हिंदुस्तान और पाकिस्तान दूतावासों के 181 अधिकारी और उनके परिजन अपने-अपने वतन को लौट गए हैं। पिछले दिनों भारत-पाक ने इस्लामाबाद और दिल्ली स्थित दूतावासों के अधिकारियों की तादाद 50 फ़ीसदी कम करने का फैसला किया था। उसी के तहत 30 जून को वाघा बॉर्डर के जरिए पाकिस्तान दूतावास के 143 और भारतीय दूतावास के 38 अधिकारी और उनके परिजन अपने-अपने वतन पहुंच गए। पाकिस्तान दूतावास के अधिकारी और कर्मचारी सीनियर ऑफिसर मोहम्मद यूसुफ की अगुवाई में गए और भारतीय दूतावास के अधिकारी प्रथम सचिव अखिलेश सिंह के नेतृत्व में विशेष बसों के जरिए लौटे।
गौरतलब है कि सन् 2001 के बाद पहली बार है कि दोनों देशों ने दूतावासों की तादाद में इतनी बड़ी कटौती की है। इस्लामाबाद में घटी एक घटना के बाद भारत ने इस बाबत पहलकदमी की थी और पाकिस्तान से कहा था कि वह अपने आधे अधिकारी वापस बुला ले और भारत भी ऐसा करेगा।
दरअसल, पिछले दिनों इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास के दो अधिकारियों पी सिलवादास और डी ब्रह्मा को कार्यालयीय काम पर जाने के वक्त पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने अगवा कर लिया था। कई घंटे की पूछताछ में उन्हें प्रताड़ित किया गया था। भारत ने दबाव बनाया तो दोनों अधिकारियों के खिलाफ एक्सीडेंट करने की एफआईआर दर्ज कर ली गई। भारतीय उच्चायोग का साफ कहना था कि यह एफआईआर फर्जी है। इसके बाद दोनों अधिकारियों को वाघा सरहद के जरिए भारत वापस भेज दिया गया था।
इससे पहले 31 मई को दिल्ली में पाकिस्तान दूतावास के अधिकारियों आबिद हुसैन और मोहम्मद ताहिर को जासूसी करते हुए कुछ संवेदनशील कागजात के साथ रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद, 24 घंटे के भीतर भारत छोड़ देने आदेश दिए गए थे। आईएसआई इसका बदला लेना चाहती थी। प्रतिशोध इस्लामाबाद दूतावास में तैनात दोनों भारतीय अधिकारियों को प्रताड़ित करके लिया गया। यह घटना भी पुरानी नहीं है कि इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी गौरव अहलूवालिया को आईएसआई के मोटरसाइकिल सवार एजेंटों ने पीछा करके बुरी तरह परेशान किया था।
बताया जाता है कि पाकिस्तान की तमाम सरकारी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां भारतीय दूतावास में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को किसी न किसी बहाने परेशान करने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देतीं। वैसे भी इन दिनों भारत-पाक संबंध नए सिरे से नाजुक मोड़ पर हैं। पाकिस्तान (पहले से ही) चीन खेमे में है। दूतावासों में अधिकारियों और कर्मचारियों की 50 फ़ीसदी कमी एक कूटनीतिक फैसला है। यकीनन यह सुखद संकेत नहीं है। तय है कि भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तल्खियां गहराएंगी।
अतीत में पुलवामा हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच हो रहा खरबों रुपए का व्यापार बंद हो चुका है। समझौता एक्सप्रेस और लाहौर बस सेवा भी फौरी तौर पर स्थगित है। बढ़ते अथवा फैलते तनाव के बीच दोनों देशों के हाईकमिश्नर पहले ही अपने-अपने देशों को लौट चुके हैं। अब भारतीय और पाकिस्तानी दूतावासों के 181 अधिकारियों और कर्मचारियों की घर वापसी हुई है। दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने की कवायद में लगे कतिपय लोगों की निगाह में यह शुभ संकेत कतई नहीं। विदेशी मामलों के माहिर तथा कूटनीति के ज्यादातर जानकार भी ऐसा ही मानते हैं।
(पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)
फोटो परिचय: वतन वापस लौटते पाकिस्तान दूतावास के अधिकारी और कर्मचारी और उनके परिजन::