कर्नाटक का चुनाव परिणाम देश का राजनीतिक स्वरूप और लोगों का मूड बदल देगा: मल्लिकार्जुन खड़गे

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व्यक्तिगत रूप से आपके लिए अपने गृह राज्य कर्नाटक का विधानसभा चुनाव जीतना कितना महत्वपूर्ण है?

मैं व्यक्तिगत सफलता के बजाय देश हित में इस चुनाव को जीतना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण मानता हूं। देश कई समस्याओं का सामना कर रहा है। लोकतांत्रिक मानदंडों का उल्लंघन किया जा रहा है, संविधान की अनदेखी की जा रही है, स्वायत्त निकायों का दुरुपयोग किया जा रहा है और केवल कर्नाटक में ही नहीं, बल्कि कई जगहों पर भी कानून और व्यवस्था नहीं है। जो लोग राज्यों और देश पर शासन कर रहे हैं वे मौजूदा कानूनों की अनदेखी कर रहे हैं। कार्यपालिका और न्यायपालिका को कानूनों को लागू करने की अनुमति देने के बजाय, वे नियमों और विनियमों को अपने हाथ में ले रहे हैं। इसलिए यह चुनाव जीतना बहुत जरूरी है। मेरे और मेरे राज्य के लिए ही नहीं बल्कि देश की प्रतिष्ठा के लिए, यह चुनाव जीतना बहुत जरूरी है। यह चुनाव निश्चित रूप से पूरे देश के राजनीतिक स्वरूप और लोगों के मूड को बदल देगा।

सिद्धारमैया से लेकर डी.के. शिवकुमार के अनुसार मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरा चुनने की बात आने पर कांग्रेस गुटों में बंटी नजर आ रही है। हालांकि आपने कोलार की रैली में इस मुद्दे को साफ किया। फिर भी आपका नाम आता रहता है।

मेरा नाम हमेशा आता है। यहां तक कि सत्तारूढ़ सरकार भी लोगों का ध्यान भटकाने के लिए मेरा नाम लेती है क्योंकि वे सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रहे हैं। अब मैं एआईसीसी(अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) का अध्यक्ष हूं और मेरे पास इतने सारे मुख्यमंत्रियों को नियुक्त करने की शक्ति है। लेकिन फिर भी पत्रकार मुझसे पूछ रहे हैं, ‘क्या आप सीएम बनने जा रहे हैं?’ अब मैं देखना चाहता हूं कि मेरी पार्टी राज्यों में सत्ता में आए और जिसे विधानसभा में बहुमत मिले, चुने हुए विधायक और आलाकमान तय करेंगे कि कौन सीएम बनेगा। 

हमने जिला कांग्रेस अध्यक्षों, स्थानीय नेताओं सहित कई लोगों से मशविरा किया है और सभी इस चुनाव प्रक्रिया में शामिल हैं। यह सिर्फ सिद्धारमैया और शिवकुमार के बारे में नहीं है। कोई विवाद नहीं है, लेकिन विचारों में मतभेद होंगे और हमने उन्हें सुलझा लिया है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर हमला करते रहते हैं, लेकिन आपकी पार्टी ने आरएसएस के एक व्यक्ति और भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार के शामिल होने के कुछ ही मिनटों के भीतर टिकट दे दिया।

यह एक व्यक्तिगत मामला है। राहुल जी और मैं अभी भी आरएसएस का विरोध करते हैं। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विचारधारा का विरोध करता हूं। अगर नेता यह कहकर आ जाए कि मैं आपके नेतृत्व और विचारधारा को स्वीकार करता हूं तो स्वाभाविक रूप से पार्टी माइनस और प्लस प्वाइंट तोलकर फिर उसे ले लेती है। उदाहरण के लिए, वीरेंद्र पाटिल कलबुर्गी में एक अलग पार्टी में थे। हमने लंबे समय तक एक-दूसरे का विरोध किया लेकिन वह कांग्रेस में शामिल हो गए और मैडम इंदिरा गांधी ने हमें उनका समर्थन करने के लिए कहा। हमने उनका समर्थन किया। ऐसी बातें होती हैं। हम ऐसे मामलों को मेरिट पर लेते हैं।

कांग्रेस लिंगायत  जैसे महत्वपूर्ण समुदायों तक पहुंच बना रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनके बीच में बहुत लोकप्रिय हैं। आप इसका मुकाबला कैसे करेंगे?

यह एक राज्य का चुनाव है और लोगों ने पार्टी का विरोध किया और भाजपा सरकार को बताना चाहिए कि उन्होंने कर्नाटक के साथ क्या किया है। उन्हें कितना निवेश मिला, उन्होंने कितना बुनियादी ढांचा तैयार किया, उन्होंने कितना सिंचाई का विकास किया, कितनी सड़कें बनाईं। भारत की सिलिकॉन वैली कहे जाने वाले बंगलुरु शहर का रखरखाव कैसे किया। ‘40% कमीशन’ का भ्रष्टाचार क्यों है? हम पूछ रहे हैं कि आप लोगों ने अपने शासन में क्या किया। बीजेपी नेता मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं। क्या मोदी प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने वाले हैं? 

जबकि कांग्रेस स्पष्ट बहुमत के प्रति आश्वस्त दिखती है, राजनीतिक विश्लेषक त्रिशंकु विधानसभा से इंकार नहीं करते हैं, और भाजपा को जनता दल (सेक्युलर) से समर्थन मिल सकता है। इस पर आपके क्या विचार हैं?

हम अपनी सरकार बनाने जा रहे हैं। हम किसी पर निर्भर नहीं हैं। निश्चित तौर पर हमें बहुमत मिलेगा और यही हमारा आकलन है और यही हमारा सर्वे कहता है। इसलिए अगर कोई कहे कि हमें इतना बहुमत नहीं मिलने वाला है और वह त्रिशंकु हो जाएगा, तो मैं नहीं मानता।

कर्नाटक चुनाव शायद इस साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे दूसरे विधानसभा चुनावों के लिए टोन सेट करेगा। राजस्थान में कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के बीच खुली और तीखी खींचतान देखने को मिल रही है। आप इसका समाधान कैसे करेंगे?

हमारे लोग और हमारे प्रभारी सचिव भी उन तक पहुंच रहे हैं, और उन्हें एक साथ लाने के लिए विचार-विमर्श चल रहा है। देखिए, मैं आपको एक और बात बताना चाहता हूं। पार्टी एक या दो व्यक्तियों पर निर्भर नहीं रहेगी। पार्टी संस्था है और संस्था में कुछ व्यक्ति आते हैं और चले जाते हैं। अपनी पार्टी में मैंने तीन-चार बंटवारे देखे हैं, लेकिन यहां मैं जो संदेश देना चाहता हूं वह यह है कि अनुशासन बनाए रखें, पार्टी से जो कुछ भी मांगना है, नियमसंगत तरीके से और सही मंच पर मांगें। परंपरागत रूप से एक आलाकमान होता है, एक कार्यसमिति होती है, प्रभारी सचिव होते हैं, इतने सारे लोग शामिल होते हैं। किसी को यह नहीं सोचना चाहिए कि पार्टी में एक व्यक्ति ही सब कुछ है। मैं इससे सहमत नहीं हूं। मैं 55 साल बाद इस मुकाम पर पहुंचा हूं। कांग्रेस में किसी को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।

आपने नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, शरद पवार से मुलाकात की और अरविंद केजरीवाल से बात की। लेकिन तृणमूल कांग्रेस, बीआरएस, समाजवादी पार्टी जैसी पार्टियां कांग्रेस के नेतृत्व की भूमिका लेने का विरोध कर रही हैं। क्या कांग्रेस नेतृत्व पर अपना दावा छोड़ने को तैयार है?

हमने न तो दावा किया और न ही किसी को बताया कि हम आपका नेतृत्व कर रहे हैं। हम बीजेपी-आरएसएस को हराने में रुचि रखते हैं और जो भी इस प्रक्रिया में या इस आंदोलन में आना चाहेगा, हम उसका स्वागत करेंगे। संविधान बचाने के लिए सैकड़ों सांसद चाहिए। उसके लिए हम समान विचारधारा वाली पार्टियों का समर्थन चाहते थे। यदि कोई नहीं आना चाहता है तो यह उन पर छोड़ दिया गया है, जनता उनके प्रदर्शन का आकलन करेगी।

क्या हम विपक्षी दलों को भाजपा के खिलाफ साझा उम्मीदवार खड़ा करते देखेंगे?

सभी को सवार कर भविष्य में यात्रा का तरीका तय किया जाएगा। हमने कुछ पार्टियों को कुछ कार्य दिए हैं जहां हम सीधे संपर्क नहीं कर सकते हैं और हम दूसरों से बात करेंगे। वह (संयुक्त उम्मीदवारों की संभावना) बाद में तय की जाएगी।

कांग्रेस ने सामाजिक न्याय और जातीय जनगणना का मुद्दा उठाया है। क्या जाति कार्ड बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड के लिए विपक्ष का काउंटर बनने जा रहा है?

यह सच नहीं है। हम समाज के कल्याण के लिए हैं, वोट लेने के लिए नहीं। हम चाहते हैं कि ओबीसी, एससी/एसटी और अल्पसंख्यकों को सही लाभ मिले। सभी कल्याणकारी उपायों को समान रूप से बांटा जाना चाहिए। जातिगत जनगणना के सामने आने के बाद हम अलग-अलग समुदायों के जीवन स्तर को जानेंगे। प्रति व्यक्ति आय, जमीन के अधिकार का आकार, शिक्षा, प्रत्येक जाति में पेशेवर और उच्च पदों पर ये सभी चीजें सामने आएंगी और आप उसी के अनुसार कौशल विकास कार्यक्रम की योजना बना सकते हैं।

2019 से पहले राफेल मुद्दे की तरह, राहुल गांधी ने अडानी मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया है। क्या ये मुद्दे 2024 के लिए मतदाताओं पर असर डालेंगे?

फिर हम सिर्फ चुनाव की ही बात क्यों कर रहे हैं? हम जनता के हित में मुद्दे उठा रहे हैं और जनता के पैसे लिए जा रहे हैं। हम संसद के माध्यम से लोगों को समझाना चाहते थे कि यह वह पैसा है जो आपने जीवन बीमा निगम में निवेश किया है या बैंक में जमा किया है, लेकिन नियमों में ढील देकर वह पैसा किसी और की जेब में जा रहा है। इसलिए देशहित में हम विरोध कर रहे हैं। राहुल गांधी ने पूछा कि शेल कंपनियों में निवेश के लिए आपको 20,000 करोड़ रूपये कहां से मिले। उन्होंने पूछा कि वह (गौतम अडानी) आपके साथ कितनी बार आए (मि. मोदी)। ऐसे सवाल सरकार के लिए शर्मनाक हैं। इसलिए, उन्होंने उन्हें संसद से अयोग्य घोषित कर दिया।

( द हिंदू में 21 अप्रैल को प्रकाशित मल्लिकार्जुन खडगे का साक्षात्कार। अनुवाद- कुमुद प्रसाद)

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