जरिये लगातार विपक्ष पर हमला कर रही हैं। महिला वोटरों को हर बार माईयां सम्मान योजना की याद दिला रही हैं। साथ ही उन्हें बता रही हैं कि उनकी सरकार बनने के बाद इसकी राशि बढ़ा दी जाएगी।

लेकिन गांडेय की महिलाएं इसके बारे में क्या सोचती हैं। यह जानने के लिए जनचौक की टीम गांडेय विधानसभा क्षेत्र की महिलाओं से मिली।
गिरिडीह से गांडेय की दूरी 19 किलोमीटर है। जिसमें सुंदर सड़क और हरियाली के बीच गांडेय शहर बसा है। शहर में भाजपा और जेएमएम के कार्यकर्ता प्रचार के आखिरी दिन बाइक रैली कर रहे थे।
दस्तावेज पूरे नहीं
मैं ओझाडीह एक आदिवासी गांव गई। पूरे गांव में ज्यादातर मिट्टी के घरों में सुंदर पेंटिंग की हुई थी। यहीं समूली हासदा रहती हैं। वह कल्पना से तो खुश हैं, लेकिन माईयां सम्मान योजना का पैसा नहीं मिलने के कारण निराश हैं।
वह कहती हैं ‘शिबू सोरेन हमारे नेता है। उम्र ज्यादा होने के कारण मुझे माईयां सम्मान योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है और पेंशन के लिए उम्र नहीं हुई है। लेकिन मैं कल्पना को ही अपना समर्थन दे रही हूं’।
समूली स्कूल में खाना बनाती हैं। जहां उन्हें दो हजार मिलते हैं। पति और बेटे खेती बाड़ी करते हैं।
गांडेय के ज्यादातर हिस्से में खेती बाड़ी होती है। यहां लोगों का मुख्य पेशा खेती बाड़ी और मजदूरी है। जिससे यहां के लोग जुड़े हैं।
ओझाडीह में कई महिलाओं को माईयां सम्मान योजना का लाभ मिल रहा है और कइयों को दस्तावेजों कमी होने के कारण नहीं मिल पा रहा है।
एक हजार से तेल नून लाते हैं
इसी गांव की जुबाली टुडू योजना के लाभ से बहुत खुश हैं। मैंने उनसे पूछा एक हजार रुपए का क्या करती हैं? वह जवाब देते हुए कहती हैं ‘इस पैसे से घर का तेल नून चल जाता है। अपनी जरूरत भी यही है। खेती बाड़ी से थोड़ी कमाई है। पूरा परिवार इस पर ही निर्भर है। पति कुछ नहीं करता है। इससे हमें थोड़ी मदद मिल जाती है’।

इस गांव से बाहर निकलने पर कई महिलाएं खेतों में धान काट रही थीं। इनकी दिनभर की दिहाड़ी 250 रुपए है। धान रोपाई और कटाई के बाद ज्यादातर महिलाएं मजदूरी करने जाती हैं।
इसमें कई महिलाएं कैमरे के सामने बात करने से कतरा रही थीं। उनका कहना था घर वालों से जब तक अनुमति नहीं लेंगी तब तक कैमरे पर नहीं बोलेंगी।

खेत में काम करने वाली महिलाओं के पति राजमिस्त्री और दिहाड़ी मजदूर हैं। शाजिया बेगम यहीं खेत में काम कर रही थीं। वह बताती हैं ‘पूरे साल में दो बार काम करके चार से पांच हजार रुपए कमा लेती हूं। बाकी अभी 15 दिन पहले ही पेंशन के लिए दस्तावेज दिए थे। मुझे बताया गया है कि चुनाव के बाद बाकी काम होगा। फिलहाल मेरी दो बहुओं को माईयां सम्मान योजना का पैसा मिलता है।
सरकारें सिर्फ वायदे करती हैं
इसके बाद मैं गांडेय के ही एक बस्ती में गई। जहां महिलाएं एक फेरीवाले के पास गर्म कपड़े ले रही थीं। यहां की महिलाओं में योजना से ज्यादा आधारभूत सुविधाओं की जरुरत है।
मंजू देवी के साथ और महिलाएं मुझसे बात करती हैं। वह कहती हैं मुझे पेंशन और बहुओं को माईयां सम्मान योजना का पैसा मिलता है।
वह कहती हैं हमारे यहां सबसे बड़ी परेशानी पानी की है। बड़ी बस्ती में कहीं-कहीं पर हैंडपंप लगा हुआ है। गलियों में पाइप लाइन बिछा दी गई है। एक घर में पानी आ भी रहा है तो आप देख लीजिए एक आधे लीटर की बैटरी एक आधे घंटे से भी ज्यादा समय में भरती है। क्या करें एक घर में हैंडपंप है वह लोग सिर्फ पीने का पानी देते हैं।
यहीं खड़ी एक महिला कहती हैं चुनाव आते हैं सभी तरह-तरह के वायदे करते हैं। लेकिन कुछ होता नहीं है। अब पूरे पांच साल में महिलाओं को पैसा नहीं दिया गया। अब चुनाव नजदीक आते ही महिलाओं को सभी पार्टियां पैसे देना का वायदा कर रही हैं। पहले किसी ने कुछ नहीं सोचा।
(गांडेय से पूनम मसीह की रिपोर्ट।)
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