Friday, March 29, 2024

हर बैरियर तोड़कर किसान पहुंच रहे हैं मुज़फ्फ़रनगर, अब तक दो लाख जमा

मुज़फ़्फ़रनगर जाने वाली हर सड़क बता रही है कि किसानों का ग़ुस्सा मोदी-योगी सरकार के ताबूत में आख़िरी कील साबित होगा। क़रीब दो लाख किसान मुज़फ़्फ़रनगर में डेरा जमा चुका है। किसान नेता राकेश टिकैत के पास सूचना पहुँची है कि तमाम जगहों पर किसानों की ट्रॉलियों को रोका जा रहा है। टिकैत ने चेतावनी दी है कि अगर ऐसा हुआ तो हम हर बैरियर तोड़ देंगे। 

इस बीच पुलिस की लोकल इंटेलिजेंस के लोगों का कहना है कि हर एक घंटे में क़रीब दस हज़ार किसान मुजफ्फरनगर में प्रवेश कर रहा है। जो किसान आज पहुँचे हैं उनके रहने और खाने-पीने की व्यवस्था आस पास के गाँवों में की गई है। उसी गाँव के लोगों ने खाने की व्यवस्था कर रखी है। हालाँकि किसान ट्रॉलियों में अपना खुद का राशन भी लेकर आये हैं।

बादल खानदान जो किसानों को कांग्रेसी बता रहा था, उसे सोनीपत (हरियाणा)-बागपत (यूपी) की सीमा पर खड़े हो जाना चाहिए और उन ट्रैक्टर ट्रॉलियों को गिनना चाहिए जो पंजाब और हरियाणा से आ रही हैं। कल महापंचायत बहुत सारे सवालों का जवाब देने वाली है।

बहुत स्पष्ट सी तस्वीर है कि कल मुज़फ़्फ़रनगर किसान महापंचायत का काफ़ी फ़ायदा छोटे चौधरी यानी जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल को होगा जिसका समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन है। क्या कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को मुजफ्फरनगर पंचायत में जयंत चौधरी की मदद के लिए भेजेगी? किसानों को कांग्रेसी बताते हुए सुखबीर सिंह बादल को ज़रा भी शर्म नहीं आई और अब तक उन्होंने माफ़ी भी नहीं माँगी है। 

मुज़फ़्फ़रनगर ग्राउंड ज़ीरो की रिपोर्ट उत्साहजनक है। पंजाब से आये किसान नेता स्थानीय आयोजक हरेन्द्र सिंह को तलाशकर उनके साथ फ़ोटो खिंचवा रहे हैं। पंजाब से आए किसान नेता हरप्रीत सिंह रंधावा ने बताया कि ताऊ (हरेन्द्र) बहुत तलाशने के बाद हमें पंचायत वाले मैदान में मिले। क़रीब बीस गाड़ियों का क़ाफ़िला पंजाब से आज दोपहर पहुँचा है।

हरियाणा से आये किसान नेता जगवीर सिंह ढुल्ल ने कहा कि यहां हम लोग अन्न और अनाज को तिजोरी से बचाने का काम करने आये हैं। इससे बड़ा पुण्य कभी नहीं मिलेगा। यह कांवड़ यात्रा से भी पवित्र यात्रा है।

बहरहाल, इस रिपोर्ट को जो लोग पढ़ रहे हैं अगर वे कल मुजफ्फरनगर आ रहे हैं तो अपनी गाड़ी जहां जगह मिले, वहाँ खड़ी कर दें और पैदल ही जीआईसी ग्राउंड पर पहुँचें। इससे आपको आसानी रहेगी।

सर्वे की पोल खुली

मुज़फ़्फ़रनगर किसान महापंचायत से ठीक पहले मोदी सरकार के इशारे पर सर्वे एजेंसी ‘सी वोटर’ ने शुक्रवार को एक फ़र्ज़ी सर्वे जारी किया, जिसकी ध्वनि यह है कि कुछ भी कोई कर ले, आएगा तो मोदी यानी यूपी में भाजपा ही सत्ता में आएगी। सी वोटर सत्तारूढ़ दलों से पैसे लेकर फ़र्ज़ी सर्वे के लिए बदनाम हो चुका है। इस सर्वे की आम जनता ने सोशल मीडिया पर तो धज्जियाँ उड़ाईं ही लेकिन यहाँ मुज़फ़्फ़रनगर में आये किसान भी सी वोटर सर्वे की चर्चा करते दिखे। जीन्द से आये किसान कैलाश मलिक ने कहा कि एक तरफ़ तो सर्वे में लिखा गया है कि लोग बढ़ती महंगाई से दुखी हैं। अगर ये बात है तो फिर कोई बेवकूफ ही मोदी – योगी को यूपी चुनाव में वोट देगा। मलिक ने कहा कि यह सर्वे नहीं रिश्वत लेकर की गई धोखाधड़ी है। आख़िर किसान महापंचायत से ऐसा सर्वे लाने की वजह क्या हो सकती है? यही ना कि शहरी मतदाता किसान आंदोलन और किसान महापंचायत से प्रभावित न हों। हम लोगों ने ऐसे ठग बहुत देखे हैं।

उन्होंने कहा कि किसी टीवी चैनल पर आपने मुज़फ़्फ़रनगर महापंचायत की कोई रिपोर्ट देखी? वजह बहुत साफ़ है कि सरकार, आरएसएस, पूँजीपति और उसका मीडिया सब मिलकर किसान को हराना चाहते हैं।

राकेश टिकैत की राजनीतिक महत्वाकांक्षा 

मुज़फ़्फ़रनगर किसान महापंचायत राकेश टिकैत ने ही बुलाई है। क़रीब नौ महीने बाद वो ऐसी किसी रैली में मुजफ्फरनगर में शामिल होंगे। इसे उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा से जोड़कर देखा जा रहा है। बहुत मुमकिन है कि राष्ट्रीय लोकदल उन्हें या उनके भाई नरेश टिकैत को यूपी चुनाव में टिकट दे। माना जा रहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल को टिकट वितरण में टिकैत खानदान की बड़ी भूमिका होगी। यह महापंचायत उस नींव को और पुख़्ता करने का काम करेगी।

(यूसुफ किरमानी वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

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