नई दिल्ली। अमेरिका से भारत भेजी गयी अप्रवासी भारतीयों की नई खेप में शामिल लोगों को भी हथकड़ी और जंजीरों से निजात नहीं मिली। अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरे तकरीबन 117 लोगों में ज्यादातर पुरुष थे। और ज्यादातर को 66 घंटे की उनकी यात्रा में चेन और हथकड़ी से बांधे रखा गया था।
इस खेप में शामिल कपूरथला जिले में भोलानाथ इलाके के सुरखा गांव के रहने वाले 25 वर्षीय मनदीप सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि “हां हम लोगों को भी हथकड़ी और चेन से पांच फरवरी को लाए गए नौजवानों की तरह बांध कर रखा गया था। यह 66 घंटे की नारकीय यात्रा थी”।
हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह सभी डिपोर्ट किए गए लोगों की सुरक्षा के लिए था क्योंकि कोई दूसरों की मानसिक स्थिति को नहीं समझ सकता है और परेशानी में कुछ भी घटित हो सकता है।
उन्होंने कहा कि मैं बहुत प्रसन्न था कि मैं अमेरिका में प्रवेश कर चुका हूं। लेकिन कभी भी इस बात की कल्पना नहीं की थी कि बहुत जल्द ही एक अपराधी की तरह डिपोर्ट कर दिया जाऊंगा। मनदीप 27 जनवरी को ही अमेरिका में प्रवेश किए थे।
मनदीप छह महीने पहले अमेरिका के लिए रवाना हुए थे और देश में बहुत उम्मीदों के साथ प्रवेश किए थे। इस कड़ी में उन्होंने एजेंट को 45 लाख रुपये दिए थे। और फिर डंकी रूट के जरिये साढ़े पांच महीने की यात्रा के बाद वह अमेरिका पहुंचे थे।
हालांकि उनके सपने उस समय बिखर गए गए जब इमिग्रेशन अधिकारियों के जरिए उन्हें डिटेंशन सेंटर में ले जाया गया। मनदीप अब सामने आने वाले वित्तीय संकट को लेकर परेशान हैं। उनके परिवार के सदस्यों और मामा ने एजेंट को देने के लिए भारी मात्रा में उधार ले रखा है। अब वो एजेंट से लड़ाई लड़ रहे हैं और उससे उनका कहना है कि यह तो वह पैसे लौटाए नहीं तो कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहे।
केवल पांच लोग ऐसे थे जिनमें महिलाएं और बच्चे दोनों शामिल हैं, जिनको हथकड़ियां नहीं लगायी गयी थीं।
अधिकारियों के मुताबिक प्रवासियों को न्यूनतम भोजन दिया गया। उन्होंने 15 दिनों से न तो स्नान कर रखा था और न ही ब्रश। वो अंदर से बिल्कुल टूट गए थे।
होशियारपुर के रहने वाले मनताज सिंह को साढ़े तीन महीने से डिटेंशन कैंप में रखा गया था। उनको भी हथकड़ी और बेड़ियां लगायी गयी थीं।
जबकि फगवाड़ा के अंकुश कैली ने बातचीत करने से इंकार कर दिया। राजपुतान के रहने वाले 20 वर्षीय जसप्रीत ने कहा कि हमारे घाव पर नमक मत रगड़िये।
इसके पहले विपक्ष इस मसले को लेकर सत्तारूढ़ मोदी सरकार पर जबर्दस्त हमलावर था। उस समय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि डिपोर्टेशन नया नहीं है। हम सचमुच में इस बात को सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी सरकार से बात कर रहे हैं कि लौटने वाले प्रवासियों के साथ फ्लाइट में किसी तरह का गलत व्यवहार न किया जाए।
सी-17 विमान अमृतसर एयरपोर्ट पर रात में तकरीबन 11.35 पर उतरा। इमिग्रेशन और बैकग्राउंड चेकिंग के बाद पंजाब से जुड़े डिपोर्टीज को पुलिस की गाड़ियों में बैठाकर उनके घरों को भेज दिया गया।
राज्य के डिपोर्टीज को ले जाने के लिए हरियाणा सरकार ने भी अपनी गाड़ियां भेजी थीं। इस नये बैच में 65 लोग पंजाब से, 33 हरियाणा से और 8 लोग गुजरात से थे। जबकि दो-दो यूपी, गोवा, महाराष्ट्र और राजस्थान से थे। और एक-एक हिमाचल प्रदेश और जम्मू से थे। इनमें से ज्यादातर 18 से 30 के आस-पास थे। अप्रवासियों को लेकर एक तीसरा प्लेन आज किसी समय अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरेगा।
(जनचौक की रिपोर्ट।)
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