दु:शासन बन भाजपा लोकतंत्र का कर रही चीरहरण, एकजुट हो विपक्ष: ममता बनर्जी

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नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्षी एकता पर पहली बार सार्वजनिक तौर पर बड़ा बयान दिया है। मोदी सरकार को ‘दु:शासन सरकार’ बताते हुए 2024 लोकसभा चुनाओं के लिए सभी विपक्षी दलों और सभी लोगों को एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा “मैं भारत के हर राजनीतिक दल से इस दु:शासन भाजपा सरकार को बाहर करने के लिए एकजुट होने का आग्रह करती हूं। इस दुर्योधन भाजपा को देश के आम आदमी और भारतीय लोकतंत्र को बचाने के लिए सत्ता से हटा देना चाहिए।”

गुरुवार को शाम सात बजे संपन्न हुए 30 घंटे के धरने-प्रदर्शन के दौरान टीएमसी प्रमुख ने तीन बार भाषण दिया। अपने हर भाषण में, उन्होंने आने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता के महत्व पर जोर दिया। गठबंधन पर ममता बनर्जी के रुख में बदलाव आया है। दरअसल, उन्होंने पहले कहा था कि वह 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए कोई गठबंधन नहीं बनाएंगी। लेकिन बदली राजनीतिक परिस्थितियों में ममता बनर्जी विपक्षी गठबंधन की बड़ी पैरोकार बनकर उभरी हैं। जो विपक्षी एकता के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है।

कोलकाता के रेड रोड पर बीआर अंबेडकर की प्रतिमा के सामने पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री और नेता धरने पर बैठे थे। यह धरना मोदी सरकार द्वारा जीएसटी कर में पश्चिम बंगाल का हिस्सा न देने पर आयोजित था। ममता बनर्जी ने जीएसटी कर में पश्चिम बंगाल का हिस्सा नहीं देने पर “दिल्ली चलो”का आह्वान करते हुए कहा कि हम जीएसटी कर में पश्चिम बंगाल का हिस्सा लेकर रहेंगे।

ममता बनर्जी ने “और एक दफा दिल्ली चलो”(दिल्ली के लिए एक और बार मार्च) का आह्वान किया, और कहा कि वह जीएसटी कर में हिस्सा ले लेंगी। अगर भाजपा शासित केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल का बकाया नहीं चुकाया तो उनका दिल्ली में विरोध किया जायेगा।

दरअसल, ब्रिटिश शासन के खिलाफ नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रसिद्ध “दिल्ली चलो” का नारा दिया था। वर्तमान समय में केंद्र सरकार जिस तरह से गैर-भाजपा शासित राज्यों के साथ भेद-भाव कर रही है, उस संदर्भ में ममता बनर्जी ने केंद्र से अपना हक मांगने के लिए दिल्ली चलो का नारा दिया है।

उन्होंने कहा कि “नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने लोगों से भारत को आज़ाद कराने के लिए दिल्ली जाने को कहा था। हम फिर से नेताजी, गांधीजी, रवींद्रनाथ, नजरूल की तस्वीरें लेकर दिल्ली जाएंगे और केंद्र सरकार से अपना बकाया वापस लेंगे।”

“वे (भाजपा सरकार) संघीय ढांचे को नष्ट कर रहे हैं। वे सभी गैर-बीजेपी राज्यों को उनके हिस्से और अधिकार से वंचित कर रहे हैं। वे हमसे हमारा जीएसटी का पैसा लूट रहे हैं। वे 100 दिन (मनरेगा) के काम का पैसा रोक रहे हैं।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपने हमले को तेज करते हुए ममता बनर्जी ने कहा “हम जानते हैं कि एक आंदोलन कैसे आयोजित किया जाता है। आने वाले लोकसभा चुनाव में यह “नंदलाल” बनाम देश की सभी जनता होगी। आने वाले चुनाव में सभी विपक्षी दलों और सभी लोगों को एक होना चाहिए। आपको (बीजेपी) जाना होगा..आपने बुलडोजर चलाकर हमारे संविधान को ध्वस्त कर दिया। आप अपना कानून लागू करें। हम नागरिक कानून लागू करेंगे।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने राज्य का बकाया पाने के लिए सभी रास्ते अपनाए, लेकिन केंद्र सरकार ने कुछ नहीं दिया। “मैंने शिष्टाचार दिखाया, प्रधानमंत्री के पास गयी और बकाया के लिए आग्रह किया, केंद्र को पत्र भेजे, मंत्रियों को दिल्ली भेजा। लेकिन उन्होंने कुछ नहीं दिया।’

केंद्र की भाजपा सरकार पर जांच एजेंसियों के माध्यम से विपक्षी दलों को निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए ममता बनर्जी ने कहा, “भाजपा एक सामंती जमींदार की तरह व्यवहार कर रही है। अगर कोई बीजेपी के खिलाफ कुछ कहता है तो उसे जेल भेज देते हैं। अगर कोई बीजेपी के खिलाफ कुछ कहता है तो उसे घर से निकाल देते हैं। अगर कोई बीजेपी के खिलाफ कुछ कहता है तो उसके पीछे ईडी और सीबीआई भेज देते हैं। वे कितनी ईमानदार पार्टी हैं! न केवल भारत में, बल्कि बीबीसी भी यह कह रहा है।”

“हम देश के साथ हैं। तृणमूल सुप्रीमो ने कहा, हम अपने देश के खिलाफ कुछ भी सुनने के इच्छुक नहीं हैं।” उन्होंने कहा “वे हमें देशद्रोही कह रहे हैं। केवल वे ही राष्ट्रवादी हैं और हम देशभक्त नहीं हैं? वे यही सोचते हैं। लेकिन हम इससे लड़ेंगे।”

टीएमसी प्रमुख ने राज्य सरकार के कर्मचारियों के एक वर्ग पर भी निशाना साधा, जो केंद्र के बराबर महंगाई भत्ते (डीए) की मांग कर रहे हैं, उन्होंने आरोप लगाया कि जिन्हें वामपंथी शासन के दौरान माकपा नेताओं की सिफारिशों पर नौकरी मिली थी। वर्तमान सरकार और प्रदेश को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। “जिनको पश्चिम बंगाल से सब कुछ मिला, वे अब राज्य सरकार का विरोध कर रहे हैं।” मैंने अधिकारियों से उनकी भर्ती फाइलों को देखने के लिए कहा है। वे जनता का पैसा ले रहे हैं और आंदोलन में व्यस्त हैं।

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प्रदीप सिंह https://www.janchowk.com

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

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