Thursday, April 25, 2024

छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों का भीषण हमला, 17 जवान शहीद

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का बड़ा हमला हुआ है। सुकमा में हुए नक्सली हमले में 17 जवान शहीद हो गए जबकि 14 घायल हैं। डीआरजी-एसटीएफ के जवानों को पहली बार इतना बड़ा नुकसान हुआ है। सुकमा जिले के कसलपाड़ में पुलिस-नक्सल मुठभेड़ के बाद लापता सुरक्षाबलों के 17 जवानों की शहादत हो गई है। पुलिस के आला अधिकारियों ने इसकी पुष्टि कर दी है। बता दें कि शनिवार को सीआरपीएफ, एसटीएफ और डीआरजी के करीब 550 जवान सर्चिंग पर निकले थे। इस दौरान कसलपाड़ से लौटते वक्त कोराज डोंगरी के करीब नक्सलियों ने एंबुश लगाकर सुरक्षाबलों पर हमला बोल दिया था।

जवानों को इस मुठभेड़ में बड़ा नुकसान हुआ है। 12 AK-47 सहित कुल 15 हथियार और एक UBGL को नक्सली लूटकर फरार हो गये। डीआजी और आर्मी टीम के सबसे ज्यादा हथियार लूटे गये हैं। 

शहीद जवानों की पुष्टि करते हुए बस्तर आईजी सुंदरराज ने NPG को बताया कि सभी 17 जवानों के शव मिले हैं, अब उन्हें लाने की कोशिश की जा रही है। आपको बता दें कि 17 में से 5 एसटीएफ और 12 DRG के जवान हैं। जो 12 DRG के जवान का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है, उनमें बुरकापाल डीआरजी के 5 जवान हैं, चिंतागुफा डीआरजी के 3 है, वहीं चार आर्मी टीम के जवान शामिल हैं। सभी जवानों के शव मिल गये हैं।

हाल ही में पुलिस अधिकारों की ओर से जारी हुए आंकड़े को देखते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दावा किया था कि नक़्सल घटनाओ में 40 प्रतिशत की कमी आई है। बीबीसी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दावा करते रहे हैं कि माओवादी हिंसा में कमी आई है।

आंकड़े बताते हैं कि 2017 और 2018 में राज्य में माओवादी हिंसा की क्रमशः 373 और 392 घटनायें सामने आई थीं। वहीं 2019 में हिंसक घटनाओं की संख्या 263 थी।

माओवादियों के हमलों में 2017 में सुरक्षाबलों के 60 जवान मारे गये थे। 2018 में यह संख्या 55 थी। जबकि 2019 में माओवादी हमलों में 22 जवान मारे गये।

छत्तीसगढ़ में पिछले साल भर में माओवादी हिंसा में कमी आई है। लेकिन सरकार के तमाम दावे के बीच माओवादी अपनी ताक़त का अहसास कराते रहते हैं। इससे पहले 14 मार्च को बस्तर ज़िले के मारडूम में माओवादियों के हमले में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के दो जवान मारे गये थे। इस घटना में सीआरपीएफ़ का एक जवान भी घायल हुआ था। पिछले महीने की 18 फरवरी को कोंटा ब्लॉक के किस्टारम-पलोडी के बीच सर्चिंग पर निकले जवानों पर किये गये संदिग्ध माओवादियों के हमले में एक जवान की मौत हो गई थी।

10 फ़रवरी को बीजापुर और सुकमा जिलों की सीमा पर स्थित इरापल्ली गांव में माओवादियों के हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की कोबरा बटालियन के दो जवान मारे गये थे और 6 जवान घायल हो गये थे।

जानकारी के अनुसार  सुरक्षाबलों को इंटेलिजेंस इनपुट मिला था कि चिंतागुफा थाना क्षेत्र के एलमागुंडा इलाके में नक्सली बड़ी संख्या में इकठ्ठा होने वाले हैं। इनपुट्स के आधार पर डीआरजी, एसटीएफ की एक टीम दोरनापाल थाना क्षेत्र से नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा लेने रवाना हो गई थी। डीआरजी और एसटीएफ के करीब 200 से ज्यादा जवानों की टीम को बुरकापाल में सीआरपीएफ के कोबरा के जवानों की एक तीसरी टुकड़ी भी मिल गयी। योजना के अनुसार सुरक्षाबलों के इस बड़े एनकाउंटर दल को नक्सलियों के ख़िलाफ़ एक सरप्राइज हमला करना था लेकिन वहां मौजूद नक्सलियों को सुरक्षा बलों के मूवमेंट की जानकारी पहले लग चुकी थी।

बताया जा रहा है कि नक्सलियों ने जवानों को जंगलों के काफी अंदर तक आने दिया। घने जंगल में दूर तक चले जाने के कारण जवानों को जब कोई नक्सली गतिविधि नजर नहीं आयी तो वे वापस लौटने लगे। यहीं सुरक्षाबलों पर घात लगाए नक्सलियों ने पहाड़ी के ऊपर से हमला बोल दिया। नक्सली एंबुश में फंसने के बाद भी सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई की। इस जवाबी कार्रवाई में कई नक्सलियों के हताहत होने की खबर है। हमले में घायल 14 जवानों को शनिवार देर रात ही एयरलिफ्ट कर राजधानी के रामकृष्ण अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। अस्पताल प्रबंधक ने घायल जवानों की हालत बेहतर बताई है।

(रायपुर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles