नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनता दल ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी कोटे में किए गए वर्गीकरण के फैसले का विरोध किया है। इसके साथ ही उसने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सूबे को विशेष दर्जा न दिए जाने पर केंद्र से समर्थन वापस लेने की मांग की है।
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को पटना में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी पार्टी रिजर्वेशन के संबंध में एससी-एसटी के किए गए उप वर्गीकरण के खिलाफ है। हमारा मानना है कि यह 1932 के पूना पैक्ट और संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
उन्होंने आगे कहा कि हम एससी-एसटी कोटे में क्रीमी लेयर की अवधारणा को लागू करने के भी खिलाफ हैं क्योंकि कोटा आर्थिक स्थितियों के आधार पर नहीं मुहैया कराया गया था।
आरजेडी नेता ने कहा कि क्रीमी लेयर का प्रावधान तभी लागू किया जा सकता है जब एससी-एसटी समुदाय को नौकरी मुहैया करायी जाए और उनकी जमीन का मूल्यांकन किया जाए।
दलितों के प्रवेश के बाद मंदिरों को साफ किए जाने का उदाहरण देते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि छूआछूत की प्रथा अभी भी मौजूद है। यहां तक कि दलितों को शादी के दौरान घोड़ी तक पर चढ़ने नहीं दिया जाता है।
तेजस्वी ने कहा कि किसी को भी एससी और एसटी का मालिक नहीं बनना चाहिए। वो जानते हैं कि उनके लिए क्या अच्छा है। केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुचित प्रावधानों को हटाने के लिए अध्यादेश लाना चाहिए। जैसा कि उसने एससी-एसटी उत्पीड़न कानून के मामले में किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला दिया था कि सरकारें एससी और एसटी का उप वर्गीकरण कर सकती हैं जिससे कि उनके बीच के वंचित समूहों को असमान प्रतियोगिता के चलते रिजर्वेशन के लाभ से वंचित नहीं किया जा सके।
आरजेडी ने केंद्र पर संसद को बिहार के एससी-एसटी, ओबीसी और अति पिछड़े वर्गों को मिलने वाले आरक्षण की मात्रा को लेकर गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा से पास कानून को नौंवी सूची में शामिल करने को लेकर भी वह सही नहीं बोल रहा है।
उस समय की महागठबंधन की सरकार जिसमें तेजस्वी उप मुख्यमंत्री थे, ने जाति आधारित सर्वे कराया था और नवंबर में दो कानून पारित किए थे जिसमें कोटा की मात्रा को 50 से बढ़ा कर 65 फीसदी कर दिया गया था। इसके साथ ही उसने केंद्र को एक प्रस्ताव भेजकर उसे इस कानून को नौंवी सूची में शामिल करने के लिए कहा था।
हालांकि पटना हाईकोर्ट ने इन कानूनों को इस साल के जून में यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं करने का निर्देश दिया है।
बिहार सरकार ने आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसने फैसले पर स्टे देने से इंकार कर दिया था लेकिन सुनवाई के लिए जरूर राजी हो गया था।
तेजस्वी ने बताया कि आरजेडी राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने हाल में यह जाने के लिए प्रश्न पूछा था कि क्या केंद्र दोनों कानूनों को नौंवी सूची में शामिल करने की योजना बना रहा है। तेजस्वी ने बताया कि इसका जवाब देते हुए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के राज्य मंत्री बीएल वर्मा ने 31 जुलाई को अपने लिखित जवाब में बिल्कुल साफ-साफ कहा कि आरक्षण में वृद्धि के कानून को नौवीं सूची में डालने का अधिकार राज्य सरकार के दायरे में आता है।
तेजस्वी ने कहा कि यह गलत और गुमराह करने वाला उत्तर था क्योंकि नौंवी सूची में शामिल करने की जिम्मेदारी केंद्र की है। उन्होंने राज्यसभा को गुमराह किया और इस तरह से सदन की पवित्रता को भी भंग करने की कोशिश की।
तेजस्वी ने कहा कि उनकी पार्टी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन देगी जिसमें वह हाईकोर्ट के आदेश खिलाफ बिहार सरकार की अपील पर अपना पक्ष रखेगी।
उन्होंने कहा कि महागठबंधन द्वारा पास किए गए आरक्षण वृद्धि के कानून को हम किसी भी कीमत पर बिहार में लागू करेंगे। हम सड़क से लेकर संसद तक इस पर लड़ाई लड़ेंगे। 15 अगस्त के बाद हम जनता के पास जाएंगे।
उन्होंने इस मसले पर नीतीश की चुप्पी पर भी सवाल दागे। इसके साथ ही उन्होंने बिहार को मिलने वाले विशेष राज्य के दर्जे पर नीतीश द्वारा कोई प्रतिक्रिया न व्यक्त किए जाने पर भी अचरज जाहिर किया।
उन्होंने कहा कि बीजेपी तो हमेशा इसके खिलाफ रही है। और अब इसे किनारे लगा देने की कोशिश में है।