Wednesday, April 24, 2024

विपक्ष आया किसानों के समर्थन में

तीनों काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों का विपक्ष ने समर्थन किया है। कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाए हैं। वहीं शिव सेना ने भी किसानों का समर्थन किया है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती ने भी सवाल उठाए हैं।

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मोदी के ‘मन की बात’ पर काउंटर अटैक करते हुए, 12 हजार किसानों पर हरियाणा सरकार द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को वापस लेने की मांग की है। साथ ही उन्होंने सरकार से तीनों कृषि कानून सस्पेंड करने की भी मांग की है।

सुरजेवाला ने अपने संबोधन की शुरुआत महात्मा गांधी के वाक्य को कोट करते हुए की। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था, “जो कानून तुम्हारे अधिकारों की रक्षा न कर सके, उसकी अवहेलना करना तुम्हारा परम कर्तव्य है।”

संबोधन में उन्होंने कहा कि गृह मंत्री और कृषि मंत्री किसानों से वार्तालाप का स्वांग करते हैं, आज मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी जी खेती विरोधी तीनों काले कानूनों को सही ठहराते हैं। आज मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी ने देवी अन्नपूर्णा की बात की। क्या देवी अन्नपूर्णा दिल्ली के चारों ओर लाखों की संख्या में बैठे अपने बच्चों यानी कराहते किसानों की दुर्दशा देख खुश होंगी? क्या मोदी जी ने इस बारे में भी सोचा?”

इसके आगे उन्होंने किसान कानूनों को जस्टिफाई करने के नरेंद्र मोदी के कथन पर कहा, “आज देश के प्रधानमंत्री ने पूरे देश में आंदोलनरत किसानों का अपमान करते हुए कृषि विरोधी काले कानूनों को सही बता दिया। जब देश का प्रधानमंत्री ही 62 करोड़ किसानों की बात सुनने के बजाय पूंजीपतियों के पोषण के तीन खेती विरोधी काले कानूनों को सही बताए, तो न्याय कौन देगा? जब देश के मुखिया ही तीन कृषि कानूनों के समर्थन में आ खड़े होंगे तो बातचीत किससे होगी? कैसे होगी और उस बातचीत का फायदा क्या होगा?”

कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने ‘मन की बात’ में कृषि कानूनों को किसान हित में बताने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर होते कहा है, “वादा था किसानों की आय दोगनी करने का, मोदी सरकार ने आय तो कई गुना बढ़ा दी, लेकिन अदानी-अंबानी की! जो काले कृषि क़ानूनों को अब तक सही बता रहे हैं, वो क्या ख़ाक किसानों के पक्ष में हल निकालेंगे? अब होगी #किसान बात।”

किसानों के विरोध-प्रदर्शन का शिवसेना प्रवक्ता और राज्यसभा के सांसद संजय राउत ने समर्थन करते हुए कहा, “केंद्र की मोदी सरकार द्वारा नये कृषि कानूनों के विरोध में किसान आज चौथे दिन लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जिस तरह से किसानों को दिल्ली में आने से रोका गया है ऐसा लगता है कि वे देश के किसान नहीं बल्कि बाहर के किसान है। उनके साथ आतंकवादी जैसा बर्ताव किया गया है। इस तरह का बर्ताव करना देश के किसानों का अपमान करना है।”  

वहीं सपा मुखिया और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किसानों को भाजपा सरकार द्वारा आतंकी कहे जाने पर सख्त नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा,  “किसानों को आतंकवादी कहकर अपमानित करना भाजपा का निकृष्टतम रूप है। ये अमीरों की पक्षधर भाजपा का खेती-खेत, छोटा-बड़ा व्यापार, दुकानदारी, सड़क, परिवहन सब कुछ, बड़े लोगों को गिरवी रखने का षड्यंत्र है। अगर भाजपा के अनुसार किसान आतंकवादी हैं तो भाजपाई उनका उगाया न खाने की कसम खाएं।”

बसपा अध्यक्ष मायावती ने सरकार से तीनों कृषि कानूनों पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करते हुए कहा है, “केंद्र सरकार द्वारा कृषि से संबंधित हाल में लागू किए गए तीन कानूनों को लेकर अपनी असहमति जताते हुए पूरे देश में किसान काफी आक्रोशित और आंदोलित भी हैं। इसके मद्देनजर, किसानों की आम सहमति के बिना बनाए गए, इन कानूनों पर केंद्र सरकार अगर पुनर्विचार कर ले तो बेहतर।”

‘#पीएम_पनौती’ कर रहा टॉप ट्रेंड

ट्विटर पर ‘#पीएम_पनौती’ टॉप ट्रेंड कर रहा है। इसे अब तक 57 हजार ट्वीट मिले हैं। 

इस ट्रेंड के कुछ ट्वीट यूं हैं-

https://twitter.com/MdToush77506104/status/1333020512931385344?s=19

राम होल्कर नामक व्यक्ति ने लिखा है, “पीएम देश के लिए एक ‘पनौती’ हैं, यह पिछले 6 वर्षों में साबित हुआ है, किसान मरते हुए, भटकते हुए युवा, बेरोजगार युवा, भारत पीड़ित मानवता, मानवीय असहायता, जबरन पलायन, उद्योगपति ‘मालामाल’ भारत शत्रु ऋण में डूब जाता है।”

ब्रिटिश क्रिकेटर मांटी पनेसर ने उठाया कांट्रैक्ट खेती पर सवाल
भारतीय मूल के इंग्लैड के क्रिकेटर मांटी पनेसर ने ट्वीट करके किसानों का समर्थन किया है। अपने ट्वीट को नरेंद मोदी और भाजपा को टैग करते हुए उन्होंने सवाल उठाते हुए लिखा है, “यदि खरीदार कहता है कि अनुबंध पूरा नहीं हो सकता है, क्योंकि फसल की गुणवत्ता पर सहमति नहीं बनी है, तो किसान को क्या सुरक्षा है? कीमत तय करने का कोई जिक्र नहीं है??!!”

उधर, किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए राजनीतिक प्रस्ताव में आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की राष्ट्रीय कार्यसमिति ने कहा है कि आजादी के बाद देश में किसी आंदोलन पर सबसे ज्यादा आंसू गैस के गोले चलाने, किसान नेताओं पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराने, सड़कों को खोदकर उनका रास्ता रोकने, उन पर लाठी चलाने वाली और उन्हें बदनाम करने के लिए अपमानजनक आरोप लगाने वाली मोदी सरकार को किसानों से माफी मांगनी चाहिए और बिना किसी शर्त के तत्काल देश विरोधी तीनों कानूनों को वापस लेना चाहिए कम से कम उसे हर हाल में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की फसल खरीद की शर्त को शामिल करने की घोषणा करनी चाहिए।

इस प्रस्ताव को प्रेस में जारी करते हुए एआईपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व आईजी एसआर दारापुरी ने कहा कि यह दुखद है कि आज जब सरकार के प्रति उपजे गहरे अविश्वास के कारण किसान सड़कों पर हैं, तब भी प्रधानमंत्री द्वारा की गई मन की बात में इन कानूनों को वापस लेने और किसानों के साथ किए दुर्व्यवहार पर एक शब्द नहीं बोला गया। उलटे वह अभी भी देशी विदेशी वित्तीय पूंजी और कॉरपोरेट घरानों के मुनाफे के लिए देश की खेती-किसानी को बर्बाद करने वाले अपनी सरकार द्वारा लाए कानूनों का बचाव ही करते रहे।

उनके गृह मंत्री शर्तें रखकर किसानों को वार्ता के लिए बुला रहे हैं, जबकि किसानों की मांग साफ है कि देश विरोधी तीनों कानूनों को सरकार को वापस लेना चाहिए और कम से कम कानून में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीद की बाध्यता का प्रावधान जोड़ना चाहिए। ऐसी स्थिति में सरकार को किसानों की मांग पर अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए न कि किसानों और उनके आंदोलन को बदनाम करने और उसका दमन करने में अपनी ऊर्जा लगानी चाहिए।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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