Tuesday, March 19, 2024

स्पेशल स्टोरी: हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में कोविड19 टेस्टिंग के नाम पर खुली लूट

हरियाणा के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में कोविड19 टेस्टिंग के नाम पर खुली लूट मच गई है। इस संबंध में हरियाणा सरकार के आदेश को ताक पर रख दिया गया है। सरकारी आदेश है कि मेडिकल ग्राउंड पर कोविड 19 टेस्टिंग का कोई भी पैसा सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र नहीं लेंगे, सिर्फ गैर मेडिकल जरूरतों के लिए ही कराए जाने वाले टेस्ट के पैसे लगेंगे। लेकिन फरीदाबाद समेत राज्य के सारे सरकारी अस्पताल धड़ल्ले से वसूली कर रहे हैं। 

केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने बुधवार को कोरोना काबू करने में राज्यों के हालात पर विचार किया और हरियाणा की थोड़ी सी तारीफ कर दी। इसके बाद पूरी हरियाणा सरकार कोविड 19 काबू करने में अपनी पीठ ठोकने में जुट गई। लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है, जिसकी जानकारी न तो केंद्रीय गृह सचिव भल्ला को है और न चंडीगढ़ से हरियाणा सरकार चलाने वाले अफसरों को है। हरियाणा में कोरोना के नए मरीजों का आंकड़ा करीब दो हजार प्रतिदिन पर जा पहुंचा है। जिसे संभाल पाने में सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल नाकाम हो रहे हैं। यह स्थिति तब है जब कोरोना के मरीजों को सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में लूटा जा रहा है।

मुफ्त नहीं, सबसे महंगी टेस्टिंग

हरियाणा में प्राइवेट लैब और अस्पताल कोविड 19 टेस्ट की मनमानी फीस तो वसूल ही रहे हैं लेकिन खुद हरियाणा सरकार ने अपनी टेस्टिंग फीस महंगी कर दी है। हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग ने 18 सितंबर को जो आदेश जारी किया, उसमें साफ लिखा है कि ऐसे लोग जिन्हें विदेश या देश में कही जाना है उनका कोविड टेस्ट या नौकरी में कहीं कोरोना टेस्ट रिपोर्ट जमा करानी है, या जिन्हें कहीं कॉलेज-यूनिवर्सिटी-संस्थान में एडमिशन लेने के लिए कोविड 19 टेस्ट की जरूरत पड़ती है, ऐसे लोगों से आरटी पीसीआर टेस्टिंग के 1600 रुपये, रैपिड एंटीजन टेस्ट 650 रुपये और इलिसा टेस्टिंग के 250 रुपये लिये जायें। इसी आदेश में यह भी साफ किया गया है कि अगर कोई मेडिकल कारणों से कोविड 19 टेस्ट सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों पर कराता है तो उसके कुछ भी पैसे नहीं लगेंगे। इस आदेश की कॉपी जनचौक के पास मौजूद है। 

फरीदाबाद के सरकारी अस्पताल में रैपिड टेस्ट के नाम पर काटी गई पर्ची

हरियाणा के प्रमुख औद्योगिक शहर फरीदाबाद में सेक्टर 30 स्थित सरकारी आरसीएच एफआरयू अस्पताल में कोरोना का रैपिड टेस्ट करने के बदले 650 रुपये लिए जा रहे हैं। अधिकांश लोग इस सरकारी अस्पताल में मुफ्त टेस्ट कराने के लिए जाते हैं लेकिन जब वे लाइन में लगते हैं तो उनकी पर्ची काट दी जाती है। धुर्वेंद्र कुमार के साथ ऐसा ही हुआ। वह लाइन में लगे तो रैपिड एंटीजन टेस्ट के 650 रुपये उनसे लिए गए। जबकि वह मेडिकल आधार पर अपना टेस्ट कराने गए थे। बाद में उन्हें पछतावा हुआ कि जब इतने ज्यादा पैसे देकर टेस्ट कराना है तो प्राइवेट में साफ सुथरा टेस्ट करा लेते।

यह गहन जांच का विषय है कि हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में यह खुली लूट किसके इशारे पर चल रही है। डीजी हेल्थ हरियाणा का यह आदेश 18 सितंबर को सभी जिलों के सिविल सर्जन और खुद स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के दफ्तर को भेजा गया है।

झूठ बोल रही है खट्टर सरकार

एक आरटीआई के जरिए हरियाणा सरकार से पूछा गया था कि प्रदेश में कोरोना के मरीजों के इलाज पर कितना खर्च किया गया और प्रति मरीज कितना खर्च आया है। हरियाणा सरकार ने जवाब में बताया कि प्रदेश में कोरोना इलाज पर 345 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं, जो प्रति मरीज 26,355 रुपये बनते हैं। 

आरटीआई के जरिए यह मामला सामने आने के बाद हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने घोटाले का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि 345 करोड़ रुपये राज्य में कोरोना पर खर्च करने का मामला बड़ा घोटाला लग रहा है। शैलजा का कहना है कि हरियाणा को कोरोना रिलीफ फंड में 302 करोड़ रुपये मिले हैं लेकिन खट्टर सरकार ने इसमें से सिर्फ 104 करोड़ रुपये ही जारी किए हैं। बहुत स्पष्ट है कि हरियाणा में कोरोना इलाज के नाम पर कुप्रबंधन हुआ है। राज्य में 1200 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। अगर खट्टर सरकार का प्रबंध अच्छा होता तो शायद इतनी मौतें नहीं होतीं।

फरीदाबाद के सरकारी अस्पताल में रैपिड टेस्ट के नाम पर काटी गई पर्ची

प्राइवेट अस्पताल भी लूट में पीछे नहीं

हरियाणा सरकार से सस्ती जमीन लेकर बड़े-बड़े अस्पताल खड़े करने वाले भी जनता को खुलेआम लूट रहे हैं। फरीदाबाद-गुड़गांव के फाइव स्टार अस्पतालों को तो लूट का प्रमाणपत्र मिला हुआ लेकिन फरीदाबाद के सर्वोदय जैसे मझोले प्राइवेट अस्पताल भी लूट में पीछे नहीं हैं। 

फरीदाबाद के फोर्टिस और एशियन अस्पताल ने बाकायदा होटल के मैन्यू कार्ड की तरह अपनी रेटलिस्ट जारी कर दी थी, जिसमें एक दिन का कोरोना इलाज का खर्च पांच लाख रुपये तक बताया गया था। लेकिन जब शोर मचा तो हरियाणा सरकार ने जून में एक आदेश जारी कर हर प्राइवेट अस्पताल को निर्देश दिया कि वह 8,000 रुपये से लेकर 18,000 रुपये प्रतिदिन ही कोरोना के मरीज से वसूल सकता है। लेकिन किसी भी बड़े या छोटे प्राइवेट अस्पताल ने इस सरकारी आदेश को नहीं माना।

हरियाणा सरकार का 18 सितम्बर का आदेश, जिसमें साफ़ लिखा है कि किससे टेस्टिंग फ़ीस ली जाएगी

लेकिन बदमाशी देखिए कि इन प्राइवेट अस्पतालों के दबाव पर हरियाणा सरकार ने 18 सितम्बर को नया आदेश जारी किया है कि सिर्फ हरियाणा में रहने वाले लोगों से ही 8000 से लेकर 18000 रुपये प्रतिदिन इलाज का खर्च लिया जाएगा। लेकिन दूसरे राज्यों से आने वाले मरीजों से प्राइवेट अस्पताल अपने हिसाब से पैसा वसूल कर सकते हैं। यानी फरीदाबाद के एशियन या गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में अगर कोई यूपी-बिहार से कोरोना का इलाज कराने आता है तो उस मरीज पर 8000-18000 रुपये प्रतिदिन का मामला लागू नहीं होगा, अस्पताल उससे कितना भी पैसा मांग सकते हैं।

केंद्रीय परिवार कल्याण मंत्रालय की पूर्व सचिव के. सुजाता राव ने हरियाणा सरकार के इस आदेश पर सख्त ऐतराज जताया है। उनका कहना है कि यह आदेश सरासर गलत है। यह क्या बात हुई कि हरियाणा के मरीज से प्रतिदिन के इलाज का अलग पैसा और दूसरे राज्यों से आने वाले मरीज के प्रतिदिन इलाज का अलग पैसा। लगता है कि हरियाणा सरकार ने यह फैसला प्राइवेट अस्पतालों के दबाव पर लिया है। ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी मरीज को लोकल या बाहर के तौर पर इलाज का अलग तरह का खर्च उठाना पड़े।

(यूसुफ किरमानी वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल दिल्ली में रहते हैं।)

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