Saturday, April 20, 2024

कश्मीरी जनता के पक्ष में प्रदर्शन से पहले लखनऊ में रिहाई मंच के कई नेता हाउस अरेस्ट

नई दिल्ली/लखनऊ। कश्मीर की जनता के समर्थन में होने वाले प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस ने रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब के आवास पर उनके समेत रिहाई मंच दूसरे नेताओं को किया नजरबंद कर दिया है।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने बताया कि आज सुबह से ही खुफिया विभाग और पुलिस अधिकारी फोन पर शाम को होने वाले प्रोग्राम के विषय में जानकारी लेते रहे थे। शाम 4 बजे के करीब एसपीईस्ट का फोन आया और उन्होंने कार्यक्रम न करने की बात कही। उनकी बात न मानने पर उन्होंने संगठन के सभी नेताओं को हाउस अरेस्ट कर लिया। पुलिस ने जिन लोगों को हिरासत में लिया है उनमें सृजनयोगी आदियोग, शकील कुरैशी, वीरेंद्र गुप्ता, सचेन्द्र यादव शामिल हैं।

रिहाई मंच के नेताओं ने बताया कि मैगसेसे पुरस्कार विजेता संदीप पांडेय और एनएपीएम की नेता अरुंधति धुरू के भी घर पर पुलिस पहुंच गयी है। इससे पहले भी इन दोनों को पुलिस ने घर में नजरबंद कर दिया था। हालांकि उस दिन इनके संगठनों ने प्रशासन के निवेदन पर अपना प्रदर्शन स्थगति कर दिया था।

संदीप पांडेय के घर पुलिस।

उन्होंने उसी दिन प्रदर्शन के लिए आज की तारीख घोषित की थी। लेकिन प्रशासन ने आज भी इन लोगों को अपने घरों से बाहर नहीं निकलने दिया। और उन्हें वहीं रोक दिया है। इस तरह से एक तरफ शोएब मोहम्मद के घर और दूसरी तरफ संदीप पांडेय के घर पर पुलिस का पहरा लगा दिया गया है। और इनमें से किसी को भी अपने घरों से निकलने की इजाजत नहीं है।

एक तरह से कश्मीर पर जो बात करेगा या फिर कहीं भी खड़ा होकर उसको समर्थन देने की कोशिश करेगा उसको कश्मीर के हालात का अनुभव करा दिया जाएगा।

आपको बता दें कि कश्मीर लॉकडाउन को आज 12 दिन हो गए। लेकिन अभी भी सरकार की ओर नागरिकों को कोई छूट नहीं दी गयी। हालांकि कल शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में स्वतंत्रता दिवस जरूर मनाया गया लेकिन सब कुछ सरकारी आयोजन था। उसमें जनता न तो कोई भागीदारी दिखी और न ही कोई उत्साह।

इस बीच, आज सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा है कि वह चरण बद्ध तरीके से लाकडाउन में ढील देगी। और सबसे पहले सरकारी दफ्तरों को खोला जाएगा। उसके बाद स्कूलों कालेजों का नंबर आएगा। और घाटी के अलग-अलग क्षेत्रों को अलग-अलग चरण में ढील देने की योजना है।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है

भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।

ग्राउंड रिपोर्ट: रोजी-रोटी, भूख, सड़क और बिजली-पानी राजनांदगांव के अहम मुद्दे, भूपेश बघेल पड़ रहे हैं बीजेपी प्रत्याशी पर भारी

राजनांदगांव की लोकसभा सीट पर 2024 के चुनाव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल और वर्तमान सांसद संतोष पांडेय के बीच मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। मतदाता सड़क, पानी, स्वास्थ्य, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को प्रमुखता दे रहे हैं, जबकि युवा बेरोजगारी और रोजगार वादों की असफलता से नाराज हैं। ग्रामीण विकासपरक कार्यों के अभाव पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।

Related Articles

अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है

भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।

ग्राउंड रिपोर्ट: रोजी-रोटी, भूख, सड़क और बिजली-पानी राजनांदगांव के अहम मुद्दे, भूपेश बघेल पड़ रहे हैं बीजेपी प्रत्याशी पर भारी

राजनांदगांव की लोकसभा सीट पर 2024 के चुनाव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल और वर्तमान सांसद संतोष पांडेय के बीच मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। मतदाता सड़क, पानी, स्वास्थ्य, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को प्रमुखता दे रहे हैं, जबकि युवा बेरोजगारी और रोजगार वादों की असफलता से नाराज हैं। ग्रामीण विकासपरक कार्यों के अभाव पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।