Saturday, April 20, 2024

सामाजिक न्याय की गाड़ी के इंजन साबित होंगे वाम दल

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के प्रमुख घटक के रूप में वाम दलों ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर समाजिक न्याय के आंदोलन में एक नई उम्मीद जगा दी है। चुनाव मैदान में वाम दलों के उतरे 29 उम्मीदवारों में से 16 ने जीत हासिल की है। जबकि दो सीटों पर जीत व हार का अंतर 500 से एक हजार के बीच रहा है। इसमें सीपीआई (एमएल) ने 12 सीटों पर अपनी जीत दर्ज कराई है।

चुनावी नतीजे के मुताबिक महा गठबंधन को कुल 110 सीटों में मिली जीत में वामपंथी दलों की 16 सीटों की हिस्सेदारी है। वाम दलों के लिए वर्ष 1995 के विधानसभा चुनाव के बाद की यह सबसे बड़ी जीत है। इस बार चुनाव मैदान में सर्वाधिक सीपीआई (एमएल) ने 19 प्रत्याशी उतारे थे। जिसमें 12 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। जबकि सीपीआई को अपनी 6 सीटों व सीपीएम को अपनी चार सीटों में से दो- दो पर विजय मिली है।

भाकपा माले के विधायक दल के नेता महबूब आलम 104480 मत पाकर तकरीबन चौवन हजार के अंतर से चुनाव जीते हैं। इनके प्रतिद्वंदी वीआईपी के वरुण कुमार झा को उनसे आधे वोट ही मिले हैं। जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय नई दिल्ली के छात्रसंघ महासचिव रहे संदीप सौरभ ने सीपीआई (एमएल) की पालीगंज सीट से बेहतर प्रदर्शन कर जीत हासिल की है। संदीप ने 6 7917 मत पाकर जदयू के जयवर्धन यादव को 30915 मतों से पराजित किया। सीपीआई (एमएल) के ही गोपाल रविदास ने फुलवारी सीट से जीत हासिल की है। उन्होंने यहां से जदयू के उम्मीदवार अरुण माझी को पराजित किया। भोजपुर जिले के अगिआंव से भाकपा माले के लोकप्रिय प्रत्याशी मनोज मंजिल ने 86327 मत पाकर शानदार जीत हासिल की है।

भोजपुर जिले की तरारी सीट पर माले के सुदामा प्रसाद ने निर्दलीय हरेंद्र कुमार पांडे को हराकर अपनी पार्टी को जी दिलाई है। बक्सर की डुमराव सीट पर भी सीपीआई (एमएल) ने जीत हासिल की है। यहां अजीत कुमार सिंह ने जदयू के अंजू आरा को शिकस्त दी है। सीपीआई (एमएल) को घोषी सीट पर भी विजय मिली है। यहां से राम बली यादव ने जदयू के राहुल कुमार को पराजित किया है। सिवान के दरौली सीट पर माले के सत्यदेव राम ने एक बार फिर जीत दर्द की है। वह चौथी बार बिहार विधानसभा में जीतकर पहुंचे हैं। उन्होंने भाजपा के रामायण माझी को पराजित किया। भाकपा माले के जन संगठन अखिल भारतीय नौजवान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अमरजीत कुशवाहा ने जीरादेई से अपनी पार्टी को जीत दिलाई है। अमरजीत ने 69642 वोट पाकर जदयू की कमला सिंह को हराया। माले के ही महानंद प्रसाद एक बार फिर चुनाव जीते हैं। इन्होंने बीजेपी के दीपक शर्मा को पराजित किया।

उधर, सीपीएम के सतेंद्र यादव ने रामप्रताप सिंह को हराकर जीत हासिल की है । सीपीआई के अवधेश कुमार राय ने बीजेपी के सुरेंद्र महतो को तथा सीपीआई के ही सूर्यकांत पासवान ने बीजेपी के रामाशंकर यादव को पराजित किया है।

गोपालगंज के भोरे सुरक्षित सीट से जितेंद्र पासवान को 1000 से भी कम अंतर से हार का सामना करना पड़ा। उधर, बेगूसराय के बछवारा सीट पर सिपाई के अवधेश राय को 737 मतों के अंतर से हार मिली है। हालाकि भोरे व बछवारा सीट पर मतगणना को लेकर धांधली की वाम दलों ने चुनाव आयोग से शिकायत करते हुए पुन: मतगणना की मांग की है।

वाम दलों ने मजबूत सामाजिक आधार का कराया एहसास

बिहार के राजनीतिक स्थितियों पर गौर करें तो तीन दशक पहले तक बिहार विधानसभा में सीपीआई और सीपीएम की दमदार मौजूदगी रही है। 1972 में 35 विधायकों वाली सीपीआई को राज्य विधानसभामें मुख्य विपक्ष का दर्जा मिला था।

1967 से 1990 तक सदन में 22 से लेकर 26 सीटों तक सीपीआई के विधायक रहे। लेकिन इसके बाद लगातार सीटों की संख्या सिमटती गई।

1990 में सीपीआई (एमएल) तत्कालीन इंडियन पीपुल्स फ़्रंट ने सात विधायकों के साथ विधानसभा में प्रवेश लिया।

इसके बाद से सीपीआई-एमएल ने 1990 से अब तक कभी 7,  कभी 6, तो कभी 5 सीटें ले कर सदन में अपनी उपस्थिति बरक़रार रखी है। इस बार महागठबंधन में शामिल वामपंथी दलों में सबसे अधिक 19 सीटों पर सीपीआई (एमएल), सीपीआई ने 6 व सीपीएम ने 4 उम्मीदवार दिए थे। जिसमें से कुल 16 सीटों पर विजय हासिल की है। वाम दलों के लिए वर्ष 1995 के बाद की यह सबसे बड़ी सफलता है।

इससे एक बार फिर साबित हो चुका है कि बिहार में एक बड़े सामाजिक आधार के बीच वाम दलों का संगठन मौजूद है। जिसे आरजेडी जनाधार के जुड़ने पर यह बड़ी कामयाबी मिली। इससे एक बात और चर्चा में है कि वाम दलों की संयुक्त पहल पर सामाजिक न्याय के आंदोलन को आगे बढ़ाया जा सकता है। जिससे कि आज भी समाज के हाशिये पर रह रहे सामाजिक तबकों को मुख्यधारा में शामिल कर उनके अधिकारों की लड़ाई तेज की जा सकती है।

वाम दलों को खारिज करना ठीक नहीं

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि वाम दलों को खारिज करना गलत साबित हुआ। अगर वामपंथी पार्टियों को बिहार में चुनाव लड़ने के लिए और सीटें मिलतीं तो वे इससे भी ज्यादा सीटें जीतते। उन्होंने एक समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि बिहार में हमारा स्ट्राइक रेट 80 फीसदी है। अगर हमें और सीटें मिलतीं तो हम इससे भी ज्यादा सीटें जीतते। राजद और कांग्रेस के साथ हमारा गठबंधन सामाजिक और आर्थिक न्याय पर आधारित है। एक के बिना दूसरे की कल्पना नहीं की जा सकती। उधर सीपीआई (एमएल) का भी कहना है कि महा गठबंधन में कांग्रेस व वाम दलों को 50 -50 सीटें अगर मिली होतीं तो और बेहतर परिणाम आता।

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में महागठबंधन में शामिल वाम दलों का प्रदर्शन (स्रोत : भारत निर्वाचन आयोग):

भाकपा (माले) : लड़ी 19, जीती 12;

[क्रम : सीट/प्रत्याशी/प्राप्त मत/स्थान/जीत व हार का अंतर]

1. बलरामपुर/महबूब आलम/1,04,489/जीते/53,597.

2. दरौली/सत्यदेव राम/81,067/जीते/12,119.

3. तरारी/सुदामा प्रसाद/73,945/जीते/11,015.

4. अगिआंव/मनोज मंजिल/86,327/जीते/48,550.

5. डुमरांव/अजीत कुशवाहा/71,320/जीते/24,415.

6. काराकाट/अरुण सिंह/82,700/जीते/18,189.

7. पालीगंज/संदीप सौरभ/67,917/जीते/30,915.

8. फुलवारी/गोपाल रविदास/91,124/जीते/13,857.

9. अरवल/महानंद प्रसाद/68,286/जीते/19,950.

10. घोषी/रामबली सिंह/74,712/जीते/17,333.

11. जीरादेई/अमरजीत कुशवाहा/69,442/जीते/25,510.

12. सिकटा/वीपी गुप्ता/49,075/जीते/2302.

13. भोरे/जितेंद्र पासवान/72,524/द्वितीय/462.

14. आरा/कयामुद्दीन/68,779/द्वितीय/3,002.

15. दरौंदा/अमर यादव/60,614/द्वितीय/11,320.

16. कल्याणपुर/रंजीत राम/62,028/द्वितीय/10,251.

17. वारिसनगर/फूलबाबू/54,555/द्वितीय/13,801.

18. दीघा/शशि यादव/50,971/द्वितीय/46,073.

19. औराई/आफताब/42,613/द्वितीय/47,866.

————————————————–

सीपीएम : लड़ी 4, जीती 2;

[क्रम : सीट/प्राप्त मत/स्थान/जीत व हार का अंतर]

1.विभूतिपुर/73,822/जीती/40,496.

2.मांझी/59,324/जीती/25,386.

3.पीपरा/80,410/द्वितीय/8,177.

4.मटिहानी/60,599/तृतीय.

————————————————–

सीपीआई : लड़ी 6, जीती 2;

1.बखरी/72,177/जीती/777.

2.तेघरा/85,229/जीती/47,979.

3.बछवारा/54,254/द्वितीय/484.

4.हरलाखी/42,800/द्वितीय/17,593.

5.झंझारपुर/53,066/द्वितीय/41,788.

6.रुपौली/41,963/तृतीय.

(पटना से जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है

भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।

ग्राउंड रिपोर्ट: रोजी-रोटी, भूख, सड़क और बिजली-पानी राजनांदगांव के अहम मुद्दे, भूपेश बघेल पड़ रहे हैं बीजेपी प्रत्याशी पर भारी

राजनांदगांव की लोकसभा सीट पर 2024 के चुनाव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल और वर्तमान सांसद संतोष पांडेय के बीच मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। मतदाता सड़क, पानी, स्वास्थ्य, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को प्रमुखता दे रहे हैं, जबकि युवा बेरोजगारी और रोजगार वादों की असफलता से नाराज हैं। ग्रामीण विकासपरक कार्यों के अभाव पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।

Related Articles

अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है

भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।

ग्राउंड रिपोर्ट: रोजी-रोटी, भूख, सड़क और बिजली-पानी राजनांदगांव के अहम मुद्दे, भूपेश बघेल पड़ रहे हैं बीजेपी प्रत्याशी पर भारी

राजनांदगांव की लोकसभा सीट पर 2024 के चुनाव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल और वर्तमान सांसद संतोष पांडेय के बीच मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। मतदाता सड़क, पानी, स्वास्थ्य, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को प्रमुखता दे रहे हैं, जबकि युवा बेरोजगारी और रोजगार वादों की असफलता से नाराज हैं। ग्रामीण विकासपरक कार्यों के अभाव पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।