Friday, April 19, 2024

एनआरसी और डिटेंशन कैंप पर पीएम ने बोला झूठ

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री पद पर बैठा कोई शख्स कैसे इस तरह से सफेद झूठ बोल सकता है। आज रामलीला मैदान की रैली में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार में न तो एनआरसी की चर्चा हुई है और न ही देश में कोई डिटेंशन कैंप बना है।

जबकि सच्चाई यह है कि राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में इस बात का जिक्र किया था। और उसकी घोषणा करते समय पूरा सदन सत्ता पक्ष के सदस्यों की तालियों से गूंज उठा था।

अमित शाह ने बाकायदा संसद के भीतर ओवैसी का नाम लेते हुए एनआरसी को देश के स्तर पर लागू करने की बात कही थी। और उससे बाहर मीडिया के सामने और तमाम मौकों पर बाकायदा इसे वह एक पैकेज के तौर पर पेश करते रहे हैं।

एक चैनल पर तो उन्होंने इसकी पूरी क्रोनोलॉजी समझायी थी। जिसमें पहले सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून और उसके बाद एनआरसी लाने की बात कही थी। नीचे दिए गए तमाम ट्वीट और वीडियो इसकी खुली बयानी करते हैं।

एक सभा में एनआरसी को लाने का ऐलान करते गृहमंत्री अमित शाह।

इस बीच, आज फिर नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ पूरे देश में जगह-जगह प्रदर्शन हुए। जिसमें लाखों की तादाद में लोगों ने शिरकत की। इसी तरह के मुंबई के धारावी में हुए एक प्रदर्शन में लोगों का जनसमुद्र उमड़ पड़ा जिसे किसी कैमरे में कैद कर पाना संभव नहीं था।

बरेली में भी इसी तरह का एक प्रदर्शन हुआ। जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने शिरकत की।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बिजनौर का दौरा कर पुलिस उत्पीड़न के शिकार परिवारों से मुलाकात की है। यूपी में नागरिकता कानून के खिलाफ सड़कों पर उतरने वालों का बड़े स्तर पर दमन हुआ है। जिसमें आधिकारिक तौर पर 15 से ज्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं। हालांकि गैर आधिकारिक आंकड़ा इससे भी ज्यादा हो सकता है।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।

शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने के बावजूद महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं

महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने सामाजिक और राजनीतिक संकट को जन्म दिया है। भाजपा ने अपने रणनीतिक आक्रामकता से सहयोगी दलों को सीमित किया और 2014 से महाराष्ट्र में प्रभुत्व स्थापित किया। लोकसभा व राज्य चुनावों में सफलता के बावजूद, रणनीतिक चातुर्य के चलते राज्य में राजनीतिक विभाजन बढ़ा है, जिससे पार्टियों की आंतरिक उलझनें और सामाजिक अस्थिरता अधिक गहरी हो गई है।

Related Articles

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।

शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने के बावजूद महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं

महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने सामाजिक और राजनीतिक संकट को जन्म दिया है। भाजपा ने अपने रणनीतिक आक्रामकता से सहयोगी दलों को सीमित किया और 2014 से महाराष्ट्र में प्रभुत्व स्थापित किया। लोकसभा व राज्य चुनावों में सफलता के बावजूद, रणनीतिक चातुर्य के चलते राज्य में राजनीतिक विभाजन बढ़ा है, जिससे पार्टियों की आंतरिक उलझनें और सामाजिक अस्थिरता अधिक गहरी हो गई है।