Tuesday, April 23, 2024

सात महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में FIR दर्ज करने के लिए दिल्ली पुलिस ने SC से मांगा और समय

नई दिल्ली। सात पहलवानों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस जारी किए जाने के एक दिन बाद, दिल्ली पुलिस ने बुधवार को अदालत को सूचित किया कि इस मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखने के पहले की प्रारंभिक जांच की आवश्यकता है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “हमें प्रथम दृष्ट्या लगता है कि प्राथमिकी दर्ज करने से पहले इसकी थोड़ी प्रारंभिक जांच की आवश्यकता हो सकती है।”

मेहता ने कहा, “यही हम आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं” और कहा, “हालांकि, अगर आपको लगता है कि प्राथमिकी तुरंत दर्ज की जानी चाहिए, तो कोई कठिनाई नहीं है। लेकिन कुछ मुद्दे हैं जिन्हें हम प्राथमिकी से पहले जांचना चाहेंगे।”

महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले का उच्चतम न्यायालय द्वारा संज्ञान लिए जाने से भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष एवं भाजपा के बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह की मुसीबतें बढ़ सकती हैं और जेल तक जाना पड़ सकता है। इसका 2024 के लोकसभा चुनाओं में असर दिख सकता है क्योंकि विपक्ष का आरोप है कि भाजपा को अपने दल के माफिया नहीं दिखाई देते।

सात महिला पहलवानों की याचिका का संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किये जाने की मांग को लेकर मंगलवार को दिल्ली पुलिस और अन्य को नोटिस जारी किया। उच्चतम न्यायालय ने महिला पहलवानों द्वारा लगाये गये यौन उत्पीड़न के आरोपों को ‘गंभीर’ बताया और कहा कि इस पर उसे (न्यायालय को) विचार करने की जरूरत है।

दिल्ली के जंतर-मंतर पर महिला पहलवानों का धरना जारी है। इन महिला रेसलर्स ने उच्चतम न्यायालय से कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने की मांग की है। मंगलवार, 25 अप्रैल को कोर्ट ने कहा कि पहलवानों ने याचिका में यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं, ऐसे में सुनवाई जरूरी है। मामले की अगली सुनवाई 28 मई को होगी।

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि आम तौर पर, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (संज्ञेय मामलों की जांच के लिए पुलिस अधिकारियों की शक्ति) के तहत पुलिस से संपर्क करने का उपाय उपलब्ध है।

पीठ ने सवाल किया कि क्या आरोप हैं। कपिल सिब्बल ने कहा कि एक नाबालिग पहलवान सहित सात पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं, लेकिन इस पहलू पर बहुत स्पष्ट कानून होने के बावजूद अभी तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है। उन्होंने कहा कि ये महिला पहलवान हैं। एक नाबालिग समेत सात पहलवान हैं। एक समिति की रिपोर्ट है जो सार्वजनिक नहीं की गई है और कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है।

अदालती फैसलों का हवाला देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि इस तरह के अपराध में प्राथमिकी दर्ज नहीं करने के लिए पुलिसकर्मी पर भी मुकदमा चलाया जा सकता है। सिब्बल ने कहा, “यहां तक कि इस प्रकृति के अपराध को दर्ज नहीं करने के लिए पुलिस वालों पर भी मुकदमा चलाया जा सकता है। अब सीआरपीसी की धारा 166ए में भी संशोधन किया गया है, जो मामला दर्ज नहीं होने पर पुलिस पर भी मुकदमा चलाने की अनुमति देता है।”

दलीलों पर गौर करते हुए पीठ ने कहा कि भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकीं पहलवानों ने याचिका में गंभीर आरोप लगाए हैं। न्यायालय को इस पर गौर करने की आवश्यकता है। पीठ ने कहा कि याचिका पर सुनवाई की जा रही है। याचिकाकर्ताओं की पहचान जाहिर नहीं की जाए। सिर्फ संपादित याचिका सार्वजनिक की जाए। नोटिस जारी किया जाए। शुक्रवार तक जवाब दाखिल किया जाए। दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करने की छूट दी जाती है।

पीठ ने कहा कि सीलबंद लिफाफे में दी गयी शिकायतों को फिर से सीलबंद किया जाए और उन्हें याचिका के साथ लगाया जाए। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय को बताया गया कि डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद भी हैं।

महिला पहलवानों ने अपनी याचिका में दलील दी है कि शिकायतें दायर करने के बावजूद दिल्ली पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की। याचिका में कहा गया है कि 21 अप्रैल 2023 से लेकर 24 अप्रैल 2023 तक, तीन दिन गुजर जाने के बाद भी दिल्ली पुलिस द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। यह मानवाधिकारों का स्पष्ट रूप से हनन है।

पहलवानों ने दावा किया कि सिंह एवं उनके करीबी सहयोगियों द्वारा कई मौकों पर यौन, भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न किये जाने के बाद, उन्होंने (पहलवानों ने) इस तरह के कृत्य के खिलाफ अपनी आवाज उठाने की हिम्मत जुटाई और आरोपियों के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई की मांग करते हुए जंतर मंतर पर धरने पर बैठ गईं।

खेल मंत्रालय ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग के मद्देनजर आरोपों की जांच के लिए पांच सदस्यीय एक समिति गठित करने का फैसला किया था। यह जानकारी 23 जनवरी 2023 को जारी एक सार्वजनिक नोटिस में दी गई थी।

याचिका में कहा गया है कि यह हताशाजनक है कि समिति का गठन किये जाने के बावजूद इस मुद्दे के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्हें मीडिया में आई खबरों से जानकारी मिली कि मामले में आरोपों की जांच कर रही समिति ने सिंह को क्लीन चिट दे दी है और समिति की रिपोर्ट खेल मंत्रालय में पड़ी हुई है तथा अनुरोध किये जाने के बावजूद इसे सार्वजनिक नहीं किया जा रहा।

बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक समेत कई पहलवान बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग कर रहे हैं। पहलवानों का आरोप है कि महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण होता है। इसके साथ ही महासंघ के अध्यक्ष पर तानाशाही और मनमानी करने का भी आरोप लगाया है।

दरअसल कई राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता पहलवान, सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करने वाली समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की सरकार से मांग करते हुए यहां जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। विनेश फोगाट का कहना था कि उनके समेत कई पहलवान मेंटल टॉर्चर से जूझ रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि जब पहलवान सुरक्षित नहीं हैं तो फिर कौन सुरक्षित है?

बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ शिकायत पर एक्शन न लेने पर पहलवान 23 अप्रैल को एक बार फिर जंतर-मंतर पर जुटे। इसके पहले जनवरी 2023 में बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक के साथ कई पहलवान जंतर-मंतर पर जुटे थे और अपनी बात रखी थी। हालांकि, तब खेल मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद पहलवानों ने अपना प्रदर्शन वापस ले लिया था।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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