Friday, March 29, 2024

देश भर में मनाया जा रहा है ‘किसान एकता दिवस’, कश्मीर से कन्याकुमारी तक आंदोलन पहुंचाने का संकल्प

किसान आंदोलन के आज 94वें दिन मजदूर किसान एकता दिवस मनाया जा रहा है। कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलांगना से किसानों का एक जत्था कल सिंघु बॉर्डर पहुंचा। वहीं किसान पंचायतों काका दायरा पंजाब, हरियाणा उत्तर प्रदेश से बढ़ते हुए राजस्थान के करौली, टोडा भीम पदमपुर, घड़साना और तेलंगाना के निजामाबाद तक जा पहुंची है। किसानों ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक 8308 किलोमीटर लंबा साइकिल मार्च निकालकर 20 राज्यों के लोगों को जागरूक करने के एलान किया है। 12 मार्च को इस साइकिल यात्रा की शुरुआत की जाएगी।

कुछ बुजुर्ग किसान कानून के खिलाफ़ विरोध दर्ज कराने के लिए एक बॉर्डर से दूसरे बॉर्डर तक हाथों में मशाल लिए सड़कों पर उतरे हैं, और बीते सात दिनों में ये सभी चारों बॉर्डर पर पहुंच अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं।

शुक्रवार को पंजाब के मानसा से चलकर टीकरी बॉर्डर पहुंचे बलजीत सिंह और मनवीर कौर ने अपनी शादी में मिली पूरी शगुन राशि किसान आंदोलन के समर्थन में संयुक्त किसान मोर्चा को सौंप दी। बॉर्डर पर किसानों की सभा के मंच पर धरना संचालकों ने यह राशि ग्रहण की।

नवविवाहिता मनवीर कौर ने कहा कि अपनी शगुन राशि को किसानों के लिए भेंट करके वह सुखी जीवन का आशीर्वाद ले रही हैं। आंदोलन की सफलता से किसानों का भला होगा, और किसानों के भले से ही हम सबका भला होगा, जबकि बलजीत सिंह ने कहा कि खेती की सफलता में ही हमारी खुशी है।

बता दें कि किसान आंदोलन को लोग अपने तरीके से समर्थन दे रहे हैं। कोई अपने घर से दूध-दही और लस्सी लेकर आ रहा है, तो कोई सब्जी का दान कर रहा है। नकदी के रूप में कई लोग अपना एक महीने का तो कोई एक दिन का वेतन दान कर रहा है। दो व्यक्तियों ने अपने घर में पुत्र जन्म की खुशी में नकद राशि दान की तो कुछ लोग विवाह अवसर पर आंदोलन में नकद राशि भेंट कर रहे हैं।

वहीं आज तक न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा को अपने सूत्रों से किसान आंदोलन को लेकर जो फीडबैक मिला है, वह बीजेपी के लिए अच्छा नहीं है। पश्चिमी यूपी में जिस तरह से फीडबैक मिल रहा है, उसके मुताबिक, अगर किसान आंदोलन लंबा चलेगा तो 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी का जाट वोट बैंक खिसक सकता है। हरियाणा में जाटों की नाराजगी की असली वजह हरियाणा का नेतृत्व है और कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन ने ये नाराजगी और बढ़ा दी है। वहीं पश्चिमी यूपी में जाटों की नाराज़गी इस कारण भी बढ़ी है कि गन्ने पर मिलने वाली सब्सिडी को भी नहीं बढ़ाया गया है। इसके साथ-साथ गन्ना किसानों के बकाया पैसों का भुगतान भी नहीं किया गया है।

ऐसे में किसान आंदोलन लंबा चला तो जाट और मुस्लिम वोट बैंक एकजुट होने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। पश्चिमी यूपी में ही नहीं, बल्कि जिन-जिन प्रदेशों में भी जाट हैं, वे अन्य जातियों को भी प्रभावित करने में सक्षम हैं। पार्टी को जमीन पर लोगों को समझाना पड़ेगा कि तीनों कृषि कानून किसान के लिए फायदे का सौदा हैं, इसका बड़े स्तर पर प्रचार करना होगा। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से किसानों समेत सभी वर्गों में सरकार के खिलाफ नाराज़गी बढ़ रही है।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles