अखिल भारतीय किसान महासभा ने खाद्य, उपभोक्ता मामलों और पीडीएस से सम्बंधित संसदीय स्थाई समिति द्वारा आवश्यक वस्तु (संशोधित) अधिनियम 2020 को लागू करने की सिफारिश किये जाने की कड़े शब्दों में निंदा की है। मोदी सरकार ने पांच राज्यों के चुनाव के बीच कम समय में यह बैठक बुलाई ताकि विपक्ष के सदस्यों की इसमें भागीदारी न हो सके।
अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा ने आरोप लगाया कि स्थाई संसदीय समिति का यह कदम मोदी सरकार के दबाव में लिया गया है। यह कारपोरेट कंपनियों और जमाखोर बड़ी पूंजी के मालिकों के हित में है। यह पीडीएस सिस्टम को समाप्त कर गरीब की थाली से रोटी छीनने और खाद्य वस्तुओं को अति मुनाफे के उपभोक्ता माल में बदलने का कानून है। यह 135 करोड़ की हमारी आबादी जिसमें 56 प्रतिशत लोग कुपोषण के शिकार हैं, की खाद्य सुरक्षा पर बड़ा हमला है।
किसान सभा ने कहा कि मोदी सरकार एक तरफ किसानों से वार्ता को एक टेलीफोन की दूरी बता रही है, दूसरी तरफ इन कानूनों को जल्दबाजी में लागू करने पर जोर दे रही है। केंद्र सरकार का यह कदम चार माह से दिल्ली के बॉर्डरों और देश भर में आंदोलन में डटे किसानों की पूर्ण उपेक्षा को दर्शाता है। किसान महासभा ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि वह तीनों कृषि कानूनों को तत्काल वापस ले, एमएसपी गारंटी कानून बनाए। ऐसा न होने पर किसान आंदोलन और भी तेज होगा।
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