नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को प्रवासी मजदूरों को भोजन उपलब्ध कराने और ट्रांसपोर्ट मुहैया कराने का निर्देश दिया है। रेल मंत्रालय को प्रवासी मज़दूरों की ज़रूरत के मुताबिक कदम उठाने के लिए कहा गया है। मशहूर वकील प्रशांत भूषण द्वारा फाइल की गई अंतरिम याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकारों को हलफ़नामे दाखिल करने के लिए भी कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 24 मई को होगी।
संपूर्ण लॉक डाउन लागू किए जाने के आसार और टुकड़ों-टुकड़ों में लॉक डाउन और नाइट कर्फ्यू जैसी स्थितियों में मजदूर मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। विपक्षी पार्टियों और जन-संगठनों ने भी इस बार मजदूरों के संकट से मुँह फेर कर अपनी मांग वैक्सीनेसन पर ही केंद्रित कर रखी है। इन स्थितियों में प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर महत्वपूर्ण पहल की है।
एओआर प्रशांत भूषण और एडवोकेट चेरुल डीसूज़ा की ओर से फाइल की गई अंतरिम याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण व जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि सरकारों को रेजिडेंस या आइडेंटिटी प्रूफ मांगे बिना मजदूरों को खाना देना होगा। याचिका में इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल की 9 जून और 31 जुलाई के दो आदेशों का उल्लेख किया गया था जिनमें केंद्र व राज्य सरकारों को हलफनामे दायर करने के लिए कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में अधिकतर राज्यों की बेपरवाही का ज़िक्र करते हुए नेशनल कैपिटल टेरिटरी दिल्ली , उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र और उड़ीसा को स्टेटस रिपोर्ट के हलफनामे दाखिल करने के लिए 10 दिन का आख़िरी मौका दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि केंद्र व राज्यों की भिन्न योजनाओं और सार्वजनिक वितरण प्रणाली का उपयोग करते हुए एनसीटी, दिल्ली, यूपी और हरियाणा राज्य प्रवासी मजदूरों को रेजिडेंस या आइडेंटिटी प्रूफ के लिए दबाव बनाए बिना राशन वितरित करें। सुप्रीम कोर्ट ने एनसीटी, दिल्ली, यूपी और हरियाणा (एनसीआर के जिलों के लिए) को प्रवासी मजदूरों और उनके परिवारों के लिए दो वक़्त का भोजन सुनिश्चित करने के लिए बहु-प्रचारित जगहों पर कम्युनिटी किचन शुरू करने का निर्देश भी दिया।
याचिका में प्रवासी मजदूरों के पलायन और ट्रांसपोर्ट के लिए उनसे अनाप-शनाप लूट का ज़िक्र भी किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के लिए ज़रूरत के मुताबिक ट्रांसपोर्ट मुहैया कराने का निर्देश दिया है। केंद्र सरकार को रेल मंत्रालय को प्रवासी मज़दूरों की ज़रूरत के मुताबिक इंतजाम करने के लिए कहा गया है।