उत्तराखंड ग्लेशियर आपदा में तकरीबन 165 लोग अभी भी लापता

Estimated read time 1 min read

ऋषिगंगा में कल आई आपदा के बाद बचाव एवं राहत का कार्य चल रहा है । कल से ही सेना व भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवान व आपदा राहत सेवी कार्य कर रहे हैं । तपोवन में जहां तपोवन विष्णुगढ़ परियोजना की सुरंग में मजदूर फंसे हैं उन्हें निकालने का कार्य चल रहा है । कल एक सुरंग से 10 लोगों को बचा लिया गया था । दूसरी सुरंग में भी 30 के लगभग लोगों के फंसे होने की खबर है । उन्हें निकालने के लिए मलवे को खाली किया जा रहा है । किंतु मलवा इतना है कि उसे साफ करने में ही बहुत समय जाया हो रहा है । बाकी के जो मजदूर साइट पर कार्य करते हुए लापता हुए हैं उनमें से 2 की लाश कल मिली है ।  जो लोग लापता हैं उनमें ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट से 35-40 की संख्या बतायी जा रही है। जबकि तपोवन से गायब होने वालों की तादाद तकरीबन 125 है। शव अभी दो ही मिले हैं।

ऋषिगंगा वाले क्षेत्र में पुल के बहने से जो लोग फंसे हैं उनको निकालने का कार्य किया जा रहा है । वहां गायब हुए लोगों को निकालने ढूंढने का काम अभी शुरू नहीं किया जा सका है ।

कल सुबह साढ़े 9 से 10 बजे के बीच जोशीमठ से 20 किमी दूर रिणी गांव जो धौली व ऋषिगंगा के संगम पर ऊपर की ओर बसा है के करीब ऋषिगंगा पर एक ग्लेशियर मलवे के साथ आया । जिस कारण ऋषिगंगा पर विद्युत उत्पादन कर रहा ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट इस मलवे के साथ ऋषिगंगा में समा गया । प्रोजेक्ट साइट पर कार्य कर रहे लगभग 30 मजदूर भी इसके साथ ही बह गए । कुछ मजदूर भाग कर जान बचा पाए । उनमें से एक कुलदीप पटवाल जो कि मशीन में कार्य करते हैं ने बताया कि जब हमने धूल का गुबार आते देखा तो भागे । हम पहाड़ी होने के कारण ऊपर की तरफ भागने में सफल रहे , हमारे पीछे कुछ मैदानी लोग भी भागे पर वे ऊपर नही चढ़ पाए और मलवे की चपेट में आकर बह गए ।

एक स्थानीय ग्रामीण वहीं नदी के पास बकरी चरा रहा था वह भी बकरियों सहित बह गया । दो पुलिस वाले जो बतौर सिक्योरिटी वहां काम करते थे वह भी बह गए । दो सिक्योरिटी के लोग भाग कर बच गए। रिणी का पुल जो कि सीमा को शेष भारत से जोड़ता है वह इस मलवे की चपेट में आ कर बह गया । जबकि पुल नदी से 30 फीट ऊपर रहा होगा । रिणी में व ऋषिगंगा में जहां तहां सिर्फ मलवा ही मलवा नजर आ रहा है । इस पुल के बहने से न सिर्फ चीन सीमा पर तैनात सेना से बल्कि उस पार रहने वाली ग्रामीण आबादी से भी सड़क का सम्पर्क खत्म हो गया है । जिससे अब कुछ ही दिनों में उन तक रसद पहुंचाने की समस्या खड़ी हो जाएगी। ऋषिगंगा का मलवा धौली गंगा में पहुंचा और अपने साथ आस पास के भवन मंदिर ध्वस्त करता तपोवन की तरफ बढ़ा ।

जहां एक और हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट निर्माणाधीन है । 530 मेगावाट का तपोवन विष्णुगाढ़ प्रोजेक्ट । इस प्रोजेक्ट की बैराज साइट भी अब मलवे के ढेर में तब्दील हो चुकी है । यहां कुछ मजदूर सुरंग में कार्य कर रहे थे वे मलवे के आने से उसी सुरंग में फंस गए हैं । उन्हें निकालने का कार्य अभी चल रहा है ।कुछ मजदूर बैराज साइट पर कार्य कर रहे थे । वे भी लापता हैं अथवा मलवे के साथ बह गए हैं । इन सबकी संख्या फिलहाल डेढ़ सौ बताई जा रही है । तपोवन में भी धौली गंगा की जगह सिर्फ मलवा ही मलवा दिख रहा है ।

मलवा नदी से 20 फिट लगभग ऊपर तक आया है । यहां धौली गंगा पर बना पुल जो तपोवन व भँग्युल गांव को जोड़ता था बह गया है । उसके सिर्फ निशान नजर आ रहे हैं । 2013 में भी तपोवन परियोजना का काफ़र डैम बह गया था। ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट भी एक बार 2013 में बह गया था । दोबारा एक साल पहले ही शुरू हुआ था । परियोजना निर्माण के दौरान अंधाधुंध विस्फोट व जंगल कटान भी ऐसी घटनाओं के लिए कारण होंगे ही , जिनको लेकर हम आम जन चिल्लाते रहे पर विकास के शोर में हमारी आवाजें नक्कारखाने में तूती की आवाज ही साबित हुईं । 10 दिन पहले यहां गया था तब ऋषिगंगा नीली सफेद धज में शांत बह रही थी । आज वह मलवे की गाद बनी निर्जीव थी ।

https://www.facebook.com/atul.sati.5/posts/3745423702202151

(अतुल सती सीपीआई (एमएल) उत्तराखंड की राज्य कमेटी के सदस्य हैं।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author