Thursday, April 25, 2024

देश की 20 पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं ने भी प्रशांत भूषण के साथ एकजुटता जाहिर की

नई दिल्ली। देश की 20 पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं द्वारा बयान जारी कर प्रशांत भूषण के साथ एकजुटता जाहिर की गई है। इसमें दिग्विजय सिंह (कांग्रेस), शरद यादव (लोकतांत्रिक जनता दल), फारूख अब्दुल्ला (नेशनल कांफ्रेंस ), सीताराम येचुरी (सीपीएम), यशवंत सिन्हा (पूर्व केंद्रीय मंत्री), डी राजा (सीपीआई), देवव्रत विश्वास (एआईएफबी), दीपांकर भट्टाचार्य (सीपीआई- एमएल), सैफुद्दीन सोज़ (पूर्व केंद्रीय मंत्री), शशि थरूर (सांसद), मनोज झा,सांसद (आरजेडी), दानिश अली,सांसद, पन्नालाल सुराणा (सोशलिस्ट पार्टी,इंडिया),

राजू शेट्टी (स्वाभिमानी पक्ष एसडब्ल्यूपी,महाराष्ट्र ), जिग्नेश मेवानी (विधायक, गुजरात), किशोर चंद्र देव (पूर्व केंद्रीय मंत्री), शेख अब्दुल रहमान (पूर्व सांसद), सुलेमान सोज़ (कश्मीर कांग्रेस), उपेंद्र कुशवाहा (आरएलएसपी, बिहार),कमल मोरारका (समाजवादी जनता पार्टी), लो-थुन श्याम गोहियां (गणमुक्ति संग्राम,असम), शंभू दयाल बघेल(एलएसपी), दर्शन सिंह खट्टर  सीपीआई (एम एल) न्यू डेमोक्रेसी के नेता शामिल हैं। यह जानकारी पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी।

वरिष्ठ नेताओं ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दो ट्वीट के आधार पर प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी करार दिए जाने पर दुख प्रकट करते हुए इसे लोकतांत्रिक संस्थाओं का क्षरण बताया है। सर्वोच्च न्यायालय एवं सभी संवैधानिक संस्थाओं के प्रति सम्मान और प्रतिबद्धता दोहराते हुए उन्होंने कहा है कि इस फैसले से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विरोध करने का अधिकार प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि प्रशांत भूषण पिछले तीन दशकों से संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए संघर्षरत रहे हैं, इसके बावजूद उनके ट्वीट को सकारात्मक आलोचना की जगह बदनीयत पूर्ण माना गया है।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार तथा विविधता पूर्ण विचारों की रक्षा करना हमारी प्रतिबद्धता है ताकि हर जागरूक नागरिक भय मुक्त समाज में अपने विचार प्रकट कर सके। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से अपील की है कि वह इस तरह की छवि बनाने से बचे कि हम ऐसे चुप कराने वाले युग में प्रवेश कर चुके हैं जिसमें प्रशांत भूषण जैसे संवैधानिक मूल्यों के प्रहरी तक को सजा दी जा सकती है।

डॉ सुनीलम ने बताया कि ‘ हम देखेंगे’ अभियान के तहत देश भर में हज़ारों स्थानों पर एकजुटता कार्यक्रम आयोजित किये गए। मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में भी प्रशांत भूषण के साथ एकजुटता कार्यक्रम आयोजित हुए।

नर्मदा घाटी में नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा कई स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किये गए। छिंदवाड़ा के वकीलों द्वारा जिलाधीश के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा गया। ग्वालियर में वकीलों ने प्रदर्शन कर एकजुटता जाहिर की। इंदौर, भोपाल, रीवा, मुलताई, विदिशा, सिवनी, बालाघाट सहित 25 जिलों में विभिन्न संगठनों द्वारा एकजुटता कार्यक्रम आयोजित किए गए। सभी कार्यक्रमों के दौरान अन्धविश्वास के खिलाफ संघर्ष करते हुए शहीद हुए डॉ नरेंद्र दाभोलकर को श्रद्धांजलि दी गई।

पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने फेसबुक लाइव से सम्बोधित करते हुए कहा कि सरकार बदलने के साथ सर्वोच्च न्यायालय का रुख बदलना चिंताजनक है। 2014 के पहले प्रशांत भूषण ने 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में याचिका लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से जांच करने को कहा। दूरसंचार मंत्री ए राजा को इस्तीफा देना पड़ा। जेल तक भेजे गए। कोर्ट ने स्पेक्ट्रम आवंटन भी रद्द कर दिया। प्रशांत भूषण ने कोल ब्लॉक आवंटन को यह कहकर सर्वोच्च अदालत ले गए, ‘नेताओं ने कुछ कंपनियों का फेवर किया है।’ जांच हुई। उसके भी आवंटन रद्द कर दिए गए।

प्रशांत भूषण गोवा में हो रहे अवैध लौह अयस्क खनन को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने खनन पर रोक लगा दी। लोकसभा में तत्कालीन विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त पीजे थॉमस की नियुक्ति पर सवाल उठाए। मामले को सुप्रीम कोर्ट प्रशांत भूषण ने पहुंचाया। कोर्ट ने थॉमस की नियुक्ति को अवैध बताया।

प्रशांत भूषण हिंदुस्तान और भारत पेट्रोलियम के निजीकरण के लिए संसद की मंजूरी अनिवार्य बनवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। याचिका मंजूर हुई। केंद्र को नियम बनाना पड़ा। लेकिन सरकार बदलने के बाद सर्वोच्च न्यायालय का रुख बदल गया। जस्टिस लोया की मौत की निष्पक्ष जांच के लिए प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तब सुनवाई से इनकार कर दिया गया । रफाल सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए प्रशांत भूषण ने याचिका दाखिल की। याचिका सुनवाई के योग्य नहीं माना गया ।

सूचना आयुक्तों के खाली पदों को भरने के लिए प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट गए कोई कार्यवाही नहीं हुई। प्रशांत भूषण ने लॉकडाउन के कारण पलायन करने वाले लाखों कामगारों के मौलिक अधिकार लागू कराने हेतु  कोर्ट का दरवाजा खटखटाया सुनवाई नहीं हुई।

अदालत ने दो टूक कहा ‘आपको व्यवस्था पर भरोसा ही नहीं है।’ बात यहीं नहीं रुकी जब भाजपा नेता की 50 लाख की बाइक पर बैठे मुख्य न्यायाधीश पर प्रशांत भूषण ने सवाल उठाते हुए ट्वीट किए तो न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उन्हें अवमानना का दोषी घोषित कर दिया। डॉ. सुनीलम ने कहा कि यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की न्यायमूर्तियों को आरटीआई के दायर में लाने और उन्हें अदालत की वेबसाइटों पर अपनी संपत्ति के बारे में बताने को बाध्य कराने के केस में प्रशांत भूषण द्वारा पैरवी किये जाने के कारण न्यायालय उनसे नाराज हो गया है।

उन्होंने कहा कि अवमानना के प्रकरण में दोषी  ठहराए जाने के बाद न्याय पालिका की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिकरण पर आज पूरे देश मे बहस शुरू हो गई है। डॉ. सुनीलम ने कहा कि यदि आम नागरिक को विधायिका, कार्यपालिका और मीडिया की आलोचना करने का अधिकार है तो न्यायपालिका की आलोचना का अधिकार क्यों नहीं होना चाहिए। अवमानना को आलोचना माना जाना गलत है। 

उन्होंने कहा देश और दुनिया भर में भारतीय नागरिकों ने प्रशांत भूषण के समर्थन में जो कार्यक्रम किए हैं उससे साफ हो गया है कि हर भारतीय, लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं है। इमरजेंसी लगाने के बाद हुए चुनाव में जो लोकतांत्रिक चेतना देश में देखी गई थी, आज वही चेतना फिर से दिखलाई पड़ रही है।

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