गांधीवादियों की तपोस्थली पुलिस के बूटों तले, उजाड़-वीरान और रौंदे जा चुके सर्व सेवा संघ परिसर की तस्वीरें

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वाराणसी। मोदी सरकार के आदेश पर वाराणसी जिला प्रशासन और रेलवे के अधिकारियों ने राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ परिसर पर भारी पुलिस बल के सहयोग से कब्जा कर लिया। गांधी साहित्य के प्रकाशन और प्रचार-प्रसार में लगी सर्वोदय प्रकाशन की किताबों को कूड़े की तरह बाहर फेंक दिया गया। संस्थान में रहने वाले कर्मचारियों के सामान को भी बाहर फेंक दिया गया। परिसर में कई कर्मचारी और गांधीवादी कार्यकर्ताओं का परिवार 40, 30 और 20 सालों से रह रहा था। परिसर पर अब पुलिस का कब्जा है। जहां कभी विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण, राधाकृष्ण बजाज, ठाकुरदास बंग जैसे मनीषी रहा करते थे, पुलिस अब उस तपोस्थली को अपने बूटों से रौंद रही है। परिसर में स्थित साधना केंद्र पर अब रोज होने वाली प्रार्थना बंद है। क्योंकि प्रशासन ने वहां पर आने-जाने पर रोक लगा दी है। जनचौक टीम (प्रदीप सिंह और पवन कुमार मौर्य) ने वाराणसी जाकर सर्व सेवा संघ परिसर की वर्तमान दशा को तस्वीरों में कैद किया है।

वाराणसी जिला प्रशासन और रेलवे के अधिकारी भारी संख्या में पुलिस बल के साथ 22 जुलाई को सुबह 6 बजे सर्व सेवा संघ परिसर के मुख्य गेट पर लगे ताले को तोड़कर अंदर प्रवेश किया। किसी के अंदर आने और बाहर जाने पर रोक लगा दी। सर्व सेवा संघ परिसर के मुख्य दरवाजे पर अब रेलवे ने एक बैनर टांग दिया है। इस बैनर पर लिखा है कि यह रेलवे की संपत्ति है। किसी का भी प्रवेश अनाधिकृत और दंडनीय है।

पुलिस अपने साथ 50 की संख्या में सफाई कर्मचारियों को ले आई थी, जो नशे में धुत थे। इस तरह मोदी सरकार के निर्देश पर गांधी विचार केंद्र में पुलिस और शराबियों ने जमकर उत्पात किया। लोगों के सामान को बाहर निकाल कर फेंक दिया। बिना किसी नोटिस के प्रशासन ने लोगों की गृहस्थी उजाड़ दी।

सर्व सेवा संघ परिसर में अब रेलवे पुलिस आराम कर रही है। मुख्य गेट पर एक बैनर टांग दिया गया है, जिस पर किसी के प्रवेश को अनाधिकृत और दंडनीय बताया गया है। परिसर में एक कार्यकर्ता अपने गृहस्थी के सामान को समेट रहा है। यह कार्यकर्ता कोई आम कार्यकर्ता नहीं है। गांधी और गांधी विचार से यदि आपका थोड़ा बहुत नाता होगा तो आचार्य राममूर्ति को जरूर जानते होंगे। ये आचार्य राममूर्ति के नाती हैं और गांधी विचार के लिए अपना जीवन समर्पित कर चुके हैं। अभी तक सर्व सेवा संघ के परिसर में रह रहे थे, अब कहां ठिकाना होगा, यह भविष्य तय करेगा।

सर्वोदय प्रकाशन ने 1500 टाइटल प्रकाशित किए। लेकिन शनिवार को प्रकाशन विभाग की किताबों, रैक और फर्नीचर को बाहर करके ताला लगा दिया गया। परिसर के कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया तो सामान बाहर ही पड़ा रहा। कुछ कर्मचारी सामान को ले जाने के लिए गाड़ी पर लोड कर रहे हैं।

सर्व सेवा संघ परिसर में कर्मचारियों की सुविधा को देखते हुए एक पोस्ट ऑफिस स्थापित किया गया था। परिसर पर कब्जा करने के बाद जिला प्रशासन और रेलवे ने सबसे पहले पोस्ट ऑफिस पर ताला लगाया।

गांधी विद्या संस्थान को अवैध तरीके से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को सौंपने के विरोध में गांधीवादी कार्यकर्ता परिसर में जिस स्थान पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे, अब वहां पर पुलिस ने अपना अड्डा जमा लिया है।

परिसर में गांधी प्रतिमा के समक्ष अब कबाड़ इकट्ठा है। चंद दिनों पहले तक यहां पर गांधीजन साधना करते थे। लेकिन अब प्रशासन ने यहां आने-जाने पर रोक लगा दिया है।

गांधीजनों को बेदखल करने के बाद पूरा परिसर वीरान पड़ा है। अभी चंद दिनों पहले तक पूरा परिसर गुलजार था। सारे आवास से कार्यकर्ताओं के सामान को बाहर कर दिया गया है।

परिसर में किताबें कूड़े के ढेर की तरह पड़ी हैं। सर्वोदय प्रकाशन के कार्यालय के अंदर जितनी किताबें थी, सब को खुले में फेंक दिया गया है।

सर्वोदय प्रकाशन का प्रिंटर और ऑफिस की जरूरत के सामानों को भी पुलिस ने बाहर फेंक दिया है। काफी सामान गायब हो गया तो कुछ टूट गए।

सर्वोदय प्रकाशन की कुछ किताबों को गट्ठर की शक्ल में बाहर फेंक दिया गया, तो कुछ को बोरे में और कुछ तो ऐसे ही खुले में रख दिया गया।

आचार्य विनोबा भावे की तस्वीर को गांधी प्रतिमा के समक्ष रखकर प्रशासन अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ बैठी। जिस संत विनोबा ने भूदान के माध्यम से लाखों एकड़ जमीन दान में एकत्र किया, आज उनपर और उनके अनुयाइयों पर रेलवे की जमीन पर कब्जा करने का आरोप है। यह आरोप मोदी सरकार और भारतीय रेलवे के अधिकारी लगा रहे हैं।

गांधी विद्या संस्थान के पास बरगद के पेड़ के चबूतरे पर बैठे पुलिसकर्मी। कभी यहां पर शोधार्थी और सर्वोदय के कार्यकर्ता विश्राम करते थे।

सर्व सेवा संघ परिसर में अब पुलिस बल के लोग चहलकदमी कर रहे हैं। एक कर्मचारी पुलिस बल का साजो-सामान ले जाते हुए।

गांधी विद्या संस्थान के कार्यालय पर ताला लगा दिया गया है।

सर्व सेवा संघ परिसर में बैरिकेडिंग करके कई हिस्सों में बांट दिया गया है। एक हिस्से पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र का कब्जा है। दूसरे पर काशी रेलवे स्टेशन का और अब सारे परिसर पर रेलवे विभाग का।

सर्वोदय प्रकाशन की किताबों को रखने के लिए आलमारी। जिसमें कभी प्रकाशन की किताबें रखी जाती थीं, अब उसमें परिसर का भविष्य कैद है।

स्थापना के समय से अब तक सर्व सेवा संघ प्रकाशन के संयोजक। जिसमें राधाकृष्ण बजाज, सिद्दराज ढड्ढा, दत्तोबा दास्ताने, चुनीभाई वैद्य और कृष्णराज मेहता सरीखे महापुरुष शामिल हैं।

सर्वोदय प्रकाशन के बाहर निकाले गए फर्नीचर को देखता एक पुलिसकर्मी और ट्रक पर सामान को लादता कर्मचारी।

सर्वोदय प्रकाशन के कार्यालय के सामने सर्व सेवा संघ का एक कर्मचारी।

सर्व सेवा संघ परिसर को उजाड़ दिया गया। जरुरी सामान इधर-उधर बिखरे पड़े हैं। पूरा परिसर कागजों, कपड़ों और फर्नीचर से अटा पड़ा है।

सर्व सेवा संघ परिसर में एक खाली आवास के सामने का दृश्य।

सबसे अंत वाले आवास में आचार्य विनोबा भावे रहा करते थे। आज उस आवास पर पुलिस का कब्जा है। वहां पर वे अपनी थकान मिटा रहे हैं और ताश खेल रहे हैं।

गांधी विद्या संस्थान की नींव रखते हुए जेपी (जयप्रकाश नारायण) ने एक स्वप्न देखा था। अब मोदी सरकार ने उस पर ताला लगा दिया है।

गांधी विद्या संस्थान के पास ही डायरेक्टर आवास है। कभी इस आवास में जेपी रहा करते थे।

गांधी विद्या संस्थान की भवन। इसी भवन पर कब्जे को लेकर सारे सर्व सेवा संघ परिसर पर कब्जा कर लिया गया।

परिसर में स्थित कर्मचारियों का आवास। सर्व सेवा संघ परिसर के कर्मचारी और कार्यकर्ता इन आवासों में रहा करते थे। यह परिसर भी खाली करा लिया गया है।

परिसर में कबाड़ बन चुकी इस जीप से जेपी का नाता बताया जाता है। कुछ लोगों ने बताया कि यहां पर जब जेपी रहते थे तो इस जीप का इस्तेमाल करते थे।

वरुणा नदी के किनारे स्थित यह परिसर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है। हरियाली के बीच पुलिसकर्मी।

सर्व सेवा संघ परिसर वरुणा नदी के किनारे स्थित है। नदी परिसर को छूकर बहती है।

वरुणा नदी के किनारे सर्व सेवा संघ ने रेलिंग लगवाई है, जिससे जंगली या पालतू जानवर अंदर प्रवेश न कर सके।

सर्व सेवा संघ परिसर के मुख्य द्वार पर आचार्य विनोबा भावे का कथन- “सच्चा बलवान वही होता है, जिसने अपने मन पर पूरी तरह नियंत्रण कर लिया हो।” लेकिन वर्तमान सरकार सर्व सेवा संघ परिसर पर कब्जा करके अपने को संत और बलवान घोषित कर रही है।

(वाराणसी के सर्व सेवा संघ परिसर से प्रदीप सिंह और पवन कुमार मौर्य की फोटो और रिपोर्ट।)

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प्रदीप सिंह https://www.janchowk.com

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

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