गुजरात के चुनाव में पाकिस्तान, दंगा, मजार और दाउद की एंट्री भी हो गई

गुजरात के विधानसभा चुनाव में एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह रहे हैं कि कांग्रेस विकास के मुद्दे पर वोट नहीं मांग रही है तो दूसरी ओर उनकी ही पार्टी यानी भाजपा के तमाम नेता हर दिन विकास की बात छोड़ कर ध्रुवीकरण पैदा करने वाले ऐसे नए-नए मुद्दे उठा रहे हैं, जिनका गुजरात से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। गुजरात में भाजपा 27 साल से सत्ता से में है लेकिन इन 27 सालों में उसने क्या किया, इसका कोई भाजपा नेता जिक्र नहीं कर रहा है। दिल्ली में हुए श्रद्धा मर्डर कांड के आरोपी आफताब पूनावाला का मुद्दा उठाने के बाद अब गुजरात के चुनाव में 2002 की भीषण सांप्रदायिक नरसंहार, पाकिस्तान और दाउद इब्राहिम की भी एंट्री हो गई है।

वैसे भी बिना पाकिस्तान और मुसलमान का जिक्र किए भाजपा कोई चुनाव नहीं लड़ती है। गुजरात में पाकिस्तान के नाम पर भाजपा के चुनाव लड़ने का सिलसिला नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने के बाद शुरू हुआ। मोदी ने मुख्यमंत्री रहते हुए तीन विधानसभा चुनाव लड़े और तीनों चुनाव में उन्होंने पाकिस्तान का खूब जिक्र किया। 2007 के विधानसभा चुनाव में तो उन्होंने पाकिस्तान प्रेरित आतंकवाद के मुद्दे पर अपने भाषणों में कांग्रेस और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को तराजू के एक ही पलड़े पर रखते हुए ऐसा माहौल बना दिया था मानो विधानसभा का चुनाव नहीं बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हो रहा हो। उसी चुनाव में उन्होंने 2002 की भीषण सांप्रदायिक नरसंहार के पीडितों के राहत शिविरों को बच्चे पैदा करने के कारखाने और मुस्लिम महिलाओं को उन कारखानों की मशीन बताने जैसे घृणित बयानों से भी परहेज नहीं किया था।

अभी चल रहे चुनाव में भाजपा के दूसरे सबसे बड़े नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अमित शाह ने खेड़ा जिले की महुआ कस्बे में एक चुनावी रैली में कहा कि हमने 2002 में दंगा करने वाले तत्वों को ऐसा सबक सिखाया कि गुजरात में स्थायी शांति हो गई। यह कह कर अमित शाह ने एक तरह से गुजरात में व्यापक पैमाने पर सरकार के संरक्षण में हुए मुसलमानों के नरसंहार को जायज ठहराया है। यह स्पष्ट रूप से ध्रुवीकरण का प्रयास है, जो यह बताता है कि अमित शाह को इस बार भाजपा की जमीन खिसकती हुई महसूस हो रही है या फिर वे अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए अपने वोट बैंक को संबोधित कर रहे हैं।

यही नहीं, अमित शाह ने बेट द्वारका क्षेत्र में भी अपनी सभा में इस नाम पर वोट मांगा कि फर्जी मजार बना कर जमीन हड़पी गई थी, जिसे सरकार ने तुड़वा दिया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी वोट बैंक की परवाह नहीं करती है और आगे भी अवैध मजार और कब्र तोड़ी जाती रहेंगी। उन्होंने बेट द्वारका में मजार तोड़े जाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की तारीफ भी की। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में भी भाजपा श्मशान और कब्रिस्तान के नाम पर भी वोट मांग चुकी है। खुद नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी रैलियों में श्मशान बनाम कब्रिस्तान का मुद्दा उठाया था।

बहरहाल गुजरात के विधानसभा चुनाव में आफताब का मुद्दा उठाने वाले असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने पाकिस्तान का मुद्दा उठाया। अपने पहले चुनावी दौरे में उन्होंने आफताब का मुद्दा उठाया था। दूसरे दौरे में उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान को पता है कि अगर भारत में दो धमाके हुए तो उसके यहां 20 धमाके होंगे। आफताब और पाकिस्तान दोनों का जिक्र करके उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व के नाम पर लोगों से भाजपा को वोट देने के लिए कहा।

इसी बीच कुछ समाचार एजेंसियों ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि मुंबई पुलिस को एक व्हाट्सऐप मैसेज मिला है जिसमें कहा गया है कि भगोड़े आतंकवादी दाउद इब्राहिम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की साजिश रची है। मीडिया में आई इस खबर को भी भाजपा के नेता चुनाव प्रचार में खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब चुनाव के समय दाउद को लेकर इस तरह की खबर आई है। इससे पहले भी गुजरात व अन्य राज्यों के चुनाव के समय इस तरह की खबरें आती रही हैं।

इसी बीच सेना की उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पीओके यानी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस लेने का जो बयान दिया है, भाजपा नेताओं ने उसका भी चुनावी इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इससे विपक्ष के इस आरोप को बल मिलता है कि चुनाव के मौके पर सैन्य अधिकारी से यह बयान दिलवाया गया है।

अब गुजरात में पहले चरण के मतदान के लिए प्रचार बंद होने में पांच दिन बाकी रह गए हैं और जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे प्रचार में सांप्रदायिक और धार्मिक मुद्दों की मात्रा बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही भाजपा की कारपेट बॉम्बिंग भी तेज हो रही है। बताया जा रहा है कि दूसरे चरण के मतदान का प्रचार बंद होने तक यानी तीन दिसंबर तक प्रधानमंत्री मोदी 35 और सभाएं करेंगे। इसी दौरान अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई केंद्रीय मंत्रियों की सभाएं भी होंगी।

(अनिल जैन वरिष्ठ पत्रकार हैं और इस समय गुजरात दौरे पर हैं।)

अनिल जैन
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