किसान मोर्चे ने किया जंतर-मंतर पर किसान संसद का आयोजन, संसद परिसर में भी प्रदर्शन

Estimated read time 1 min read

नई दिल्ली। दिल्ली के तीनों बार्डरों पर पिछले सात महीनों से जमे किसानों ने 26 जनवरी के बाद आज पहली बार दिल्ली में प्रवेश कर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। दिल्ली पुलिस प्रशासन ने आज 200 किसानों के प्रदर्शन की इजाजत दी थी। जिसका पालन करते हुए किसानों ने अपना कार्यक्रम आयोजित किया। इस दौरान पुलिस ने सुरक्षा के विशेष बंदोबस्त किए थे। संसद सत्र के चलते यह कड़ाई कुछ ज्यादा ही हो गयी थी। जिसका नतीजा यह रहा कि बहुत सारे मीडिया के लोगों को पूरा कार्यक्रम कवर करना मुश्किल हो गया।

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आयोजित इस किसान संसद में उपस्थित किसानों के तेवर बेहद कड़े थे।

किसान संसद में किसानों ने भारत सरकार के मंत्रियों के खोखले दावों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि हमने यह नहीं स्पष्ट किया है कि तीन कानूनों के साथ हमारी चिंता क्या है। हम केवल इनको पूरी तरह से खत्म करने की मांग पर डटे हैं। एपीएमसी बाइपास अधिनियम पर चर्चा करते हुए, किसान संसद में भाग लेने वालों ने कानून की असंवैधानिक प्रकृति, भारत सरकार की अलोकतांत्रिक प्रक्रियाओं, और कृषि आजीविका पर कानून के गंभीर प्रभावों के संबंध में कई बिंदु उठाए। इस मौके पर किसान नेताओं ने इस कानून के किसान विरोधी हर पहलुओं पर बात रखी। और कहा कि इसका निरस्त होना ही एक मात्र रास्ता है।

संसद के बाहर संसद परिसर में भी आज किसानों का मुद्दा गूंजा। जब किसान आंदोलन के समर्थन में सांसदों ने सुबह गांधी प्रतिमा पर पार्टी लाइन से हटकर विरोध प्रदर्शन किया। वे किसानों द्वारा जारी पीपुल्स व्हिप का पालन कर रहे थे। कई सांसदों ने किसान संसद का दौरा भी किया। जैसा कि किसान आंदोलन में होता रहा है, एसकेएम नेताओं ने किसानों के संघर्ष को समर्थन देने के लिए सांसदों को धन्यवाद दिया, लेकिन सांसदों को मंच या माइक का समय नहीं दिया गया। इसके बजाय उनसे संसद के अंदर किसानों की आवाज बनने का अनुरोध किया गया।

सिरसा में सरदार बलदेव सिंह सिरसा का अनिश्चितकालीन आमरण अनशन आज पांचवें दिन में प्रवेश कर गया। वे अस्सी वर्ष के हैं। उनकी सामान्य स्वास्थ्य स्थिति कमजोर हो गई और बिगड़ गई है। उनका वजन छह किलो कम हो गया है, और उनके बीपी और ग्लूकोज के स्तर में काफी गिरावट आई है। उन्होंने यह कहते हुए उपवास शुरू किया था कि या तो वे अपने साथियों की रिहाई सुनिश्चित करेंगे या इसके लिए अपनी जान दे देंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने सरदार बलदेव सिंह सिरसा को कुछ भी होने पर आंदोलन की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया की हरियाणा सरकार को चेतावनी दी और कहा कि उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा पूरी तरह से हरियाणा सरकार की जिम्मेदारी है। एसकेएम ने एक बार फिर मांग की है कि गिरफ्तार किए गए युवा किसान नेताओं को अविलम्ब रिहा किया जाए, और सरकार द्वारा बिना किसी देरी के मामलों को वापस लिया जाए।

संयुक्त किसान मोर्चा कल गडग जिले के नरगुंड में शहीद स्मारक बैठक के बाद एक दुर्भाग्यपूर्ण सड़क दुर्घटना में मारे गए कर्नाटक राज्य रैयत संघ के दो वरिष्ठ नेताओं, टी रामास्वामी और रमन्ना चन्नापटना के प्रति गहरा सम्मान और संवेदना प्रकट किया है। एसकेएम ने कहा कि उनका निधन कर्नाटक में किसान संगठनों और किसान आंदोलन के लिए एक गहरी क्षति है।

भारत सरकार ने दालों पर लगाए गए भण्डारण की सीमा में ढील देते हुए दावा किया है कि कुछ नियामक और आयात संबंधी फैसले लिए जाने के बाद खुदरा कीमतों में कमी आई है। एसकेएम ने सरकार को याद दिलाया है कि यह ठीक उसी तरह का नियामक प्रावधान है जो कि आम नागरिकों के हित के लिये सरकार के पास होना चाहिए। एसकेएम ने कहा कि उसकी लड़ाई अविनियमन (डी-रेगुलेशन) के खिलाफ है जो किसानों और उपभोक्ताओं की कीमत पर जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों को फायदा पहुंचाती है, और अन्य दो केंद्रीय कानूनों के साथ आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 को पूर्ण रूप से निरस्त करने की अपनी मांग को दोहराया। एसकेएम ने बताया कि किसानों के आंदोलन के कारण सुप्रीम कोर्ट द्वारा कानून पर रोक लगाने के कारण ही सरकार ऐसे कुछ उपाय करने में सक्षम है।

जारीकर्ता – बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author