Tuesday, March 19, 2024

संघ ने मोदी की विदाई की इबारत लिख दी! यूपी के चुनाव प्रचार से पीएम बाहर

उत्तरप्रदेश में भाजपा के भविष्य की राजनीति का खाका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दिल्ली की बैठक में करीब-करीब तय कर लिया गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दिल्ली की बैठक में साल 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ने का फैसला लिया गया है। इससे भी महत्वपूर्ण निर्णय यह माना जा सकता है कि यूपी और दूसरे पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चेहरा नहीं होंगे।

जनचौक में तीन दिन पहले ‘संघ के साथ से वर्चस्व की लड़ाई में ब्रांड मोदी पर भारी पड़े योगी’ शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें कहा गया था कि रविवार 6 जून को सत्ता के गलियारों में एक खबर फैली कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सुप्रीमो मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के भोजन का निमन्त्रण स्वीकार नहीं किया है और शाम तक यह खबर सामने आ गयी कि उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। इसके अलावा वहां मंत्रिमंडल का विस्तार अभी नहीं होगा। आज उस पर अधिकारिक मुहर लग गयी।

अब प्रत्यक्ष रूप से यही कहा जा रहा है कि संघ यह मानता है कि क्षेत्रीय नेताओं के मुकाबले प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे को सामने रखने से उनकी छवि को नुकसान हुआ है। विरोधी बेवजह उन्हें निशाना बनाते हैं। संघ किसी भी नेता को अलग करने या नाराजगी के साथ छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। कोई चमत्कार न हो तो फ़िलहाल संघ ने नरेंद्र मोदी की विदाई की इबारत लिख दी है और आने वाले महीनों में यह और भी स्पष्टता से सामने आ जायेगा ।

लेकिन बात इतनी नहीं है। उत्तर प्रदेश की सियासत में पिछले एक हफ्ते से सियासी घमासान चल रहा था। सूत्रों के हवाले से पिछले एक सप्ताह में यूपी में अरविन्द शर्मा को डिप्टी चीफ मिनिस्टर, डिप्टी चीफ मिनिस्टर केशव प्रसाद मौर्या को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और योगी को सीएम पद से हटाकर केंद्र में और कभी राजनाथ सिंह को तो कभी केशव मौर्या को यूपी का सीएम बनाये जाने की अटकलें चल रही थीं। इस बीच दिल्ली में संघ की बैठक हुई राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सुप्रीमो मोहन भागवत के कड़े तेवर से सूत्रों के हवाले से रविवार को देर शाम से मीडिया पर चलने लगा कि दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर रविवार को भाजपा की महत्वपूर्ण बैठक में तय हुआ कि उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। इसके अलावा वहां मंत्रिमंडल का विस्तार अभी नहीं होगा। कहा गया कि इसमें पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा राष्ट्रीय महासचिवों और राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष और अरुण सिंह के साथ मौजूद थे।

वैसे तो मोदी और योगी के बीच विवाद तो उसी समय उत्पन्न हो गया जब संघ के हस्तक्षेप से मनोज सिन्हा की जगह योगी आदित्य नाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया। 4 साल पहले 2017 में दिल्ली में तय कर लिया गया कि उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री मनोज सिन्हा बनेंगे और उस वक्त केरल में संघ की बैठक चल रही थी। डॉ. मुरली मनोहर जोशी के माध्यम से संदेशा संघ को भिजवाया कि मुख्यमंत्री मनोज सिन्हा होंगे तो उनकी तरफ से जवाब था जब उन्होंने तय कर लिया है, जानकारी देने की क्या जरूरत। इसके 24 घंटे के भीतर परिस्थितियां पलट गईं। योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए और मनोज सिन्हा आज की तारीख में जम्मू-कश्मीर में हैं।

दरअसल वर्तमान विवाद के सतह पर आने का बीज 16 मई को उस समय ही पड़ गया था जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कोविड-19 के सन्दर्भ में बयान दिया था कि हम इस परिस्थिति का सामना कर रहे हैं क्योंकि सरकार, प्रशासन और जनता, सभी कोविड की पहली लहर के बाद लापरवाह हो गए जबकि डाक्टरों द्वारा संकेत दिए जा रहे थे। कोरोना वायरस की पहली लहर के बाद सरकार, प्रशासन और जनता के गफलत में पड़ने के कारण वर्तमान स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इस आलोचना को मोदी ने अपने ऊपर ले लिया क्योंकि पिछले सात साल में कभी भी भागवत ने सरकार को किसी लापरवाही का जिम्मेदार नहीं ठहराया था।

इसके बाद दक्षिण भारत के कई नगरों से प्रकाशित होने वाले न्यू इन्डियन एक्सप्रेस में वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला का एक लेख छपा जिसमें फिर ब्रांड मोदी पर सीधा हमला किया गया था। सर्वविदित है कि न्यू इंडियन एक्सप्रेस के असली सलाहकार संघ के आर्थिक विचारक एस गुरुमूर्ति हैं और उनकी पहल पर प्रभु चावला पिछले कई वर्षों से न्यू इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े रहे हैं। न्यू इंडियन एक्सप्रेस में इस तरह का लेख छपने का अर्थ है संघ की निगाह में मोदी का गिरना।  

अंग्रेजी में प्रकाशित इस लेख को दैनिक भास्कर ने हिंदी में अपने अख़बार और डिजिटल संस्करण में प्रकाशित किया। इसके बाद शेखर गुप्ता ने भी द प्रिंट में उठाया। इसके बाद प्रिंट और डिजिटल मीडिया में कोरोना संकट से प्रभावी ढंग से निपटने में मोदी सरकार की अक्षमता और उनकी लोकप्रियता में भारी गिरावट की कब्रें धड़ल्ले से चलने लगीं।

मोदी खेमे ने इसे अपने को किनारे लगाने के प्रयास के रूप में देखा और जवाबी कार्रवाई के तहत योगी आदित्यनाथ की सरकार पर मीडिया के माध्यम से हल्ला बोल दिया, जिसकी अगुआई दैनिक भास्कर ने की। दरअसल गुजरात छोड़कर बाकि जिन प्रदेशों में भाजपा सरकार है या भाजपा सरकार में शामिल है वहां संघ की पसंद से मुख्यमंत्री /उप मुख्यमंत्री हैं। इसमें प्रधानमन्त्री, गृहमंत्री या पार्टी अध्यक्ष का कोई हस्तक्षेप नहीं है। लेकिन बाकि सब योगी आदित्यनाथ की तरह मजबूत नहीं हैं। इसलिए योगी आदित्यनाथ को शक्ति परीक्षण के लिए टारगेट किया गया और सोचा गया की संघ को खुलकर सामने आना होगा कि वह योगी के साथ है या मोदी के साथ? अब संघ खुलकर योगी के साथ और मोदी के विरोध में उतर आया है।

संघ के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक भले ही आप ना मानें, लेकिन यह सच है कि मोदी-योगी के बीच कोई विवाद नहीं है और यूपी भाजपा के ट्विटर अकाउंट या पोस्टर से मोदी की फोटो हटाने की वजह विधानसभा चुनाव योगी के चेहरे के साथ लड़ने का निर्णय ही है। दोनों नेताओं को साथ काम करने और इस छवि को मजबूत करने के लिए कहा गया है। इसलिए अब यूपी के पोस्टर पर योगी आदित्यनाथ के अलावा यूपी भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा दिखाई देंगे। सम्भवतः इसीलिए सोमवार शाम प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्र के नाम संदेश को देखते हुए योगी की फोटो जारी की गई है। लेकिन यह हकीकत नहीं है। कोरोना की बदइन्तजामी ने मोदी की लोकप्रियता को तार तार कर दिया है और रही सही कसर सुप्रीमकोर्ट ने तीखी आलोचना करके पूरी कर दी है। फिर संघ के जमीनी कार्यकर्ताओं का फीडबेक मोदी सरकार के खिलाफ है।  

संघ की इस बैठक में क्षेत्रीय मुख्यालयों के प्रभारी और अन्य जिम्मेदारियों पर भी निर्णय किए गए हैं। इसमें सबसे अहम है सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले का मुख्यालय नागपुर के बजाय लखनऊ होगा। पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी प्रधानमंत्री मोदी और सरसंघचालक भागवत के बीच समन्वय का काम देखेंगे और बहुत संभव है कि वे दिल्ली में रहें। सरसंघचालक नागपुर में ही रहेंगे। सहसरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य को भोपाल मुख्यालय दिया गया है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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