फडनवीस के घर पर पुलिस की दस्तक
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नई दिल्ली। कल जब महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे के शपथ ग्रहण में मौजूद थे उसी समय नागपुर की पुलिस उनके घर पर दस्तक दे रही थी। दरअसल एक स्थानीय कोर्ट ने चुनाव एफिडेविट में दो आपराधिक मामलों को छुपाने के मसले पर उन्हें समन जारी किया था। कोर्ट ने यह समन 1 नवंबर को जारी किया था।
नागपुर सदर पुलिस ने इसकी पुष्टि की है। उसने बताया कि फडनवीस के घर पर समन दे दिया गया है। यह नया विकास शिवसेना के नेतृत्व में अघाड़ी सरकार के गठन के बाद हुआ है। आपको बता दें कि फडनवीस नागपुर से विधायक हैं और उनका घर भी नागपुर में ही पड़ता है।
यह समन स्थानीय मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 1 नवंबर को जारी किया था। और इसे बहुत पहले तामील हो जाना चाहिए था। लेकिन सदर थाने की पुलिस का कहना है कि फडनवीस इसको ले ही नहीं रहे थे। इस मसले पर जनचौक की मामले के याचिकाकर्ता एडवोकेट सतीश यूके से बात हुई। उन्होंने बताया कि नागपुर की पुलिस कल रात में ही फडनवीस के घर पहुंच गयी थी। हालांकि परिजनों ने पहले यह कहकर कि फडनवीस घर पर नहीं हैं समन लेने से इंकार कर दिया। लेकिन जब दो गाड़ियों में गई पुलिस की टीम ने कहा कि ऐसा नहीं होने पर वे समन को उनके गेट पर चस्पा करने के लिए मजबूर हो जाएंगे तब फडनवीस के पीए ने समन को स्वीकार किया।

आपको बता दें कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट गया था। जहां से कोर्ट ने मामले में तथ्य देखते हुए स्थानीय कोर्ट को इस पर संज्ञान लेने का निर्देश दिया था। जिसके बाद स्थानीय कोर्ट ने सुनवाई करने के बाद यह समन जारी किया। उसके पहले सतीश यूके की याचिका को पहले स्थानीय कोर्ट ने फिर उसके बाद बांबे हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी। लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के बाद उन्हें सफलता मिली।
बिजनस स्टैंडर्ड के मुताबिक 4 नवंबर को मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि इसकी आपराधिक मामले की श्रेणी में सुनवाई होगी। और उसके साथ ही उसने नोटिस जारी कर दी थी। जिसमें लिखा गया था कि “ लोक प्रतिनिधित्व एक्ट 1951 की धारा 125ए के तहत हुए अपराध में सजा योग्य आरोपी (फडनवीस) के खिलाफ प्रक्रिया (नोटिस) जारी कर दी गयी है।”
इससे पहले 1996 और 1998 में फोर्जरी और धोखाधड़ी के मामले में केस दर्ज हुआ था लेकिन दोनों मामलों में कोई चार्जशीट नहीं दायर की गयी थी। यूके का कहना है कि फडनवीस ने इन दोनों आपराधिक मामलों का अपनी चुनावी एफिडेविट में जिक्र नहीं किया था।
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