Friday, April 19, 2024
प्रदीप सिंह
प्रदीप सिंहhttps://www.janchowk.com
दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

कर्नाटक भाजपा में बगावत के सुर तेज, पहली सूची जारी होने पर शुरू हुआ विरोध-प्रदर्शन

नई दिल्ली। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज भाजपा नेता बी एस येदियुरप्पा अपने पुत्र बी वाई विजयेंद्र को टिकट दिलाने में तो सफल हो गए हैं। पार्टी हाईकमान ने येदियुरप्पा की मांग को मानकर उनको नाराज होने का अवसर नहीं दिया। लेकिन मंगलवार को भाजपा की पहली सूची जारी होने के बाद टिकट से वंचित भाजपा विधायकों और नेताओं ने बगावत का बिगुल बजा दिया है। 189 उम्मीदवारों की पहली सूची में 12 सिटिंग विधायकों का टिकट काटने के साथ पार्टी ने 52 नए चेहरों पर भरोसा जताया है। पार्टी हाईकमान के इस कदम से नाराज लोगों में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार, शिवमोग्गा विधायक केएस ईश्वरप्पा, विधायक महादेवप्पा यादवाद और अनिल बेनाके जैसे नाम शामिल हैं। यादवाद और बेनाके के समर्थक तो मंगलवार रात से ही विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं।

अनिल बेनाके

भाजपा विधायकों-नेताओं के अलावा ‘ऑपरेशन लोटस’ के तहत भाजपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री आर शंकर को रानीबेन्नूर निर्वाचन क्षेत्र से टिकट नहीं दिया गया। उन्होंने एमएलसी के पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है। शंकर ने बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष बसवराज होरात्ती से इस्तीफा देने की पेशकश की थी। वह रानीबेन्नूर से निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। भाजपा ने रानीबेन्नूर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक अरुण कुमार के लिए टिकट की घोषणा की थी।

शंकर कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार में मंत्री थे, 2018 में वह रानीबेन्नूर विधानसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद गठबंधन को अपना समर्थन देने का वादा किया था। लेकिन 2019 में शंकर ‘ऑपरेशन लोटस’ के जाल में फंसकर और विधायकी गंवाने वाले 17 विधायकों में शामिल थे। बाद में भाजपा ने उन्हें एमएलसी बना दिया।

काफी विचार-विमर्श के बाद मंगलवार को भाजपा ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 189 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की थी। जहां 224 सदस्यीय सदन का चुनाव करने के लिए 10 मई को वोट डाले जाएंगे। और नामांकन 13 अप्रैल से शुरू होकर 20 अप्रैल तक होगा।

बीआर बोम्मई और येदियुरप्पा।

12 नए चेहरों में पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के शिकारीपुरा सीट से उनके बेटे बी वाई विजयेंद्र को उम्मीदवार बनाया गया है। इसी तरह, विधायक आनंद सिंह के बेटे सिद्धार्थ सिंह, जिन्होंने 2019 में कांग्रेस छोड़ दी थी, और पूर्व विधायक उमेश कट्टी के बेटे निखिल कट्टी, जिनकी पिछले साल मृत्यु हो गई थी, को विजयनगर और हुक्केरी सीटों पर अपने पिता की सीट के लिए उम्मीदवार बनाया गया है।

मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई हावेरी जिले के शिगगांव की अपनी पारंपरिक सीट से ही चुनाव लड़ेंगे। एक रणनीतिक चाल में, भाजपा ने वरिष्ठ नेताओं आर अशोक और वी सोमन्ना को क्रमशः कनकपुरा और वरुणा में कांग्रेस के दिग्गजों डी के शिवकुमार और सिद्धारमैया के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए उतारा गया है। आर अशोक और सोमन्ना कनकपुरा और वरुणा से कांग्रेस दिग्गजों को टक्कर देने के साथ ही अपने गढ़ क्रमश: पद्मनाभनगर और चामराजनगर से भी चुनाव लड़ेंगे।

पूर्व आईपीएस अधिकारी भास्कर राव, जो भाजपा में जाने से पहले आप में शामिल हुए थे, को बेंगलुरु के चामराजपेट से मैदान में उतारा गया है, जबकि बृहत बेंगलुरु महानगर पालिके के पूर्व आयुक्त और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अनिल कुमार कोराटागेरे से चुनाव लड़ेंगे। पोंजी आईएमए घोटाले में आरोपी पूर्व सरकारी अधिकारी एल सी नागराज को तुमकुर के मधुगिरी से टिकट दिया गया है।

भाजपा विधायक महादेवप्पा यादवाद और अनिल बेनाके के समर्थक कल रात नेताओं को टिकट नहीं दिए जाने को लेकर विरोध प्रदर्शन करते देखे गए। भाजपा में शामिल हुए चिक्का रेवाना को यादवद के निर्वाचन क्षेत्र रामदुर्ग से टिकट मिला है, जबकि डॉ. रवि पाटिल को बेलागवी उत्तर से मैदान में उतारा गया है, जो अनिल बेनाके का निर्वाचन क्षेत्र है।

सूचना के मुताबिक लगभग 1,200 भाजपा कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर एनआर रमेश के समर्थन में पार्टी छोड़ दी है, जिनका नाम उम्मीदवारों की पहली सूची में नहीं था। एनआर रमेश बेंगलुरु में जयनगर निर्वाचन क्षेत्र से टिकट चाहते थे। सूची जारी होने के बाद उन्होंने इसका विरोध भी किया था।

टिकट से वंचित पार्टी नेताओ विरोध के बीच, सीएम बोम्मई ने कहा कि पार्टी ने जिन-जिन को टिकट नहीं दिया गया है उनसे बात की, उन्हें कारण बताए गए और बाद में मिलने वाले अवसर के बारे में बताया गया।

केएस ईश्वरप्पा

दूसरी ओर, भाजपा शिवमोग्गा विधायक केएस ईश्वरप्पा ने कहा कि वह आगामी राज्य चुनाव नहीं लड़ेंगे। भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा को लिखे पत्र में, पूर्व मंत्री ने कहा कि वह चुनावी राजनीति से हट रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी द्वारा कर्नाटक चुनाव 2023 के लिए उम्मीदवारों की घोषणा में देरी के बारे में बढ़ती अटकलों के बीच यह कदम उठाया गया है।

ईश्वरप्पा के फैसले के बारे में पूछे जाने पर, बोम्मई ने कहा कि उन्होंने भाजपा प्रमुख नड्डा को पत्र लिखकर कहा है कि वह चुनावी राजनीति छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, “वह कई महीनों से मुझसे व्यक्तिगत रूप से यह कह रहे हैं।”

टिकट नहीं मिलने की सूचना से पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार ‘आहत’ हैं

इस बीच, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने कहा कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें दूसरों के लिए रास्ता बनाने के लिए कहा है, यह दर्शाता है कि उन्हें आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वह इस फैसले से ‘आहत’ हैं, और पार्टी का यह निर्णय उनके लिए “स्वीकार्य” नहीं है।

जगदीश शेट्टार

मीडिया से बात करते हुए, शेट्टार ने कहा कि उन्होंने नेतृत्व से इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है और उन्हें बताया गया कि इस मामले पर फिर से चर्चा की जाएगी। सर्वे में भी मेरी लोकप्रियता अच्छी है। मैं एक भी चुनाव नहीं हारा हूं। मेरे टिकट से इनकार करने का कोई कारण नहीं है, इसलिए मैंने पार्टी आलाकमान से अनुरोध किया है कि मुझे चुनाव लड़ने का अवसर दिया जाए।”

हुबली-धारवाड़ सेंट्रल के 67 वर्षीय मौजूदा विधायक शेट्टार ने कहा कि “मुझे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से संदेश मिला कि मैं वरिष्ठ और पूर्व मुख्यमंत्री हूं, दूसरों के लिए रास्ता बनाओ। अगर उन्होंने मुझे दो-तीन महीने पहले बताया होता, तो यह मेरे लिए सम्मानजनक होता। जब नामांकन सिर्फ दो दिन दूर है (शुरू होने के लिए), तो मैं निश्चित रूप से आहत हूं। मैंने उनसे कहा है कि मैं चुनाव लड़ूंगा। आपने जो कुछ भी कहा है वह मुझे स्वीकार्य नहीं है। इसलिए, कृपया अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और मुझे फिर से चुनाव लड़ने का अवसर दें।”

शेट्टार ने कहा कि उन्होंने उत्तर कर्नाटक क्षेत्र में भाजपा के निर्माण के लिए 30 वर्षों तक कड़ी मेहनत की है और वह छह बार विधानसभा के लिए चुने गए और हर बार 25,000 वोटों या उससे अधिक के अंतर से सीट जीती।

भाजपा की राज्य इकाई के पूर्व अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्ष शेट्टार ने दावा किया, “मैंने उनसे सवाल किया कि मुझे चुनाव क्यों नहीं लड़ना चाहिए। मेरे माइनस पॉइंट क्या हैं? सर्वे में, जो उन्होंने सभी निर्वाचन क्षेत्रों में किया है, मुझे मिली जानकारी के अनुसार, एक सकारात्मक प्रतिक्रिया आई है- मेरे पक्ष में जनता की लगभग 70 प्रतिशत सकारात्मक प्रतिक्रिया है।

कर्नाटक के पूर्व मंत्री आर शंकर बोले- कांग्रेस-जेडीएस के बागियों को बीजेपी ने दिया धोखा

पूर्व मंत्री आर शंकर ने आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनावों के लिए रानीबेन्नूर निर्वाचन क्षेत्र से टिकट पाने में विफल रहने पर एमएलसी के पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है। शंकर ने बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष बसवराज होरात्ती से इस्तीफा देने की पेशकश की थी। उनके रानीबेन्नूर से निर्दलीय चुनाव लड़ने की संभावना है।

आर शंकर

शंकर को कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार में मंत्री थे, वह रानीबेन्नूर विधानसभा सीट 2018 से प्रज्ञावंता जनता पार्टी के टिकट पर अपनी जीत के बाद गठबंधन को अपना समर्थन देने का वादा किया था।
हालांकि, वह 2019 में भाजपा में शामिल हो गए और अयोग्य घोषित किए गए 17 विधायकों में से एक थे। भाजपा ने उन्हें उपचुनाव में टिकट नहीं दिया था लेकिन उन्हें और एमएलसी बना दिया।भाजपा की पहली उम्मीदवार सूची पर नाराजगी व्यक्त करते हुए, शंकर ने कहा कि कांग्रेस-जेडीएस के बागियों ने भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में लाया और “उन्होंने हम सभी को धोखा दिया।”

पिछले महीने वाणिज्यिक कर अधिकारियों ने हावेरी जिले में पूर्व मंत्री के आवास कार्यालय पर छापा मारा था। भारी मात्रा में सामान जब्त किया गया, जिसे कथित तौर पर मतदाताओं को उपहार के रूप में वितरित किया जाना था।

अधिकारियों की बरामदगी में 6,000 से अधिक साड़ियां, 9,000 स्कूल और कॉलेज बैग और 20-30 लाख रुपये की प्लेट और घरेलू सामान शामिल थे। कार्रवाई करीब सात घंटे तक चली और जब्त सामान को स्थानीय पुलिस को सौंप दिया गया।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कर अधिकारियों ने शंकर को वस्तुओं के जीएसटी बिलों की आपूर्ति करने के लिए कहा था, और एमएलसी ने उन्हें प्रस्तुत करने के लिए तीन दिन का समय मांगा था। हावेरी के डिप्टी कमिश्नर रघुनंदन मूर्ति ने कहा था कि अगर शंकर बिल देने में विफल रहता है, तो वाणिज्यिक कर अधिकारी अदालत की मंजूरी के बाद मामला दर्ज करेंगे।

हिजाब विवाद को भड़काने वाले को उडुपी से टिकट, मौजूदा विधायक का टिकट कटा

कर्नाटक में कॉलेज परिसर में हिजाब पहनने की मांग करने वाले छात्रों के खिलाफ सबसे मुखर आवाज उठाने वाले भाजपा नेता यशपाल सुवर्णा को संवेदनशील उडुपी विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का टिकट मिला है। पार्टी ने सुवर्णा को टिकट देने के लिए मौजूदा भाजपा विधायक राघपति भट का टिकट काट दिया गया।

यशपाल सुवर्णा।

भट ब्राह्मण नेता हैं जो उडुपी से तीन बार जीत चुके हैं, भट को फिर से टिकट मिलने का भरोसा था। पार्टी के सूत्रों ने दावा किया कि इस बार तटीय क्षेत्र से जमीनी स्तर पर काम करने वाले ओबीसी नेता को टिकट देने की मांग की जा रही है। सुवर्णा ओबीसी समूह के मोगावीरा जाति से हैं। उडुपी गवर्नमेंट पीयू गर्ल्स कॉलेज की विकास समिति के उपाध्यक्ष के रूप में हिजाब विवाद में उनका अहम रोल था।

उडुपी गवर्नमेंट पीयू गर्ल्स कॉलेज की विकास समिति के उपाध्यक्ष के तौर पर सुवर्णा पूरे विवाद के दौरान सबसे कट्टर आवाजों में से एक थे। उन्होंने इस मामले को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले छह छात्रों को ‘आतंकवादी’ कहा था। उन्होंने ही “हिजाब पहनने की मांग करने वाली लड़कियों का मुकाबला करने के लिए छात्रों को भगवा शॉल देने की” पहल की थी। सुवर्णा ने यह सुनिश्चित किया कि विवाद राज्य के अन्य हिस्सों में फैल जाए।

बीजेपी के उम्मीदवारों की पहली सूची की मुख्य विशेषताएं

  • पार्टी ने 10 मई के चुनावों में 52 नए चेहरों को मैदान में उतारा और 76 ओबीसी/एससी/एसटी समुदायों से हैं।
  • लिंगायत उम्मीदवारों को 51 और वोक्कालिगा को 41 टिकट दिए गए हैं।
  • मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई शिगगांव निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे।
  • बीजेपी के दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई विजयेंद्र अपने पिता की शिकारीपुर सीट से मैदान में हैं।
  • राज्य मंत्री बी श्रीरामुलु, जो मोलाकलमुरु से मौजूदा विधायक थे, इस बार बेल्लारी ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ेंगे।
  • राजस्व मंत्री आर अशोक दो सीटों- पद्मनाभनगर और कनकपुरा से चुनाव लड़ेंगे। कनकपुरा में उनका मुकाबला कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार से होगा।
  • भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि अपनी परंपरागत चिकमगलूर सीट से चुनाव लड़ेंगे।
  • स्वास्थ्य मंत्री डॉ सुधाकर के चिक्काबल्लापुर सीट से चुनाव लड़ेंगे जबकि मंत्री डॉ अश्वथनारायण सीएन मल्लेश्वरम सीट से चुनाव लड़ेंगे।
  • वरिष्ठ मंत्री वी सोमन्ना, जो बेंगलुरु में गोविंदराजा नगर से मौजूदा विधायक हैं, वरुणा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के दिग्गज नेता सिद्धारमैया से भिड़ेंगे।
  • बीजेपी ने चामराजपेट से बेंगलुरु के पूर्व कमिश्नर भास्कर राव को मैदान में उतारा है।

(जनचौक के राजनीतिक संपादक प्रदीप सिंह की रिपोर्ट।)

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