कोरोना वायरस के कहर पर मोदी सरकार पूरी तरह बैकफुट पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को पूरे देश में 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की जबकि उसके कई दिन पहले यूपीए सरकार में वित्तमंत्री रहे पी चिदम्बरम ने प्रधानमंत्री को आंशिक और पूर्ण लॉकडाउन करने की सलाह दी थी। यही नहीं चिदम्बरम ने कोरोना राहत के तहत कम से कम 1 लाख 50 हज़ार करोड़ का पैकेज देने की सलाह भी दी थी और आज वित्तमंत्री निर्मला सीता रमन ने 1 लाख 70 हज़ार करोड़ के पैकेज की घोषणा की है।
यह भाजपा कांग्रेस की जुगलबंदी है या सरकार की नीतियों की विफलता इसका आकलन राजनीतिक गलियारों में चल रहा है। ऐसे में राजनीतिक परिदृश्य से गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जैसे छत्रप लगभग अदृश्य हैं, यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से देश में किए गए 21 दिनों के लॉक डाउन की घोषणा पर जहां कांग्रेस पार्टी और उसके कुछ नेता सवाल उठा रहे हैं, वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इसकी सराहना की है। इतना ही नहीं, चिदंबरम ने देशवासियों से अपील की है कि इस मुश्किल वक्त में वे प्रधानमंत्री को कमांडर समझें और पैदल सैनिक की तरह उनकी कही बातों का अच्छे से अनुसरण करते हुए कोरोना वायरस का मजबूती से सामना करें।
इसके बाद अचानक आज पहली बार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार की तारीफ की है। 21 दिनों के लॉक डाउन के दौरान देश के गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार की आरे से वित्तीय सहायता पैकेज की घोषणा से राहुल गांधी काफी खुश हैं। उन्होंने कहा है कि पहली बार इस सरकार ने सही कदम उठाया है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि सरकार की ओर से वित्तीय सहायता पैकेज की, सही दिशा में पहला कदम है। भारत पर किसानों, दिहाड़ी मजदूरों, श्रमिकों, महिलाओं तथा बुज़ुर्गों का कर्ज है, जो इस लॉक डाउन में परेशानी का सामना कर रहे हैं।
दरअसल जनवरी से ही राहुल गाँधी मोदी सरकार को कोरोना वायरस की भयावहता पर सार्वजनिक रूप से आगाह करते आ रहे हैं पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की फरवरी में भारत यात्रा की सफलता में लगी मोदी सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया और होली के बाद 19 मार्च तक लगभग आपराधिक लापरवाही बरता। 21 मार्च को अचानक प्रधानमंत्री मोदी को कोरोना की भयावहता का एहसास हुआ और 22 मार्च को जनता कर्फ्यू/ लॉकडाउन का ऐलान हुआ। लेकिन इस बीच कोरोना से निपटने में मोदी सरकार की घोर लापरवाही की देशव्यापी आलोचना हुई, जिससे सरकार की चूलें अंदर तक हिल गयीं और सरकार को बैकफुट पर आकर कांग्रेस द्वारा सेट किए गए एजेंडे पर कदम उठाने पड़े।
वित्त मंत्री निर्मला सीता रमन ने तीन करोड़ गरीब वृद्धों, विधवाओं तथा गरीब दिव्यांगों को एक-एक हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने की भी घोषणा की। यह घोषणा ऐसे समय की गयी है जब कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिये तीन सप्ताह के देशव्यापी ‘लॉक डाउन’ की वजह से लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित हुई है। कारखाने और संयंत्र बंद होने से कई क्षेत्रों में नौकरियां जाने की भी खबर है। वित्त मंत्री ने संवाददाताओं को बताया कि मनरेगा के तहत दैनिक मजदूरी 182 रुपये से बढ़कर 202 रुपये की गई है। इससे पांच करोड़ परिवारों को लाभ होगा। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर असंगठित क्षेत्रों खासकर निर्माण क्षेत्र के मजदूरों के लिए पैकेज की मांग की है।
अब पाठक चिदम्बरम के सुझाव और सरकार द्वारा उठाये गये कदमों को स्वयं पढ़कर मनन करें कि भाजपा बैक फुट पर है या नहीं? और कांग्रेस को राजनीतिक बढ़त मिलती दिख रही है।
गौरतलब है कि चिदम्बरम ने पिछले सप्ताह ही सुझाव दिया था कि बाद में अफ़सोस करने के बजाय पूरे देश में चार सप्ताह का ‘लॉक डाउन’ किया जाए ताकि कोरोना वायरस को फैलने से रोका जा सके। ऐसा करने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही चिदंबरम ने लॉक डाउन के दौरान गरीबों और जरूरतमंदों के हाथों में जल्दी से कैश और खाना पहुंचाने के इरादे से सरकार को 10 सूत्रीय योजना का भी सुझाव दिया था।
चिदंबरम ने सुझाव में कहा था कि पीएम किसान योजना के तहत पेड/पेएबल राशि को दोगुना (12000 रुपये) किया जाए और हर लाभार्थी के बैंक अकाउंट में अतिरिक्त राशि को तुरंत ट्रांसफर किया जाए, पीएम किसान योजना के अंदर पट्टेधारी किसानों को भी लाया जाए। राज्य सरकारों से लिस्ट ली जाए और हर पट्टे धारी किसान के बैंक अकाउंट में 6000+6000 रुपये (दो किश्तों में) ट्रांसफर किए जाएं। रजिस्टर्ड मनरेगा वर्कर्स की लिस्ट ली जाए और हर लाभार्थी के बैंक अकाउंट में 3000 रुपये की राशि ट्रांसफर की जाए।,
चिदंबरम ने सुझाव में कहा था कि शहरी गरीबों के लिए, बैंकों की शहरी ब्रांचों से जन धन अकाउंट्स की जानकारी ली जाए और हर लाभार्थी के अकाउंट में 6000 रुपये जमा किए जाएं। (जन धन अकाउंट्स की पहचान करते वक्त उन ‘जीरो बैलेंस अकाउंट्स’ को शामिल करना न भूलें जो जन धन योजना के लॉन्च होने से पहले खोले गए थे) ।अगले 21 दिन में एक बार, राशन की दुकानों के जरिए हर राशन कार्ड धारक को 10 किलो चावल या गेहूं बिल्कुल मुफ्त दिया जाए। होम डिलीवरी की भी व्यवस्था की जाए, रजिस्टर्ड एप्लॉयर्स ( किसी भी कानून के तहत रजिस्टर्ड) से नौकरियों और वेजेज के मौजूदा स्तर को बरकरार रखने के लिए कहा जाए। ऐसे एप्लॉयर्स को गारंटी दी जाए कि भुगतान के 30 दिनों के अंदर कर्मचारियों के वेजेज की भरपाई सरकार की तरफ से कर दी जाएगी।
चिदंबरम ने सुझाव में कहा था कि हर वॉर्ड या ब्लॉक स्तर में एक रजिस्टर खोला जाए और उसमें अपना नाम, पता और आधार नंबर दर्ज कराने के लिए ऐसे लोगों को आमंत्रित किया जाए, जिनको ऊपर दी गई किसी भी कैटेगरी के तहत भुगतान ना किया गया हो। इस कैटेगरी में सड़कों पर रहने वाले और अभावग्रस्त लोग आएंगे। न्यूनतम वेरिफिकेशन के बाद हर नाम पर एक बैंक अकाउंट खोला जाए (अगर पहले से नहीं है), इसे आधार के साथ जोड़ा जाए और हर बैंक अकाउंट में 3-3 हजार रुपये ट्रांसफर किए जाएं।
किसी भी तरह के टैक्स के भुगतान के लिए आखिरी तारीख को 30 जून 2020 तक बढ़ाया जाए। अंतरिम तौर पर, बैंकों को पंचायतों, नगर पालिकाओं और कॉरपोरेशन्स को टैक्स रिसीवेबल्स की सिक्योरिटी पर ब्याज देने के लिए निर्देश दिया जा सकता है।,बैंकों को निर्देश दिया जाए कि वो किसी भी तरह की ईएमआई के भुगतान की तारीख को 30 जून 2020 तक बढ़ा दें तथा 1 अप्रैल से 30 जून 2020 की अवधि के लिए, सभी जरूरी सामानों और सेवाओं, मास कन्जम्प्शन वाले सामानों पर जीएसटी दरों में 5 फीसदी की कटौती की जाए।
कोरोना संकट से निकलने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीता रमन ने एक लाख 70 हजार करोड़ रुपए के राहत पैकेज का ऐलान किया। लॉक डाउन से प्रभावित गरीबों की मदद की जाएगी। जिन लोगों को तुरंत मदद की जरूरत है, उन्हें राहत दी जाएगी। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना लाई जाएगी। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ गरीबों को राशन के अतिरिक्त 3 महीने तक 10 किलो गेहूं या चावल अतिरिक्त दिया जाएगा। इसके अलावा एक किलो दाल भी दी जाएगी।
किसानों के खाते में 2000 रु. की किश्त अप्रैल के पहले हफ्ते में डाल दी जाएगी, इससे 8.69 करोड़ किसानों को फायदा मिलेगा। मनरेगा के तहत मजदूरी 182 से बढ़ाकर 202 रुपए की गई। 3 करोड़ सीनियर सिटीजंस, विधवाओं, दिव्यांगों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) का फायदा मिलेगा। 3 करोड़ महिला जनधन खाता धारकों को 500 रुपए प्रति माह अगले 3 महीने तक दिए जाएंगे। 3 करोड़ सीनियर सिटीजंस, विधवाओं, दिव्यांगों को डीबीटी का फायदा मिलेगा, 1000 रुपए दिए जाएंगे।
उज्ज्वला स्कीम के तहत 3 महीने तक फ्री सिलेंडर दिया जाएगा। इससे 8.3 करोड़ परिवारों को फायदा होगा। बीपीएल परिवारों को अन्न, धन और गैस की दिक्कत नहीं होगी। स्वयं सहायता समूहों को, जिनसे 7 करोड़ परिवार जुड़े हैं, बैंक से पहले 10 लाख का कर्ज मिलता था, अब 20 लाख का मिलेगा।
कर्मचारी प्रॉविडेंड फंड पर सरकार ने कहा है कि सरकार 3 महीने कर्मचारी और नियोक्ता का ईपीएफ योगदान देगी। पूरा 24% सरकार की तरफ से ही दिया जाएगा। 100 कर्मचारियों वाली कंपनियों को ईपीएफ का लाभ मिलेगा। 100 से कम कर्मचारियों वाले संस्थानों, 15000 से कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों को ईपीएफ का लाभ मिलेगा। 80 लाख से ज्यादा कर्मचारियों, 4 लाख से ज्यादा संस्थानों को फायदा होगा। निर्माण क्षेत्र से जुड़े 3.5 करोड़ रजिस्टर्ड वर्कर जो लॉक डाउन की वजह से आर्थिक दिक्कतें झेल रहे हैं, उन्हें मदद दी जाएगी। इनके लिए 31000 करोड़ रुपये का फंड रखा गया है। पीएफ फंड रेग्युलेशन में संशोधन किया जाएगा। कर्मचारी जमा रकम का 75% या तीन महीने के वेतन में से जो भी कम होगा, निकाल सकेंगे। डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड राज्य सरकारों के पास रहता है, इसका उपयोग जांच, दवाओं, उपचार के लिए हो ताकि कोरोना से लड़ने में सफल हो सकें।
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)