देश के सामने वर्तमान में ऐसे कई मुद्दे हैं जिस पर हमें तत्काल विचार करने और उससे निपटने के लिए पहल करने की जरूरत है। गुरुवार को इंफोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र बहुलवाद के माहौल में सबसे अच्छा काम करता है। जहां हरेक व्यक्ति को अपनी मान्यताओं और आस्था को बिना किसी और पर थोपे उसका अनुपालन करने की आजादी हो। देश आर्थिक तौर पर मजबूत हुआ है लेकिन बावजूद इसके कुछ दिक्कतें हैं जो पिछले कई सालों से हमारे सामने बनी हुई हैं, गरीबी, भुखमरी, बेहतर जीवन और शिक्षा जैसे मुद्दों पर विचार करना जरूरी हो गया है।
कोलकाता में टेक्नो इंडिया यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में बोलते हुए नारायण मूर्ति ने एक संदर्भ की ओर इशारा किया कि “मूल्यों का महत्वपूर्ण समूह जिसे पेशेवरों सहित हमारे सभी नागरिकों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।”
अपने भाषण में नारायण मूर्ति पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट को याद करते हुए कहते हैं कि “राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने एक सच्चे लोकतंत्र की परिभाषा को, चार स्वतंत्रताओं के रूप में परिभाषित किया, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, आस्था की स्वतंत्रता, भय से मुक्ति और अभाव/चाहत से मुक्ति।”
नारायण मूर्ति आगे कहते हैं कि “एक लोकतांत्रिक बहुलतावाद समाज सबसे अच्छा काम करता है जहां प्रत्येक नागरिक को अपनी मान्यताओं और आस्था को दूसरों पर थोपे बिना और दूसरों की प्रगति में बाधा डाले बिना मानने की स्वतंत्रता होती है। जहां किसी भी व्यक्ति को जिम्मेदारीपूर्वक, निष्पक्षता से, विनम्रतापूर्वक और बिना किसी से डरे अपनी राय को समाज और देश के सामने रखने की स्वतंत्रता है, और जहां किसी को भी अपने जीवन को बेहतर करने और विकल्प को तलाश करने की आजादी हो।”
नारायण मूर्ति ने कहा कि “इस तरह का अभ्यास आपको एक जिम्मेदार इंसान बनाता है जो एक न्यायपूर्ण समाज का निर्माण कर सके, जिस तरह के समाज की कल्पना बीसवीं सदी के अमेरिकी दार्शनिक, जॉन रॉल्स के द्वारा परिभाषित है। एक ऐसा समाज जो दो मूलभूत सिद्धांतों को अपनाने की क्षमता रखता है। जिसमें पहला सिद्धांत यह है कि ‘बिना किसी आपत्ति के अपने प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों का सबसे मजबूत आधार प्रदान करना है’। और दूसरा यह है कि नई आर्थिक असमानताओं को तभी सहन किया जाए जब ऐसी असमानताओं से गरीब नागरिकों की स्थिति में सुधार हो।”
उन्होंने स्नातक छात्रों की सभा को संबोधित करते हुए कहा कि “भारत में लोकतंत्र तभी समृद्ध रूप से पनप पाएगा, जब हम एक ऐसी मानसिकता को जनता के बीच बहाल करें जो हमारे विभिन्नताओं के बीच मतभेदों को पैदा करने के बजाय हमारी मान्यताओं की समानता को उजागर करेगी। भारत को दुनियाभर में सर्वश्रेष्ठ देश बनाने के लिए आप सभी में भी श्रेष्ठता का होना जरूरी है।”
नारायण मूर्ति ने कहा कि एक सभ्य समाज उसे कहते हैं जहां प्रत्येक पीढ़ी अपने आने वाली पीढ़ी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक बलिदान देती है। “बहुलवाद, ईमानदारी, अनुशासन, कड़ी मेहनत, पारदर्शिता, जवाबदेही, प्रतिबद्धता, शालीनता और निष्पक्षता के सार्वभौमिक मूल्यों का पालन करके, आप यह सुनिश्चित करेंगे कि आने वाली पीढ़ियों में आपके जैसे अमीर और गरीब, शहरी और ग्रामीण, शक्तिशाली और कमजोर और सभी धर्मों, जातियों, भाषाओं और क्षेत्रों से आने वाले उच्च गुणवत्ता वाले पेशेवर लोग बड़ी संख्या में हो।”
नारायण मूर्ति, जो अब इंफोसिस के मानद चेयरमैन हैं, ने देश के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है।
नारायण मूर्ति ने आगे कहा कि “मैं चाहता हूं कि आप इस बात को याद रखें कि पिछले तीन दशकों से भारत की आर्थिक प्रगति प्रशंसनीय है, लेकिन बावजूद इसके, देश में गरीबी, जनसंख्या, पीने योग्य पानी, स्वच्छ हवा, आवास और कृषि के लिए भूमि की उपलब्धता, शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य देखभाल जैसी अनसुलझी समस्याओं से देश अभी भी जूझ रहा है।”
जनसंख्या वृद्धि को लेकर नारायण मूर्ति कहते हैं कि “तत्काल आवश्यकता हमारी जनसंख्या वृद्धि दर पर रोक लगाने की है। हालांकि, भारत के कुछ हिस्से में जनसंख्या वृद्धि दर को कम करने में अच्छी प्रगति कर रहे हैं, जबकि देश के कुछ अन्य हिस्सों ने इस महत्वपूर्ण मामले पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है। जनसंख्या का मुद्दा आने वाले 20 से 25 वर्षों में हमारे देश में कई समस्याओं को पैदा करने की क्षमता रखता है। इसलिए, कृपया प्रत्येक सभा में जनसंख्या वृद्धि दर को कम करने के महत्व पर जोर दें, जिस भी सभा का आप हिस्सा बनने वाले हैं।”
नारायण मूर्ति, जो दीक्षांत समारोह कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे। उनको टेक्नो इंडिया यूनिवर्सिटी के चांसलर प्रोफेसर डॉ गौतम रॉय चौधरी और सह-चांसलर प्रोफेसर मानोशी रॉय चौधरी ने सम्मानित किया।
(इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर पर आधारित। अनुवाद: राहुल कुमार)