कभी-कभी दक्खिन के खेमे में सूर्य पश्चिम से भी निकलने लगता है। ऐसी स्थिति में लोगों का भ्रमित होना स्वाभाविक है। इसी तरह की एक घटना सामने आयी है जिसमें नेहरू की चारित्रिक हत्या से लेकर हर तरीके से उनको बदनाम करने के प्रायोजित प्रोजेक्ट चलाने वाले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने उनके पक्ष में बयान दिया है। इसमें उन्होंने न केवल कहा है कि वह नेहरू के भारत संबंधी विचार में विश्वास करते हैं बल्कि साथ ही यह भी कहा है कि सीएए में किसी भी मुस्लिम को छुआ नहीं जाएगा। अब ये दोनों बातें आरएसएस के मिजाज के बिल्कुल उलट हैं। लेकिन इससे किसी को भ्रम में नहीं आना चाहिए। दरअसल यह थप्पड़ मारकर सहलाने और फिर थप्पड़ मारने के तरीके का एक हिस्सा है। लक्ष्य स्पष्ट है अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना है और उसके लिए जो भी कोर्स लेना पड़े वह आरएसएस लेगा। डरा कर करेगा, धमका कर करेगा, संविधान से करेगा, कानून से करेगा, प्रशासनिक स्तर पर होगा। और फिर बहला और फुसला कर भी किया जाएगा। क्योंकि इतनी बड़ी आबादी को तो मारा नहीं जा सकता है। इसलिए वह इसी रास्ते को अख्तियार कर रहा है। लिहाजा इस बयान को इसी नजरिये से देखे जाने की जरूरत है। पेश है तन्मय त्यागी का नया कार्टून:
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