Wednesday, April 24, 2024

आपातकाल की बरसी पर यूपी में फासीवाद का नंगा नाच

एक जनतांत्रिक देश में न्यायपालिका कानून के शासन को सुनिश्चित करके ताक़तवर राज्य से नागरिक अधिकारों की रक्षा करती है। लैटिन अमेरिकी देश ब्राजील के संदर्भ में हम ये लगातार देख रहे हैं कि वहाँ की सुप्रीम कोर्ट नागरिकों अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार दक्षिणपंथी राष्ट्रपति जेयर बोलसनारो के खिलाफ़ टकराव की स्थिति में है। लेकिन भारत के संदर्भ में हम यही बात नहीं कह सकते। पिछले 5-6 वर्षों में जिस तरह से देश की न्यायपालिका के माननीयों ने अपना रिटायरमेंट पैकेज मैनेज किया है उससे एक तरफ तो देश की जनतांत्रिक मूल्यों, कानून और नागरिक अधिकारों का हनन हुआ है वहीं दूसरी तरफ राजसत्ता निरंकुश, बर्बर और फ़ासीवादी प्रवृत्ति में इज़ाफ़ा हुआ है।   

आपातकाल की 45वीं बरसी पर 23 जून को कानपुर राजकीय बालिका आश्रय गृह में 57 बालिकाओं के कोविड-19 संक्रमित होने और 7 संवासिनियों के गर्भवती होने के मामले में निष्पक्ष जांच कराने की मांग लेकर गांधी प्रतिमा हजरतगंज पर धरना दे रहे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं शिल्पी चौधरी और सुजीत यादव को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ़्तारी के बाद उन्हें गालियां दी गईं और मारा-पीटा भी गया। निष्पक्ष जांच की मांग करना भला एक लोकतांत्रिक देश में कब से अपराध हो गया?

राजकीय बालिका आश्रय गृह मामले में ही जमीनी हक़ीक़त जानने के लिए ‘हिंदी खबर’ चैनल के कानपुर रिपोर्टर अंकित सिंह 23 जून को रात 11 बजे राजकीय बालिका आश्रय गृह गए हुए थे। इसी सिलसिले में वह थाना स्वरूप नगर में रिपोर्ट से संबंधित जानकारी लेने पहुंचे। थाने के मुख्य द्वार पर उनके साथ मारपीट की गई।

‘हिंदी खबर’ के रिपोर्टर अंकित सिंह का कहना है कि वह जब स्वरूप नगर थाने पहुंचे तो बाहर मौजूद पहरा ने उनसे गाली गलौच करनी शुरू कर दी। इसके बाद दो से तीन सिपाही और आ गए। उन लोगों ने भी अंकित से अभद्रता करनी शुरू कर दी। अंकित ने इस बात का विरोध किया तो उन्हें ले जाकर लॉकअप में बन्द कर दिया गया तथा वहां उनसे मारपीट की गई। रात लगभग 2 बजे उनसे माफी नामा मंगवा कर सख्त हिदायत देते हुए छोड़ा गया। साथ ही कहा गया कि बालिका गृह की ख़बर यदि कवर करोगे तो दोबारा छोड़े नहीं जाओगे।

पीड़ित पत्रकार द्वारा मामले की शिकायत किए जाने पर एसपी अनिल कुमार द्वारा दी गई जांच के आधार पर एसएसपी ने एक सब इंस्पेक्टर और तीन कॉन्स्टेबल को लाइन हाजिर कर दिया है। विभागीय कार्यवाही के साथ मामले की जांच कर कड़ी कार्रवाई करने का भी आश्वासन दिया गया है।

विश्व हिंदू परिषद की भू-माफिया ने करवाई पत्रकार की हत्या 

कानपुर के स्थानीय अख़बार ‘कम्पू मेल’ के पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी 19 जून की दोपहर उन्नाव से वापस लौट रहे थे। सहजनी में बाइक सवार हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ छह गोलियां दागीं। तीन गोली उनके सीने और पेट पर लगीं। घटना के बाद हत्यारे मौके से फरार हो गए। वहीं शुभममणि के साथ बाइक चला रहा उनका दोस्त जान बचाकर भागने में सफल रहा था। दिनदहाड़े सरेराह पत्रकार की हत्या से सनसनी फैल गई। 

गंगाघाट कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला पोनी रोड स्थित झंडा चौराहा निवासी पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी के भाई ऋषभमणि त्रिपाठी ने उसी रात भू-माफिया और विहिप की मातृ शक्ति विभाग की जिला संयोजिका दिव्या अवस्थी, उनके पति कन्हैया अवस्थी, देवर राघवेन्द्र अवस्थी, मोनू खान और शाहनवाज सहित 10 लोगों पर हत्या व बलवा की धाराओं में मुकदमा दर्ज़ कराया। 

घटना के दूसरे ही दिन शूटर शाहनवाज को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस पूछताछ में उसने कबूल किया कि पत्रकार शुभममणि द्वारा सरकारी जमीनों पर किए गए कब्जों की जानकारी मीडिया में देने के बाद प्रशासन की कार्रवाई से दिव्या अवस्थी उससे बेहद ख़फा थीं। इसके बाद उसने अपने खास गुर्गे शातिर अपराधी मोनू खान को शुभममणि को ठिकाने लगाने को फरमान जारी किया। उसने चार लाख में दो शूटर हायर किए और उन्हें 20 हजार की पेशगी भी थमा दी। 

एएसपी उत्तरी विनोद कुमार पांडेय ने मंगलवार को पत्रकार शुमममणि त्रिपाठी हत्याकांड का खुलासा करने के लिए बुलाई गई प्रेस कान्प्रेंस में मीडिया को बताया कि नामजद शाहनवाज के साथ शूटर अफसर अहमद और अब्दुल बारी को गिरफ्तार कर लिया गया है। मुख्य आरोपित भू-माफिया दिव्या अवस्थी फरार है, प्रशासन द्वारा उसकी सूचना देने पर दस हजार और उसके देवर राघवेन्द्र अवस्थी के साथ मोनू खान पर पांच-पांच हजार का इनाम घोषित किया गया है। 

बता दें कि कानपुर के स्थानीय अख़बार “कम्पू मेल” के रिपोर्टर शुभममणि त्रिपाठी ने बीते दिनों ग्राम समाज की जमीन पर कब्जा करने वाले भू माफिया और विहिप नेता दिव्या अवस्थी के खिलाफ अख़बार के लिए न्यूज स्टोरी की थी। स्टोरी लिखे जाने के बाद से ही शुभम को दिव्या अवस्थी की तरफ से धमकी आने लगी थी। 14 जून को शुभम ने अपनी फेसबुक पर लिखा कि भूमाफिया ने किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उस पर एक फर्जी एफआईआर कराया है। 16 जून को शुभम ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा था कि उसको जान से मारने के लिए सुपारी दी जा रही है। शुभम को इस बात का भान तो पहले ही हो गया था कि उसकी जान को खतरा है। अपनी हत्या से एक दिन पहले ही पत्रकार शुभम ने उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को मेल करके सूचित किया था कि अमुक भू-माफिया द्वारा उसे जान से मारे जाने की धमकी दी जा रही है। लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई भी मदद शुभम को नहीं मुहैया करवाई गई। नतीजा ये हुआ कि अगले दिन पत्रकार शुभम की गोली मारकर हत्या कर दी गई। 

वहीं मरहूम पत्रकार के भाई ऋषभमणि त्रिपाठी द्वारा उन्नाव पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। पीड़ित परिवार का कहना है पुलिस चाहती तो पत्रकार शुभम की हत्या न होती। पुलिस तो हत्या की घटना को अंजाम दिए जाने तक थाने में बैठी इंतज़ार करती रही। जब मेरे भाई ने अप्लीकेशन देकर अपनी जान का ख़तरा बताया थो तो पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ़ कोई ठोस कदम तुरंत क्यों नहीं उठाया।

सीपीजे के एशिया कार्यक्रम समन्वयक स्टीवन बटलर ने पत्रकार शुभम मणि त्रिपाठी की हत्या पर बयान देते वाशिंगटन डीसी में कहा, “उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को यह दिखाना होगा कि वे पत्रकारों पर हिंसक हमले को गंभीरता से ले रहे हैं। शुभम मणि त्रिपाठी की हत्या में तीन संदिग्धों की गिरफ्तारी एक अच्छी शुरुआत है, लेकिन पुलिस को मास्टरमाइंड और इसमें शामिल सभी लोगों को भी पकड़ना होगा। साथ ही हम उत्तर प्रदेश अथॉरिटी से आग्रह करते हैं राज्य में काम करने वाले सभी पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी कदम उठाए और यह सुनिश्चित करे कि हत्या करके कोई सजा से न बच सके, ये सबसे प्रभावी पैमाना है।”

उत्तर प्रदेश में भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ़ पत्रकारिता करना कितना ख़तरनाक है इसका अंदाजा पत्रकार सुप्रिया शर्मा केस से लगाया जा सकता है।  5 जून को वाराणसी में स्क्रॉल की एक्जीक्यूटिव एडिटर सुप्रिया शर्मा कोविड-19 में प्रधानमंत्री के गोद लिए गांव में रिपोर्टिंग के दौरान माला देवी नामक महिला का इंटरव्यू लेने ‘जिसका शीर्षक था’- “इन वाराणसी विलेज अडॉप्डेट बाय प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी, पीपल वेंट हंगरी ड्यूरिंग द लॉकडाउन” के एवज में उनके खिलाफ रामनगर पुलिस द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, आईपीसी की धारा 501 और 269 के तहत केस दर्ज किया जाना, अब तो खबर आ रही है कि उन पर रासुका भी लगाया गया है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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