Friday, April 19, 2024

हाथरस गैंगरेप के खिलाफ देश भर में उबाल, कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ता गिरफ्तार, कई जगहों पर लाठीचार्ज

हाथरस में दलित लड़की के साथ गैंगरेप और बर्बरतापूर्ण हत्या के बाद सरकार के निर्देश पर हाथरस प्रशासन द्वारा पीड़ित परिजनों की मर्जी के खिलाफ़ आधी रात लाश जलाने के खिलाफ़ पूरे देश में कांग्रेस, सपा, महिलाओं के संगठन महिला कांग्रेस, एपवा, एडवा, यूथ कांग्रेस, तमाम छात्र संगठन सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। तमाम जगहों पर पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज और गिरफ्तारी की गई हैं।

दिल्ली, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में हाथरस केस को लेकर कांग्रेस सड़कों पर है। कांग्रेस, महिला कांग्रेस और यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली के यूपी भवन, विजय चौक पर विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने वहां से प्रदर्शनाकरियों को उठाकर संसद थाना मार्ग ले गई। प्रदर्शनकारी संसद थाना मार्ग में ही नारेबाजी कर रहे हैं।

वहीं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर, चंदौली, चित्रकूट, प्रतापगढ़, हाथरस, बुलंदशहर, आजमगढ़, भदोही में कांग्रेस ने विरोध-जुलूस निकाला। चित्रकूट में प्रदेश सचिव अखिलेश शुक्ला जिला अध्यक्ष कुशल पटेल गिरफ्तार कर लिए गए। प्रतापगढ़ में कांग्रेस नेता गिरफ्तार किए गए। हाथरस जाते हुए बदायूं हाइवे पर कांग्रेस महासचिव ब्रह्म स्वरूप सागर, असलम चौधरी समेत कई नेता गिरफ्तार हुए हैं। 

वहीं जालौन, सोनभद्र, चित्रकूट, लखनऊ समेत कई जिलों में पुलिसिया उत्पीड़न किया गया है। कई जिलों में कांग्रेसी कार्यकर्ता घायल हुए हैं।

यूपी के तमाम जिलों से जिलाध्यक्षों समेत प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। लखनऊ से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।

सपा कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज

समाजवादी कार्यकर्ताओं के प्रति उत्तर प्रदेश पुलिस की अतिरिक्त क्रूरता दिखती है। हाथरस केस मामले में लखनऊ स्थित मुख्यमंत्री आवास के बाहर विरोध-प्रदर्शन कर रहे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने बड़ी बेरहमी से पीटा है।

महिला संगठन एपवा, एडवा समेत तमाम दूसरे संगठनों की महिलाओं ने आज हजरतगंज में काफी हाउस के पास कैंडल मार्च निकालने की कोशिश की। लेकिन उससे पहले ही पुलिस ने उन सभी को हिरासत में ले लिया।

छात्र संगठन भी सड़कों पर

आइसा, ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन (AIDSO), ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक यूथ ऑर्गेनाइजेशन (AIDYO) समेत कई छात्र संगठन हाथरस केस के खिलाफ सरकार और पुलिस की भूमिका के खिलाफ़ सड़कों पर उतरे। छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया कई जगह छात्रों पर लाठीचार्ज की भी सूचना है।

दिल्ली के उत्तर प्रदेश भवन पर भी महिलाओं और छात्र संगठनों ने प्रदर्शन किया है। यहां महिलाओं की पुलिसकर्मियों के साथ झड़प भी हो गयी। यहां पुलिस ने सभी कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया था इन सभी को मंदिर मार्ग थाने में रखा गया था। बाद में जब इन लोगों को छोड़ा गया तो ये सभी इंडिया गेट पर होने वाले प्रदर्शन में भाग लेने चले गए। जहां उन पर पुलिस बेहद बर्बरता के साथ पेश आयी है।

हाथरस मामले में सरकार के आपराधिक रवैये के विरोध में हरियाणा के विभिन्न जिलों में जनवादी महिला समिति, दलित अधिकार मंच, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू), खेत मजदूर यूनियन, एसएफआई, डीवाईएफआई व अन्य जनसंगठनों ने मिलकर प्रदर्शन किए और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पुतले फूंके।

दारापुरी ने महिला राज्यपाल को भेजकर कहा महिला सुरक्षा की बनी संस्थाओं की बर्बादी महिला हिंसा की जिम्मेदार  

आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी एसआर दारापुरी ने संवैधानिक प्रमुख के महिला होने के नाते राज्यपाल को पत्र भेजकर प्रदेश में लगातार बढ़ रही महिला हिंसा की घटनाओं में तत्काल हस्तक्षेप कर प्रदेश सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया है। उन्होंने पत्र में हाथरस की अमानवीय व बर्बर घटना में लापरवाही बरतने और समय से एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही न करने और उसे समुचित इलाज न दिलाने वाले दोषी पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को दण्डित करने, महिलाओं पर हो रही हिंसा की घटनाओं के लिए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को जवाबदेह बनाने और महिलाओं के साथ हिंसा, बलात्कार, हत्या की घटनाओं में तत्काल राहत पहुंचाने वाली 181 वूमेन हेल्पलाइन और महिला समाख्या जैसी महिलाओं के लिए हितकारी योजनाओं को पूरी क्षमता से चलाने की मांग की। 

रात में क्यों जलाई गई लाश      

आखिर योगी सरकार और उसकी पुलिस को पीड़िता का शव जलाने की इतनी जल्दी क्यों थी। क्या था जिसको छुपाने के लिए रात के दो बजे जनरेटर चलाकर हाथरस पुलिस द्वारा ह्युमन चेन बनाकर लाश को जलाना पड़ा। 

क्या एक दलित लड़की की लाश ठाकुर मुख्यमंत्री की सत्ता के लिए ख़तरा बन गई थी। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस संदर्भ में ट्वीट करके आधी रात के दाह संस्कार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। 

वहीं यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ट्वीट करके आधी रात में पीड़िता की लाश जलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वतःसंज्ञान लेने की अपील की है।

सबसे पहले तो कल शाम को ही जब ख़बर आई की हाथरस गैंगरेप पीड़िता की मौत हो गई है तो प्रशासन द्वारा दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल से लाश गायब कर दी गई। पीड़ित परिवार अस्पताल के बाहर लाश देने की गुहार लगाता रहा और लाश आधी रात पीड़िता के गांव पहुँच गई। 

मां रोती रही गुहार सगाती रही के साहेब कुछ देर के लिए हमें हमारी बेटी का लाश दे दीजिए हमारे कुछ रीति-रिवाज़ हैं। मैं अपनी बेटी की मृत देह में हल्दी लगाकर उसे आखिरी बार अपने घर से विदा करना चाहती हूँ पर यूपी पुलिस प्रशासन ने पीड़ित परिवार की एक न सुनी। 

पीड़ित परिजनों ने जब धर्म की दुहाई दी कि हिंदू धर्म में रात को दाह संस्कार नहीं होता और ये हिंदू मान्यताओं के खिलाफ़ है तो यूपी पुलिस ने पंडित बनकर समझाया कि विशेष परिस्थितियों में ये नहीं देखा जाता है।

ख़ैर रात के दो बजे पीड़ित परिवार को उनके घर में बंद करके बाहर पुलिस का पहरा बैठा करके यूपी पुलिस के सैकड़ों सिपाही पीड़िता के घर से महज 500 मीटर की दूरी पर लाश को आग के हवाले कर देते हैं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि लाश को जलाने के लिए पेट्रोलियम पदार्थों का भी इस्तेमाल किया गया। और मीडिया कवर न कर सके इसके लिए पुलिस जहां लाश जल रही थी वहां ह्यूमनचेन बनाकर खड़ी थी।

https://twitter.com/HansrajMeena/status/1311172729014382592?s=19

पीड़िता के भाई के मुताबिक एंबुलेंस रात में 1 बजे लाश के लेकर गांव पहुंची थी। एंबुलेंस मुख्य सड़क पर ही खड़ी थी। परिवार वाले पुलिस से कहते रहे की हमें लाश कुछ देर के लिए दे दीजिए। लेकिन पुलिस ने हमारी बात नहीं मानी और रात में ही श्मशान की लाइट जलाकर परिजनों को दाह संस्कार करने के लिए विवश करने लगे। जबकि तब तक पीड़िता के भाई और पिता दिल्ली से गांव नहीं पहुंचे थे। तमाम वीडियो और तस्वीरों से साफ जाहिर है कि वहां पीड़िता के परिवार से कोई नहीं था। पीड़िता के भाई का कहना है जब हमने आधी रात में दाह संस्कार करने से मना कर दिया तो करीब 3:30 बजे पुलिस एग्रेसिव हो गई। जब हमारे रिश्तेदारों ने ये जानने की कोशिश की कि पुलिस आखिर कर क्या रही है तो पुलिस ने उन्हें लात से मारा। हम सब डर गए। पुलिस ने मेरी बहन का दाह संस्कार खुद अपने से किया है। 

हाथरस के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीना ने कहा कि पीड़िता का आखिरी संस्कार कर दिया गया है। जबकि हाथरस पुलिस ने रात के 2:16 बजे ट्वीट किया कि परिवार की इच्छा के मुताबिक दाह संस्कार कर दिया गया है। 

वहीं, हाथरस पुलिस पूरी निर्लज्जता पर उतरकर तमाम सबूतों, प्रत्यक्षदर्शी गवाहों और तमाम वीडियोज को झुठलाते हुए कह रही है कि सोशल मीडिया में अफवाह है सच नहीं। पुलिस ने नहीं परिवार ने दाह संस्कार किया है। 

जबकि हाथरस डीएम ने सफाई देते हुए कहा कि क्षेत्र में कानून और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पीड़िता के शव का रात में ही अंतिम संस्कार करवाना पड़ा। 

पीड़िता का बयान और पुलिस की सफाई

कल सुबह पीड़िता की मौत के बाद हाथरस के डीएम ने प्रेस नोट जारी करके घटना की विस्तृत जानकारी साझा की है। डीएम हाथरस की प्रेस नोट के मुताबिक- “दिनांक 14-09-2020 को थाना चन्दपा में वादी द्वारा सूचना दी गई कि मेरी मां व बहन सुबह समय करीब 9.30 बजे खेत पर घास लेने गई थीं। जहां पर जैसे ही मेरी बहन से थोड़ा दूरी बनी तभी संदीप पुत्र गुड्डू थाना चन्दपा जनपद हाथरस ने आकर गला दबाकर हत्या करने की कोशिश की। वादी की लिखित तहरीर के आधार पर थाना चन्दपा पर मु.अ.सं.-136/2020 धारा 307 भादवि 3(2)5 एससी/एसटी अधिनियम का अभियोग पंजीकृत कराया गया है। जिसकी विवेचना क्षेत्राधिकारी सादाबाद को सुपुर्द की गई। विवेचना के मध्य नामजद अभियुक्त संदीप उपरोक्त को दिनांक 19-09-2020 को गिरफ़्तार कर जेल भेजा जा चुका है। घटना के दिन पीड़िता बयान देने की हालत में नहीं होने के कारण दिनांक 22.09.2020 को क्षेत्राधिकारी सादाबाद /विवेचक द्वारा पीड़िता का बयान दर्ज़ किया गया। पीड़िता के जीभ काटने की बात गलत है।

पीड़िता के बयान के आधार पर मुकदमा उपरोक्त में तीन अभियुक्त लवकुश पुत्र रामवीर, रवि पुत्र अतर सिंह, राम कुमार उर्फ रामू पुत्र राकेश निवासी गण थाना चन्दपा जनपद हाथरस के नाम एवं दुष्कर्म की घटना प्रकाश में लाये गए तथा मुकदमा उपरोक्त में धारा 376 भी भादवि की बढ़ोत्तरी की गयी। प्रकाश में आये तीनों अभियुक्तों में से अभियुक्त लवकुश पुत्र रामवीर उपरोक्त को दिनांक 23.09.2020 को गिरफ्तार किया गया, अभियुक्त रवि पुत्र अतर सिंह को 25.09.2020 को तथा तथा तीसरे व अंतिम अभियुक्त रामू पुत्र राकेश उपरोक्त को 26.09.2020 को गिरफ्तार कर के जेल भेजा गया। मुकदमा उपरोक्त में नामजद एवं प्रकाश में आए सभी अभियुक्तगणों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। एससी/एसटी एक्ट के अंतर्गत पीड़िता को प्रथम किश्त की धनराशि 412500 रुपये दे दी गई है और आज दिनांक 29.09.2020 को 587500 रुपये की धनराशि और दी जा रही है। इस प्रकार कुल 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता की जा रही है। परिवार जनों की सहमति के उपरांत दिनांक 28.09.2020 को पीड़िता को सफदरजंग अस्पताल नई दिल्ली में भर्ती कराया गया, जिसकी आज 29.09.2020 की सुबह इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। मृत्यु की सूचना के बाद धारा 302 भादवि की वृद्धि की जा रही है। घटना में शीघ्र विवेचना व साक्ष्य संकलन को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने की कार्यवाही की जाएगी।      

वहीं मरने से पहले पीड़िता ने जो बयान दिया था, बयान वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।  

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।

शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने के बावजूद महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं

महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने सामाजिक और राजनीतिक संकट को जन्म दिया है। भाजपा ने अपने रणनीतिक आक्रामकता से सहयोगी दलों को सीमित किया और 2014 से महाराष्ट्र में प्रभुत्व स्थापित किया। लोकसभा व राज्य चुनावों में सफलता के बावजूद, रणनीतिक चातुर्य के चलते राज्य में राजनीतिक विभाजन बढ़ा है, जिससे पार्टियों की आंतरिक उलझनें और सामाजिक अस्थिरता अधिक गहरी हो गई है।

Related Articles

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।

शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने के बावजूद महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं

महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने सामाजिक और राजनीतिक संकट को जन्म दिया है। भाजपा ने अपने रणनीतिक आक्रामकता से सहयोगी दलों को सीमित किया और 2014 से महाराष्ट्र में प्रभुत्व स्थापित किया। लोकसभा व राज्य चुनावों में सफलता के बावजूद, रणनीतिक चातुर्य के चलते राज्य में राजनीतिक विभाजन बढ़ा है, जिससे पार्टियों की आंतरिक उलझनें और सामाजिक अस्थिरता अधिक गहरी हो गई है।