Friday, April 19, 2024

सोनिया गांधी ने अब लघु और मध्यम उद्योगों के मसले पर लिखा पीएम को ख़त, कहा- सरकार मुहैया कराए एक लाख करोड़ का पैकेज

नई दिल्ली। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी को एक और पत्र लिखा है। इस खत में उन्होंने माइक्रो, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) के उद्यमियों और उनमें कार्यरत मज़दूरों की समस्याओं की तरफ़ उनका ध्यान खींचने की कोशिश की है। उन्होंने कहा है कि लॉकडाउन से इस क्षेत्र पर विध्वंसकारी असर पड़ने जा रहा है। लिहाज़ा इस पर तत्काल ध्यान देने की ज़रूरत है।

उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र देश के जीडीपी में तक़रीबन एक तिहाई का सहयोग करता है। और नर्यात में इसकी 50 फ़ीसदी की भागीदारी है। इसके साथ ही यह क्षेत्र तक़रीबन 11 करोड़ लोगों को रोज़गार देता है। उनका कहना है कि संकट के इस मौक़े पर अगर देश के 6.3 करोड़ एमएसएमई को उचित सहयोग नहीं दिया गया तो यह हिस्सा पूरी तरह से तबाह हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि रोजाना इस हिस्से का तक़रीबन 30 हज़ार करोड़ रुपये का नुक़सान हो रहा है। इस क्षेत्र से जुड़े तक़रीबन सभी उद्योगों की बिक्री रुक गयी है। और पूरे क्षेत्र को मंदी ने अपनी चपेट में ले लिया है। इसके साथ ही उनकी आय में लॉकडाउन के चलते बड़े स्तर पर गिरावट दर्ज की गयी है। उनका कहना है कि सभी 11 करोड़ लोग अपना रोज़गार खोने के कगार पर हैं। क्योंकि इस क्षेत्र के उद्योगपतियों के पास उनकी तनख़्वाह देने की क्षमता नहीं है। लिहाज़ा इस संकट से उबारने के लिए सरकार को उनके लिए कई तरह के उपाय करने चाहिए।

इस सिलसिले में उन्होंने कई तरह के सुझाव दिए हैं:

पहला: एसएसएमई मज़दूरी सुरक्षा पैकेज के नाम से सरकार तत्काल एक लाख करोड़ रुपये का पैकेज घोषित करे। उनकी नौकरियों को सुरक्षित करने के लिहाज़ से यह दीर्घकालीन प्रभावी कदम साबित होगा। इसके साथ ही उनके आत्मबल को भी बढ़ाने का काम करेगा।

दूसरा: एक लाख करोड़ रुपये के एक क्रेडिट गारंटी फंड की स्थापना की जाए। क्षेत्र के लिक्विडिटी संकट को हल करने के लिए इसे तत्काल मुहैया कराया जाना ज़रूरी है। इसके साथ ही ज़रूरत के समय उन्हें पर्याप्त पूँजी मुहैया कराने की गारंटी भी की जानी चाहिए।

तीसरे सुझाव में उन्होंने कहा है कि आर.बी.आई द्वारा उठाए गए कदमों का ज़मीन पर असर दिखना चाहिए। कामर्शियल बैंकों को इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए कि एमएसएमई को समय से पर्याप्त ऋण मिल जाए। इससे भी आगे आर.बी.आई. द्वारा निगरानी के दौरान होने वाले किसी भी तरह की मौद्रिक कार्रवाई के समय पर्याप्त वित्तीय समर्थन के साथ सरकार को खड़ा होना चाहिए। एमएसएमई को दिशा निर्देश देने के लिए मंत्रालय में 24×7 हेल्पलाइन की सुविधा मौजूद होनी चाहिए। इस दौरान इसका होना बहुत मायने रखता है।

चौथा: इन सारे उपायों के साथ ही आर.बी.आई द्वारा एमएसएमई सेक्टर को दिए गए लोन को वापस न करने की छूट की मियाद को तीन महीने से ज़्यादा बढ़ाए जाने की ज़रूरत है। इसके साथ ही सरकार को भी एमएसएमई क्षेत्र के टैक्सों की माफ़ी और उसे घटाने के तमाम उपायों पर विचार करना चाहिए।

पांचवा: सुरक्षा संबंधी ध्वंस क्रेडिट को सबसे ज़्यादा नुक़सान पहुँचा रही है। ये सारी चीजें मिलकर एमएसएमई को उपलब्ध ऋण हासिल करने की संभावनाओं तक पहुँचने ही नहीं देती हैं। 

उन्होंने कहा है कि सरकार पहले ही एमएसएमई को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बता चुकी है। यह समय अब इस रीढ़ को फिर से ज़िंदा करने और उसे मज़बूत करने का है। यह ऐसा मामला है जहां समय से की गयी निर्णायक पहल बेहद कारगर साबित हो सकती है।

इसके साथ ही अंत में उन्होंने कहा कि एक बार फिर इस मौक़े पर हम इस बात को दोहराना चाहते हैं कि कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई के लिए हमारा सकारात्मक सहयोग जारी रहेगा।     

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