रांची। भीमा कोरेगांव मामले में झारखंड के प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी से कल यानि 6 अगस्त, 2020 को एनआईए ने लगभग ढाई घंटे पूछताछ की है, यह पूछताछ उनके रांची के बगाईचा (नामकुम) स्थित आवास पर हुई है।
मालूम हो कि मूल रूप से केरल के रहने वाले फादर स्टेन स्वामी लगभग 50 वर्षों से झारखंड में रहकर आदिवासियों-मूलवासियों की आवाज बने हुए हैं। ये विस्थापन विरोधी जनविकास आंदोलन के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। झारखंड की जेलों में बंद विचाराधीन बंदियों पर भी इनका महत्वपूर्ण काम रहा है। झारखंड के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में से ये अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता रहे हैं।
झारखंड की पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में पत्थलगड़ी आंदोलन के बहाने कई सामाजिक कार्यकर्ताओं पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसमें इनका भी नाम शामिल था। दिसंबर 2019 में झारखंड में सत्ता परिवर्तन के बाद नयी सरकार ने सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं पर दर्ज देशद्रोह का मुकदमा वापस ले लिया था। ये लगातार झारखंड में हो रहे जमीन की लूट पर मुखर रहते हैं।
भीमा कोरेगांव मामले में फादर स्टेन स्वामी के घर पर पूर्व में भी छापा पड़ चुका है। 28 अगस्त, 2018 को महाराष्ट्र पुलिस ने इनके रांची के बगाईचा (नामकुम) स्थित आवास पर छापा मारकर लैपटाॅप, सीडी, पेन ड्राइव, मोबाइल समेत कई चीजें जब्त कर ली थी। तभी से ही फादर स्टेन स्वामी भीमा कोरेगांव मामले में अन्य बुद्धिजीवियों की तरह ही निशाने पर हैं।
फादर स्टेन स्वामी से भीमा कोरेगांव मामले में फिर से पूछताछ किसी अनहोनी की ओर इशारा करती है, क्योंकि अभी कुछ दिन पहले ही दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैनी बाबू एमटी को एनआईए ने पूछताछ के बहाने मुम्बई बुलाकर गिरफ्तार कर लिया है।
केन्द्र की भाजपा सरकार ने भीमा कोरेगांव मामले में तीसरे दौर की गिरफ्तारी प्रारंभ कर दी है और लगातार देश के बुद्धिजीवियों का इस बहाने उत्पीड़न किया जा रहा है।
(स्वतंत्र पत्रकार रुपेश कुमार सिंह की रिपोर्ट।)
This post was last modified on August 7, 2020 8:31 am