उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने इंजीनियर राशिद की पार्टी को बताया बीजेपी का मुखौटा

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नई दिल्ली। नेशनल कांफ्रेंस उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के इस बयान कि बीजेपी इंजीनियर राशिद की आवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) के साथ सरकार बना सकती है, के बाद अब पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) चीफ महबूबा मुफ्ती ने एआईपी को सरकार का मुखौटा बताया है और कहा है कि इसका केवल एक लक्ष्य है कश्मीरी वोट को विभाजित करना।

मुफ्ती ने सवाल उठाया कि राशिद के जेल में रहने के दौरान एआईपी कैसे हर जगह से प्रत्याशी उतारने की व्यवस्था कर पा रही है।

पीडीपी चीफ ने कहा कि मुफ्ती मोहम्मद साहिब को एक पार्टी बनाने में 50 साल लग गए और हमारे पास अभी भी उतना संसाधन नहीं है कि हम हर जगह से प्रत्याशी उतार सकें। मैं उस शख्स के बारे में जानना चाहती हूं जो जेल में है और संसदीय चुनाव लड़ता है- यह अच्छी बात है। लेकिन उसकी पार्टी के पीछे कौन है कि उसका प्रत्याशी हर जगह से उतारा जा रहा है। आपको बता दें कि हाल के लोकसभा चुनाव में राशिद ने उमर अब्दुल्ला को हराया था।

मुफ्ती ने आगे कहा कि पीडीपी, एनसी और कांग्रेस को छोड़कर सभी दूसरी पार्टियां और स्वतंत्र प्रत्याशी बीजेपी के मुखौटे हैं। उनका एक मात्र लक्ष्य कश्मीरी वोट को बांटना और खासकर पीडीपी उनके निशाने पर है। क्योंकि वो जानते हैं कि पीडीपी अकेली पार्टी है जो कश्मीर के लोगों के लिए खड़ी होती है। कैदियों के लिए खड़ी होती है, उन्होंने 5 अगस्त, 2019 को जो किया है उसके खिलाफ आवाज उठाती है…..ये सभी पार्टियां जो स्वतंत्र प्रत्याशी और एआईपी के तौर पर सामने आयी हैं…..वो सरकार से समुचित मात्रा में फंडिंग और सुरक्षा पा रही हैं।

मुफ्ती ने कहा कि मैं सरकार से पूछना चाहती हूं कि क्या वो इंजीनियर राशिद साहिब को फ्रंट पर लाना चाहते हैं। आपके दूसरे मुखौटे वाले दल फेल हो गए हैं और अब आप उनको पैसे और दूसरे तरीकों से पूरा सहयोग कर रहे हैं। सीधे हमें बताइये कि किसी दूसरी पार्टी को चुनाव नहीं लड़ना है।

इसके पहले उमर ने कहा था कि केंद्र शासित प्रदेश में सरकार बनाने के लिए बीजेपी ने कुछ दलों और निर्दलीयों से डील किया है। इसके साथ ही अपनी तरफ इशारा करते हुए उन्होंने आगे कहा कि वो केवल एक शख्स को निशाना बनाना चाहते हैं और वह है गंडरबाल का प्रत्याशी।

मुफ्ती ने रविवार को बालपोरा गांव में एआईपी कार्यकर्ताओं द्वारा शोपियां प्रत्याशी यावर शफी बंदे पर किए गए हमले का भी जिक्र किया। और पूछा कि आरोपी को क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया। बालपोरा एआईपी के शोपियां प्रत्याशी राजा वहीद का पैतृक गांव है, पी़डीपी से टिकट न मिलने के बाद जिन्होंने पाला बदल लिया।

पुलिस ने घटना को दो दलों के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प के तौर पर दर्ज किया। और दोनों दलों के खिलाफ चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन बताकर केस दर्ज कर लिया।

यह दावा करते हुए कि हमले के चलते बंदे की कलाई टूट गयी और वह जीवन से संघर्ष कर रहे हैं, मुफ्ती ने कहा कि कार्रवाई में पुलिस की नाकामी बताती है कि सरकार पक्षपाती भूमिका निभा रही है।

एनसी और पीडीपी के दावों का जवाब देते हुए एआईपी प्रवक्ता फिरदौस अहमद बाबा ने कहा कि उनकी अकेली पार्टी है जिसका बीजेपी के साथ न तो सीधा और न ही परोक्ष तौर पर कोई रिश्ता है। उन्होंने कहा कि संसदीय चुनाव के बाद एनसी और पीडीपी दोनों ने हमें इस्लामिक कट्टरपंथी तत्व घोषित कर दिया था और अब हमें बीजेपी की टीम के साथ जुड़े होने का तमगा दे रहे हैं। उन्हें पहले इस बात को लेकर साफ हो जाना चाहिए कि हम इस्लामिक कट्टरपंथी हैं या फिर बीजेपी समर्थक।

बाबा ने आगे कहा कि एनसी और पीडीपी के पास किसी को बीजेपी से जोड़ने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। क्योंकि दोनों पहले बीजेपी के साथ साझेदारी कर चुकी हैं।

महबूबा मुफ्ती आज के नौजवानों को मूर्ख नहीं बना सकती हैं। क्योंकि वह ऐसी महिला हैं जिन्होंने बीजेपी को यहां लाने का काम किया। जिन्होंने जीएसटी को यहां लाकर राज्य की अर्थव्यवस्था से समझौता किया। बाबा ने कहा कि वह ताबूत में आखिरी कील थी।

(इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट पर आधारित।)

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