Friday, April 19, 2024

ममता-नीतीश ने सीधे साधा मोदी-शाह पर निशाना, ठहराया रामनवमी दंगों के लिए जिम्मेदार       

इस वर्ष रामनवमी के उपलक्ष्य में शोभायात्रा के दौरान देश में व्यापक स्तर पर हिंदुत्व की शक्तियों ने हथियारों के साथ जगह-जगह जुलूस निकाले और मुस्लिम बहुल इलाकों में उग्र प्रदर्शन किया। तनाव, झड़प और हिंसा की खबरें मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, बंगाल, बिहार और तेलंगाना से आईं। बिहार और पंश्चिम बंगाल में हिंसक घटनाएं और आगजनी हुई। 

जहां बंगाल ने इस मामले में आमने-सामने का मोर्चा खोल भाजपा से दो-दो हाथ करने का फैसला लिया। वे धरने पर बैठ गईं हैं। कल अपने भाषण में उन्होंने बंगाल के हिंदुओं को यहां तक कह दिया कि भाजपा बंगाल में दंगा करा रही है। वे रोज-रोज प्रदर्शन कर रहे हैं। मुस्लिमों का रमजान चल रहा है। दूसरी तरफ अन्नपूर्ण पूजा चल रही है। फिर ये 5 दिनों तक रामनवमी रैलियां क्यों की जा रही हैं? जिस दिन रामनवमी थी, हमने उसकी इजाजत दी। लेकिन हम उस रैली की इजाजत नहीं दे सकते, जिसमें हथियार और बंदूकें हों।

ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा की तरफ से दंगा और हिंसा भड़काने के लिए बिहार से लोगों को भाड़े पर लाया जा रहा है। पूर्वी मेदनीपुर में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ममता ने कहा, मुझे हर पल और हर समय अलर्ट रहना पड़ता है कि भाजपा कब और कहां दंगा खड़ा कर सकती है। ये लोग नहीं समझते कि बंगाल के लोग दंगे को पसंद नहीं करते हैं। जब भाजपा इसे बंगालियों से नहीं करा पाती तो वे भाड़े पर बाहर से लोगों को लाकर दंगा कराते हैं। 

हावड़ा और हूगुली में भड़के तनाव और हिंसा की घटनाओं के बाद ममता बनर्जी ने कमान संभाल ली है।

ममता बनर्जी ने बंगाल की जनता को अलर्ट रहने की हिदायत देते हुए आशंका जताई है कि 6 अप्रैल को भी उन्हें सतर्क रहना होगा। हम बजरंगबली पर आस्था रखते हैं, लेकिन उनके पास दंगा करने की योजना हो सकती है। 

संभवतः बंगाल से प्रेरणा लेते हुए आज नीतीश बाबू ने भी अपनी चुप्पी तोड़ने का फैसला लिया हो। नीतीश कुमार संभवतः अपने खोल से बाहर आ रहे हैं। यह उनके लिए एक निर्णायक पल साबित हो सकता है। बिहार के सबसे पुराने मदरसों में से एक मदरसा अजीजिया, जो कि 110 साल पुराना बताया जा रहा है। जिसमें 4500 से अधिक पुस्तकें थीं। जिसे 1000 से अधिक लोगों की उग्र भीड़ ने आग के हवाले कर दिया। इस घटना की तस्वीरें देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में भारत की दयनीय स्थिति को बयां कर रही हैं, भले ही भारतीय मीडिया द्वारा बहुसंख्यक जमात के दिमाग में कुछ भी घुसाया जा रहा हो। इस घटना की वैश्विक स्तर पर, विशेषकर मुस्लिम देशों में चर्चा है।   

पत्रकारों के द्वारा सवाल किये जाने पर नीतीश कुमार का कहना था कि “आप इस तथ्य को भुला गये। 2017 में जब फिर हम इन लोगों के साथ गये थे, तो क्या हुआ था?  एक गो नेता का… (हंसते हुए …) का बेटा बेटा ही न किया था। यहां जो हुआ था आप सबको मालूम ही है। उसको हमीं न अरेस्ट किये थे। गृह मंत्री को राज्यपाल के साथ-साथ राज्य सरकार के साथ भी चर्चा करनी चाहिए थी। जो भी गवर्नर होते हैं क्या सिर्फ उन्हीं से वार्ता होती है? इन लोगों का आदत है यह सब।

ये लोग कितने दिन से सरकार में हैं? जबकि हम कितने दिन से राजनीति में हैं। 2018 में बिहार की राजधानी पटना में पुलिस ने केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे और भाजपा नेता अर्जित शाश्वत को भागलपुर में हिंदू नववर्ष के जुलूस में, जिसकी प्रशासन ने अनुमति नहीं दी थी। इस जुलूस को जबरन निकालने के दौरान आपत्तिजनक गाना बजाने पर जब इसका विरोध किया गया। नतीजे में हिंसा और आगजनी के अपराध में गिरफ्तारी हुई थी। 

नीतीश ने आगे कहा, “अटल जी के शासनकाल में कितना अच्छा काम हुआ था, आज देखिये कोई काम नहीं, सब चीज पर कब्जा कर लिए हैं, सिर्फ प्रचार करते हैं। इन लोगों का क्या कीजिएगा? पूरे बिहार पर हमारी पूरी नजर है। सारे अधिकारियों को कह दिया है, सब लोग मुस्तैद हैं। हम सभी समुदायों के लोगों को आगाह कर रहे हैं कि आप लोग सतर्क रहें।”

“यह सब सोची-समझी योजना के तहत करवाया गया है। इसी तरह बिहार शरीफ में घटना को अंजाम दिलवाया गया। उस जगह का नाम बिहार शरीफ हम ही करवाए हैं। आप लोग जान लीजिये, भूलिए मत। वहां की घटना के बारे में सब कुछ पता चलेगा कुछ दिन बाद। हम एक एक को लगाये हुए हैं, एक-एक घर पर जा रहे हैं। हर चीज की जांच हो रही है और हमारी सभी से अपील है कि आपस में किसी प्रकार का बिगाड़ नहीं होना चाहिए। आज तक यह कहीं हुआ नहीं। यह सब जानबूझकर किया गया। दिल्ली का देख लीजिये, बाहर के सब अख़बार में और सोशल मीडिया में क्या क्या चल रहा है, अनाप-शनाप दुष्प्रचार चल रहा है। यहां बिहार में ऐसा कुछ नहीं है।” 

पत्रकारों से नितीश ने आगे कहा, “उन लोगों का तो एकतरफा छपता ही है। हम तो लोगों के बीच में रहते हैं। ये जो छपता रहता है, उसका क्या कीजिएगा? सब उनके कंट्रोल में है। हम इतना जरुर कहेंगे कि आप लोगों से हमें बहुत उम्मीद है। आप लोगों से भीतर बात कीजिये, आपको तभी सभी बात पता चलेगी।”

इशारों ही इशारों में नितीश ने भाजपा के शीर्ष पर काबिज दो नेताओं पर भी टिप्पणी की, “दो लोग हैं, समझ लीजिये। एक राज कर रहा है। दूसरा उसके साथ उसका एजेंट है। दोनों मिलकर ई सब इधर उधर कर रहा है।” 

एक पत्रकार द्वारा यह पूछे जाने पर कि गृह मंत्री को सबसे पहले मुख्यमंत्री से मशविरा करना चाहिए था, और सिस्टम में तो मुख्यमंत्री से बात किया जाता है, पर नितीश का जवाब था, “ये कभी हुआ है? इस देश के संविधान को देख लीजिये। क्या सिर्फ राज्यपाल से बात किया जाता है? ये आजतक कभी हुआ है? हम तो कभी भी ऐसा नहीं देखे। इससे पहले किसी के भी शासन में किसी ने भी जो किया हमने कभी एतराज नहीं किया। ये इन लोगों का आदत है, आप तो सब जान रहे हैं।”

एआईएमआईएम के ओवैसी के बारे में सवाल किये जाने पर नीतीश ने कहा “वह केंद्र का एजेंट है। वो कितना छपता है। जिन जिन पार्टियों में बड़ी संख्या में एमपी है, उनका कोई न्यूज़ छपता है? जबकि इनका कितना न्यूज़ छपता है देश भर में। इसी से पता चलता है कि एजेंट किसका है। इनका बिहार में कुछ है? ये तो बाजाप्ता उनके खास आदमी हैं। जानबूझकर हम पर भी कुछ न कुछ बोलते रहने का निर्देश है। एक बार हमसे मिलने का आग्रह कर रहे थे, हम तो साफ मना कर दिए। जब हम अलग हुए थे, ये तब की बात है।  भाजपा के नेता सुशील मोदी को बेचारा बताते हुए उनका कहना था कि “उनको तो बोलना ही है न, यदि नहीं बोलेंगे तो पार्टी से ही निकाल दिए जायेंगे।”

निश्चित रूप से एक ही झटके में इशारों ही इशारों में निशाना साधने और बड़े मन्तव्य रखने वाले नितीश कुमार के आज के बयान से उनकी आगे की रणनीति का खुलासा हो रहा है। शुरूआती कुछ दिनों की एकतरफा खबरों की आंधी में बंगाल और बिहार की राज्य सरकारों को अपराधी साबित करने के बाद दोनों राज्य सरकारों का सामने से आकर मोर्चा संभालना, संकेत देता है कि भाजपा के लिए इस बार राह कहीं से भी आसान नहीं रहने जा रही है। इशारों ही इशारों में नितीश कुमार पर अमित शाह के एनडीए में वापसी के कयास को ख़ारिज करने वाले बयान के बाद नितीश के लिए भी खुद को मोर्चेबंदी के लिए तैयार रहने का मन बनाना ही पड़ेगा।

वहीं भारत में अल्पसंख्यकों के उपर लगातार बढ़ते उत्पीड़न और विशेषकर मस्जिदों पर भगवा झंडा फहराने और कुरान की पुस्तकों को आग के हवाले करने की खबरों ने खाड़ी के देशों को भी इसकी कड़े शब्दों में निंदा करने के लिए मजबूर किया है। जेद्दाह मुख्यालय वाले 57 मुस्लिम देशों के समूह ओआईसी ने रामनवमी जुलूस के दौरान भारत के कई राज्यों में “बिहार में हिंदू भीड़ के द्वारा एक मदरसे और पुस्तकालय को आग के हवाले किये जाने का संज्ञान लिया है। अपने बयान में ओआईसी ने कहा है, “ओआईसी महासचिवालय ने भारतीय सरकार से आह्वान किया है कि वे इस प्रकार की हरकत करने वालों और हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई करे और देश में मुस्लिम समुदाय की सुरक्षा, हिफाजत, अधिकारों और उनके आत्म-सम्मान को बरकरार रखने को सुनिश्चित करे।” 

इसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ा एतराज जताते हुए इसे भारत विरोधी एजेंडा बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने ट्वीट में कहा है, “यह उनके सांप्रदायिक सोच और भारत विरोधी एजेंडा का एक और नमूना है। भारत विरोधी शक्तियों के बहकावे में आकर ओआईसी लगातार अपनी ही छवि को लगातार धूमिल करने के काम कर रहा है।”

 ( रविन्द्र पटवाल जनचौक मैनेजिंग एडिटर हैं।)

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