Sunday, April 2, 2023

‘हाउडी मोदी’ का दूसरा पक्ष: “खून से रंगे हैं मोदी के हाथ, मिलाने का मतलब होगा दाग लगाना”

Janchowk
Follow us:

ज़रूर पढ़े

नई दिल्ली। यूएन के होने वाले वार्षिक सत्र में हिस्सा लेने के लिए पीएम मोदी आज अमेरिका रवाना हो रहे हैं। यूएन असेंबली में उनका 27 सितंबर को भाषण है। उससे पहले 26 सितंबर को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान यूएन असेंबली को संबोधित करेंगे। यह मौका इसलिए बेहद महत्वपूर्ण हो गया है कि क्योंकि आयोजन जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद हो रहा है।

बहरहाल पीएम मोदी की यह यात्रा एक दूसरे कारण से भी चर्चे में है। वह 22 सितंबर को ह्यूस्टन में प्रवासी भारतीयों की एक बड़ी सभा को संबोधित करेंगे। उसका नाम ही “हाउडी मोदी” रखा गया है। इसमें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत हजारों लोगों के भाग लेने की संभावना है। जहां एक तरफ उसके आयोजन और भागीदारी को लेकर तमाम बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ इसका विरोध और बायकाट भी शुरू हो गया है।

अमेरिका के दो अहम कांग्रेस सदस्यों ने आयोजकों के निमंत्रण को ठुकरा दिया है। इसके पीछे उन्होंने मोदी द्वारा देश में बरती जा रही नफरत और घृणा की राजनीति को कारण बताया है। ये तुलसी गैबार्ड और रो खन्ना हैं। दोनों ही भारतीय मूल से ताल्लुक रखते हैं और हाउस आफ रिप्रेजेंटेटिव के सदस्य हैं।

ऐसा नहीं है कि विरोध करने वाले यही अकेले हैं। ह्यूस्टन के भीतर वहां के बाशिंदों की एक बड़ी तादाद है जो मोदी की यात्रा का विरोध कर रही है। यहां तक कि वहां की स्थानीय कौंसिल में मोदी की यात्रा को रद्द करने के लिए प्रस्ताव पेश किया गया है। इस प्रस्ताव को पेश करते समय कौंसिल के प्रतिनिधि ने जो बातें रखी हैं वह न केवल मोदी बल्कि आरएसएस के लिए भी बेहद शर्मनाक हैं।

नीचे पेश है वह वीडियो और उसके नीचे कौंसिल के सदस्य का हिंदी अनुवाद दिया जा रहा है:

पिछले महीने एक श्वेत वर्चस्ववादी आतंकी ने टेक्सास के एल पासो में 22 लोगों की हत्या कर दी। उसकी आपराधिक कार्रवाई न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च मस्जिद में मारे गए 51 लोगों से प्रेरित थी। उस शख्स की आपराधिक कार्रवाई 2001 में नार्वे में 77 लोगों की हत्या से प्रेरित थी। नार्वे में आतंकी एंडर्स ब्रेविक ने एक घोषणापत्र छोड़ा था जिसमें उसने कहा था कि वह दुनिया में मौजूद दूसरे राष्ट्रवादी समूहों से प्रेरित है।

ब्रेविक ने भारत में आरएसएस की तरफ इशारा किया था। उसने दक्षिणपंथी संगठन आरएसएस द्वारा भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के उसके लक्ष्य की तारीफ की थी। खासकर यह तारीफ सड़कों पर वर्चस्व स्थापित करने के उसके तरीके को लेकर थी। और प्राय: जो दंगों के साथ ही मुसलमानों पर हमले आयोजित करता है। उसने कहा कि श्वेत वर्चस्ववादियों और आरएसएस का लक्ष्य बिल्कुल एक है और उन्हें एक दूसरे से सीखना चाहिए। और जहां तक संभव हो एक दूसरे की सहायता करनी चाहिए।

आरएसएस एक फासीवादी अर्धसैनिक संगठन है जिसकी 1925 में स्थापना हुई थी। यह वही साल था जब हिटलर ने अपनी “मेन कांफ” प्रकाशित की थी। आरएसएस नाजियों से प्रेरणा ग्रहण करता है। और इसने नरेंद्र मोदी को पैदा किया है। 2002 में नरेंद्र मोदी ने आरएसएस के सैनिक के तौर पर मुसलमानों के खिलाफ दंगों की अगुआई की थी। जिसमें 2000 मुसलमान मार दिए गए थे। इन दंगों में महिलाओं का सामूहिक बलात्कार हुआ था और लोगों को सड़कों पर जिंदा जला दिया गया था।

howdy modi new
ह्यूस्टन में लगी मोदी के कार्यक्रम की एक होर्डिंग।

इसको आयोजित करने वाले नेताओं ने कैमरे के सामने स्वीकार किया है कि इस हिंसा को मोदी की सहमति हासिल थी। इसके चलते मोदी के अमेरिका में घसुने पर 10 साल तक के लिए प्रतिबंध लग गया था। मौजूदा समय में मोदी की तानाशाही व्यवस्था के तहत मुस्लिम, दलित, ईसाई, सिख और हिंदू समुदाय का वह तबका जो सरकार का विरोध कर रहा है, आरएसएस के डर के साये में है। मोदी के हाथ खून से रंगे हुए हैं। जो भी उनके स्वागत में उनसे हाथ मिलाएगा वह उनके अपराध से खुद को नहीं अलग कर सकेगा।

बिशप डेसमंड टूटू ने एक बार कहा था कि “अन्याय की किसी परिस्थिति में अगर आप न्यूट्रल हैं…तो इसका मतलब है कि आपने उत्पीड़कों का पक्ष चुना है।”

उससे भी आगे जाकर आपने तो उत्पीड़क के स्वागत में लाल कालीन बिछा दी है। दार्शनिक प्लेटो ने कहा था कि “मौन सहमति की निशानी है”। लेकिन आप ने उससे भी आगे जाकर उत्पीड़क के पक्ष में आवाज बुलंद कर दी है। “हाउडी मोदी” की जगह ह्यूस्टन शहर को “आडियोज मोदी” कहना चाहिए। मैं कौंसिल सदस्यों को 25 पेज की एक नोटबुक सौंप रहा हूं जिसमें मोदी और आरएसएस के बारे में विस्तार से बताया गया है।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest News

रामनवमी जुलूस की आड़ में रची गई बिहार को सांप्रदायिक उन्माद की आग में झोंकने की साजिश

पटना। बिहार की सत्ता से बेदखली के बाद भाजपा द्वारा बिहार में राजनीतिक ध्रुवीकरण के लिए सांप्रदायिक उन्माद-उत्पात फैलाने...

सम्बंधित ख़बरें