Wednesday, April 24, 2024

‘कश्मीर टाइम्स’ की संपादक अनुराधा भसीन के घर पर गुंडों का तांडव

नई दिल्ली। रविवार को कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन के घऱ को पूरा तहस-नहस कर दिया गया। उनका कहना है कि जब वह घर लौटीं तो अपने घर के भीतर डॉ. इमरान गनई नाम के एक शख्स को देख कर चकित रह गयीं। दिलचस्प बात यह है कि उसके साथ कुछ सुरक्षाकर्मी भी मौजूद थे।

रविवार की अपनी एक फेसबुक पोस्ट में उन्होंने इस घटना का पूरा जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि “आज पूर्व एमएलसी शहनाज गनई के भाई डॉ. इमरान गनई के नेतृत्व में कुछ गुंडे सरकार द्वारा वजारत रोड पर सन 2000 से आवंटित मेरे फ्लैट में घुस गए और उन्होंने इस्टेट डिपार्टमेंट और कुछ पुलिसकर्मियों की मदद से मेरे गहनों, सिल्वर के सामानों और कुछ कीमती वस्तुओं की चोरी की। कुछ पुलिसकर्मी सिविल ड्रेस में इस लूट में उनकी मदद कर रहे थे। वे हर कमरे में मौजूद थे और जब मैंने उनकी फोटो लेने की कोशिश की तो वो अपना चेहरा छुपाने लगे।”

अनुराधा भसीन ने आगे बताया है कि “बाद में जब हमने पीर मिट्ठा पुलिस स्टेशन के एसएचओ को फोन कर बुलाया तो वे सभी भाग गए। लेकिन फिर भी एसएचओ मेरी शिकायत दर्ज करने से हिचकिचा रहे थे और अपने तरीके से कानून तोड़ने वाले उन बदमाशों का पक्ष ले रहे थे। और गलत तरीके से इस बात का दावा करते हुए कि वे घर के आधिकारिक आवंटी हैं।”

उन्होंने बताया कि “मेरे सामनों को एक कमरे में डंप कर दिया गया था। यहां तक कि टूटने लायक सामानों को भी इधर-उधर फेंक दिया गया था। मुझको धक्का दिया गया और हर तरीके से पीछे हटाने की कोशिश की गयी लेकिन हमें अपनी आत्मरक्षा में उसका मुकाबला करना था”।

उनका कहना था कि यहां तक कि एसएचओ ने घर में प्रवेश करने से मना कर दिया जिससे कि वह घर में हुई लूट और तहस-नहस को अपनी आंखों से देख सकें। जिसमें किताबों के साथ मेरे फोटोग्राफ भी शामिल थे। बहुत बाद में जब मेरा वकील आया तब वह पुलिस स्टेशन में मेरी एक औपचारिक शिकायत दर्ज करने और घर का दौरा करके होने वाले नुकसान को अपनी आंखों से देखने के लिए तैयार हुए। यहां तक कि जब डॉ. इमरान गनई मेरे बिस्तर पर लेटा हुआ था तो पुलिस ने उसे बाहर करने तक में कोई मदद नहीं की। एक कमरे में उन लोगों ने चार लड़कियों को बंद कर रखा था। दरवाजे को खोलने के लिए हमें उनको तोड़ना पड़ा। जब हमने दरवाजा तोड़ा तो उनमें से एक ने चिल्लाना शुरू कर दिया और फिर भाग गयीं”। 

हाल के सालों में शहनाज गनई और उनके परिवार के सदस्यों को इलाके में पांच से ज्यादा फ्लैट आवंटित किए गए हैं। किस आधार पर? उनके खिलाफ पहले भी इस तरह के अवैध रूप से घुसने और चोरी करने के मामले दर्ज हैं? क्या इस्टेट डिपार्टमेंट किसी क्वार्टर को बगैर कारण बताओ नोटिस जारी किए अगले को आवंटित कर सकता है। और इस तरह से पहले के आवंटी को बगैर सूचना दिए और उसको अपना सामान खाली करने का मौका दिए बगैर क्या इस काम को कर सकता है? उनका कहना है कि इस्टेट डिपार्टमेंट चोरी को बढ़ावा दे रहा है। पुलिस विभाग के कुछ अफसर जानबूझकर इन सब चीजों से अपनी आंखें बंद कर ले रहे हैं। 

यह अपार्टमेंट पहले उनके पिता वेद भसिन के नाम से आवंटित था। जिन्हें जम्मू-कश्मीर में अंग्रेजी पत्रकारिता के ‘ग्रैंड ओल्ड मैन’ का दर्जा हासिल था। जब अनुराधा एक स्थापित पत्रकार हो गयीं तो घर को उनके नाम से आवंटित कर दिया गया। अब सूबे के बदलते राजनीतिक माहौल खास कर अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद उनका काम सरकार की जांच के दायरे में आ गया है। अनुच्छेद 370 और संविधान की धारा 35 ए के खात्मे के बाद अनुराधा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 2020 में उन्होंने कहा था कि इलाके की अर्थव्यवस्था चौपट हो गयी है और वो सरकार पर भरोसा नहीं कर सकती हैं।

उनके घर पर हुए इस हमले को इन्हीं सारी चीजों से जोड़कर देखा जा रहा है। वैसे भी आज तक उनके साथ इस तरह की घटना नहीं घटी। और आमतौर पर जब किसी को धमकी देनी होती है या फिर परेशान करना होता है तो इसी तरह के तरीके अपनाए जाते हैं।

अनुराधा ने सबरंग को बताया कि हालांकि वह कानून की प्रक्रिया में विश्वास करती हैं लेकिन वह इस बात को लेकर चकित थीं कि आवंटन की स्थिति को लेकर उन्हें कोई नोटिस नहीं दी गयी या फिर खाली करने की नोटिस तक नहीं दी गयी। और इससे भी ज्यादा उन्होंने इस बात पर सवाल उठाया कि क्यों शहनाज गनई (जिसका भाई इमरान गनई उनके कमरे में था) को एक इलाके में 5 से ज्यादा फ्लैट आवंटित किए गए हैं।

भसीन ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि पूरी घटना उन्हें चुप कराने की कोशिश का हिस्सा है। क्योंकि वह केंद्र और सूबे के प्रशासन की आलोचना करती रही हैं। उन्होंने कहा कि “यहां एक बिल्कुल साफ-साफ पैटर्न है। यह एक खुला उत्पीड़न का मामला है लेकिन मैं एक चीज कहना चाहती हूं- मैं बहुत मजबूत हूं और कतई झुकने नहीं जा रही हूं”।  

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