आरएसएस चीफ मोहन भागवत का बयान राष्ट्रद्रोह, किसी दूसरे देश में होते तो मुकदमे का सामना करते: राहुल गांधी

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नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर आरएसएस पर तीखा हमला बोला है। इस बार उन्होंने आरएसएस चीफ मोहन भागवत के बयान को न केवल राष्ट्रद्रोही बताया है बल्कि उसे देश के हर नागरिक का अपमान करार दिया है। गौरतलब है कि कल मोहन भागवत ने इंदौर में कहा था कि देश को सच्ची आजादी 1947 में नहीं बल्कि 22 जनवरी, 2024 को मिली जब राम मंदिर का उद्घाटन हुआ। उन्होंने उसे ‘प्रतिष्ठता द्वादसी’ के रूप में मनाने का आह्वान किया। 

कांग्रेस के मुख्यालय के उद्घाटन के मौके पर गांधी ने कहा कि हम एक नया मुख्यालय एक खास समय पर हासिल कर रहे हैं। यह बेहद सांकेतिक है कि कल ही अपने एक भाषण में आरएसएस चीफ ने कहा है कि भारत ने 1947 में कभी आजादी नहीं हासिल की। उन्होंने कहा कि सच्ची आजादी तभी हासिल हुई जब राम मंदिर का निर्माण हुआ। गांधी ने कहा कि यह भवन कोई सामान्य भवन नहीं है। यह हमारे देश की जमीन से पैदा हुआ है। कठिन परिश्रम और लाखों लोगों के बलिदान से पैदा हुआ है। और यह बलिदान केवल आजादी की लड़ाई के पहले का नहीं है बल्कि इसमें आज तक होने वाले बलिदान भी शामिल हैं।

गांधी ने कहा कि भागवत के खिलाफ किसी दूसरे देश में उनकी इन टिप्पणियों के लिए देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हो जाता। उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई का फल संविधान है। जिस पर भागवत द्वारा हमला किया गया है। जब वह यह कहते हैं कि संविधान हमारी आजादी के संघर्ष का प्रतीक नहीं है।

कांग्रेस नेताओं को संबोधन के दौरान उन्होंने भागवत की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि भारत इस समय दो विजन के बीच संघर्ष को देख रहा है एक का प्रतिनिधित्व कांग्रेस करती है और दूसरे का आरएसएस। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और आरएसएस के विजन में अंतर्विरोध है। इस समय हम लोग बीजेपी, आरएसएस और भारतीय राज्य से लड़ाई लड़ रहे हैं।

गांधी ने कहा कि एक विचार कहता है कि भारत राज्यों का यूनियन है। हम सभी जब भवन में घुसे तो हमने देखा कि सभी भाषाओं को एक ही जगह पर बराबर स्थान दिया गया है। वहां कोई भी ऊंची भाषा नहीं है और कोई नीची भाषा नहीं है। वहां कोई ऊंची संस्कृति नहीं है और कोई नीची संस्कृति नहीं है। वहां कोई ऊंचा समुदाय नहीं है और न ही कोई नीचा समुदाय है। वह सभी एक की ही तरह के हैं। यही संविधान में लिखा है। और यही इस भवन द्वारा परिलक्षित होता है।

जबकि दूसरी तरफ केंद्रीकृत ज्ञान का विचार है…..एक केंद्रीकृत समझ है। भागवत देश को बताने का यह दुस्साहस हर दो या तीन दिन में करते रहते हैं कि वह स्वतंत्रता आंदोलन और संविधान के बारे में क्या सोचते हैं। वास्तव में उन्होंने जो कल कहा है वह देशद्रोह है। क्योंकि वह यह कह रहे हैं कि संविधान अवैध है और ब्रिटिशरों के खिलाफ लड़ाई भी अवैध है। और यह दुस्साहस वह सार्वजनिक रूप से कर रहे हैं। किसी दूसरे देश में वह गिरफ्तार कर लिए जाते और उन पर मुकदमा चलता। यह एक सच्चाई है। यह कहना कि भारत 1947 में स्वतंत्रता नहीं हासिल किया हर एक भारतीय का अपमान है। और अब यह समय आ गया है कि इस तरह की बेतुकी बातों को हमें सुनना बंद कर देना चाहिए। वो लोग यह सोचते हैं कि वो इसी तरह से दोहराते रहेंगे…..और चिल्लाते रहेंगे और चिग्घाड़ते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि जो लोग इस समय सत्ता में हैं वो तिरंगे को अभिवादन नहीं करते हैं, राष्ट्रीय ध्वज में विश्वास नहीं करते हैं, संविधान में विश्वास नहीं करते हैं और हम लोग जो रखते हैं वो भारत को लेकर उससे बिल्कुल अलग विजन रखते हैं। 

गांधी ने कहा कि वह भारत को एक संदेहास्पद, छुपी हुई और गुप्त सोसाइटी के जरिये चलाना चाहते हैं। वो भारत को एक शख्स के जरिये चलाना चाहते हैं। वो दलितों, अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और आदिवासियों की आवाज को जमींदोज कर देना चाहते हैं। यही उनका एजेंडा है।   

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