सुप्रीम कोर्ट में लखीमपुर केस : रैली में थे सैकड़ों किसान लेकिन चश्मदीद गवाह बने महज 23

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उच्चतम न्यायालय में लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में कल चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिससूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ के समक्ष फिर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने स्टेटस रिपोर्ट सौंपते हुए पीठ को बताया कि 68 गवाहों में से 30 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं और 23 लोगों ने घटना के चश्मदीद होने का दावा किया है। इस पर पीठ ने कहा कि रैली में सैकड़ों किसान थे और सिर्फ 23 चश्मदीद गवाह बने? फिर साल्वे ने जवाब देते हुए कहा कि हमने गवाही के लिए विज्ञापन भी जारी किया। वीडियो सबूत भी मिले हैं। जांच जारी है। हरीश साल्वे ने कहा कि यूपी सरकार सीलबंद लिफाफे में गवाहों के दर्ज बयान दे सकती है।

पीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य को 3 अक्टूबर की लखीमपुर खीरी हिंसा के गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया, जिसमें 8 लोगों ने अपनी जान गंवा दी जिनमें से चार किसान प्रदर्शनकारी थे, जिन्हें कथित तौर पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के काफिले के वाहन द्वारा कुचल दिया गया था। पीठ ने यूपी राज्य को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत प्रासंगिक गवाहों के बयान दर्ज किए जाएं। यदि मजिस्ट्रेट की अनुपलब्धता के कारण गवाहों के बयान दर्ज करने में कोई कठिनाई होती है, तो पीठ ने संबंधित जिला न्यायाधीश को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि बयान निकटतम उपलब्ध मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किए जा सकें।

पीठ ने जांच के संबंध में यूपी राज्य द्वारा दायर दूसरी स्टेटस रिपोर्ट पर गौर करने के बाद ये निर्देश पारित किए। पिछले हफ्ते, जब अदालत ने कहा था कि उसे यह आभास हो रहा है कि यूपी पुलिस जांच में “अपने पैर खींच रही है”, तो यूपी पुलिस ने धारा 164 के तहत और गवाहों के बयान दर्ज किए। पीठ को कल सूचित किया गया कि 68 गवाहों में से 30 के बयान धारा 164 के तहत दर्ज किए गए हैं।उनमें से 23 चश्मदीद गवाह बताए गए हैं। पिछली बार सिर्फ 4 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे।

पीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे से मौखिक रूप से कहा कि जांच दल को और चश्मदीदों की पहचान करने की कोशिश करनी चाहिए। साथ ही, कोर्ट ने निर्देश दिया कि किसानों पर हमले के बाद और एक पत्रकार की हत्या के संबंध में तीन व्यक्तियों की पीट-पीट कर हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा एक अलग जवाब दाखिल किया जाना चाहिए।

श्याम सुंदर की विधवा रूबी देवी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भारद्वाज ने मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि तीन आरोपी, जो कथित रूप से उनके पति की मौत के लिए जिम्मेदार हैं, पुलिस ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। भरद्वाज ने कहा कि आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और उनके मुवक्किल को धमका रहे हैं।घटना में मारे गए पत्रकार का प्रतिनिधित्व करने वाले एक अन्य वकील ने भी कोर्ट से पुलिस के जरिए आरोपी को पकड़ने का निर्देश देने का अनुरोध किया।

पीठ ने निर्देश दिया कि उत्तर प्रदेश द्वारा श्याम सुंदर नाम के एक व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या करने के मामले में अलग-अलग जवाब दायर किया जाना चाहिए, जिस पर किसानों के विरोध में कार के रौंदने के बाद कथित तौर पर हमला किया गया था और पत्रकार रमन कश्यप की हत्या भी की गई थी। सुंदर के मामले में, उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने प्रस्तुत किया कि वह एक आरोपी था जो इस घटना में मारा गया था। पुलिस कार में मौजूद पत्रकार की मौत के साथ-साथ इसकी जांच भी कर रही है।

चीफ जस्टिस ने साल्वे से मामले में अलग से जवाब दाखिल करने को कहा। पीठ ने कहा कि अदालत के समक्ष दो शिकायतकर्ता हैं- एक रूबी देवी द्वारा और दूसरी पत्रकार की मौत के संबंध में। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई आठ नवंबर को तय करते हुए कहा, “राज्य इस मामले में अलग-अलग जवाब दाखिल करे।” न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने मामले में सबूत जमा करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए मामले में डिजिटल साक्ष्य की जांच करने वाली फोरेंसिक प्रयोगशालाओं की भी मांग की।

उच्चतम न्यायालय ने पिछली सुनवाई में भी गवाहों के बयान दर्ज करने में हो रही देरी को लेकर यूपी सरकार को फटकार लगाई थी। यूपी सरकार की ओर से गवाहों के बयान जारी करने के लिए वक्त मांगे जाने के बाद कोर्ट ने कार्यवाही को स्थगित कर दिया था। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई आज यानी 26 अक्टूबर को करने का फैसला लिया था।

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में 3 अक्टूबर को आंदोलनकारी किसानों की एक एसयूवी से कुचलकर मौत हो गई थी। इसके बाद भड़की हिंसा में 4 और लोगों की मौत हो गई थी। इनमें एक स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप और भाजपा के तीन कार्यकर्ता शामिल थे। इस मामले ने इतना राजनीतिक तूल पकड़ा कि कई दिनों तक राज्य सरकार ने नेताओं की लखीमपुर खीरी में एंट्री पर ही रोक लगा दी थी। हालांकि बाद में अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी समेत कई नेता पीड़ित किसानों से मिलने के लिए लखीमपुर खीरी पहुंचे थे।
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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