नई दिल्ली। जिस बात की आशंका थी अब वह सामने है।देश को जाति-धर्म के नाम पर बांटने के बाद अब मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर को बांटने में लग गई है। अखंड भारत का सपना बेचने वाली बीजेपी का जम्मू-कश्मीर को खंड-खंड करने की योजना सामने है। कश्मीर पर बीजेपी की नीयत कभी साफ नहीं थी और राज्य की समस्याओं की समझ भी उसे नहीं है। कई दिनों से घाटी में भय औऱ दहशत का माहौल बनाने के बाद सरकार के अपने पत्ते खोल दिए हैं। कहावत है कि बंद मुट्ठी लाख की खुल गई को खाक की। मोदी सरकार की कश्मीर नीति खाक साबित हुई है।
देश के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ने तो देश को जोड़ा था। लोग उन्हें लौह पुरुष कहते हैं। लेकिन बीजेपी के जितने भी गृहमंत्री हुए सब अपने को लौह पुरुष कहलाना पसंद करते हैं। बीजेपी के नए लौह पुरुष का देश और राजनीति पर नजरिया तो पहले से ही समझ में आ गया था अब कश्मीर पर भी उनकी समझ साफ हो गई है। कश्मीर को बांट कर वह लौह पुरुष बनने का सपना देख रहे हैं।
आज राज्यसभा में भारी हंगामे के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की सिफारिश की है। गृहमंत्री शाह ने कहा कि राज्य में अनुच्छेद 370 का सिर्फ खंड एक बचा रहेगा जम्मू-कश्मीर अलग केंद्र शासित प्रदेश बनेगा और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा। उनके इस घोषणा के बाद राज्यसभा में जमकर हंगामा शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि अब इस मुद्दे पर राज्यसभा में वोटिंग हो सकती है। इससे पहले सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक हुई जिसमें प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और सुरक्षा से जुड़े अधिकारी शामिल थे। इसके बाद कैबिनेट की बैठक हुई। लेकिन कैबिनेट में क्या हुआ, यह किसी को पता नहीं है। दरअसल, कैबिनेट के निर्णय त की जानकारी देने के लिए होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस को टाल दिया गया।
यह सब अचानक नहीं हो रहा है। जम्मू-कश्मीर पर संघ-बीजेपी की राय कभी भी साफ नहीं थी। संघ हमेशा से कश्मीर को धर्म-संप्रदाय के चश्मे से देखता रहा है। संघ का एक संगठन “ जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र” है। जो लंबे समय से कश्मीर मामलों के अध्ययन का दावा करता रहा है, उसकी राय में जम्मू-कश्मीर को तीन भागों मुस्लिम बाहुल्य –कश्मीर, हिंदु बाहुल्य जम्मू और बौद्ध प्रभाव वाले लद्दाख को अलग-अलग करने की रही है। कमोबेश अमित शाह ने वही किया है।
आज राज्यसभा की कार्यवाही जब सुबह 11 बजे शुरू हुई तो सभापति एम वेंकैया नायडू ने गृह मंत्री अमित शाह से जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक पेश करने को कहा। इस पर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कश्मीर में कर्फ्यू है। तीन पूर्व मुख्यमंत्री नजरबंद कर दिए गए हैं। राज्य में हालात वैसे ही हैं, जैसे जंग के वक्त होते हैं। विधेयक तो पारित हो जाएगा। हम विधेयक के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हमें पहले कश्मीर के हालात पर चर्चा करनी चाहिए। हमने इसी को लेकर नोटिस भी दिया है। एक घंटे उस पर चर्चा होनी चाहिए।
आजाद के बयान पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर हर जवाब देने को तैयार हूं और यह विधेयक भी कश्मीर के संबंध में ही है। उन्होंने कहा कि इस सदन में पेश संकल्प के पारित होने के बाद, राष्ट्रपति के उस पर हस्ताक्षर और सरकारी गैजेट में उसके प्रकाशित होने के बाद जम्मू-कश्मीर के संबंध में अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे। अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्राप्त है, केंद्र सरकार रक्षा, विदेश और संचार जैसे अहम विषयों को छोड़कर राज्य के बाकी मामलों में दखल नहीं दे सकती। जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार देने वाला अनुच्छेद 35-ए भी अनुच्छेद 370 के अधीन ही आता है।
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