मोदी के 7 साल: उपलब्धियों के नाम पर बिग जीरो और हर मोर्चे पर नाकामियां

Estimated read time 2 min read

30 मई को मोदी के शासन काल के 7 वर्ष पूरे हो गए, प्रस्तुत है उनकी उपलब्धियों का एक संक्षिप्त आकलन 

आर्थिक उपलब्धियां  

गरीबी-

इस बीच भारत 23 करोड़ और लोग गरीबी रेखा के नीचे धकेल दिए गए। ये लोग इसके पहले गरीबी रेखा के ऊपर थे। गरीबी रेखा का पैमाना 375 रुपए प्रतिदिन की आय है। (स्रोत-अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, मई 2021)

इसका निहितार्थ यह है कि 2005 से 2015 के बीच की उस उपलब्धि को उलट दिया गया, जिसमें 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए थे। यानि भारत गरीबों की संख्या और अनुपात के मामले में करीब वहां पहुंच गया, जहां 2005 से पहले खड़ा था। भारत के 90 प्रतिशत परिवारों की आय में गिरावट आई।

भारत को कुल आर्थिक नुकसान-

नेशनल सैंपल सर्वे ( NSO) 2019 के अनुसार आर्थिक विकास दर 2019-2020 में सिर्फ 4 प्रतिशत थी। महामारी काल में 2020-21 में यह 8 प्रतिशत गिर गई। 2021-22 में वास्तविक अर्थों में इसके शून्य प्रतिशत रहने की आशंका है, यदि महामारी और विकराल रूप न ले। 

यदि जीडीपी की गिरावट का मूल्य राष्ट्रीय आर्थिक क्षति के रूप में आंके तो, 2019-20 में 2.8 लाख करोड़ रुपये  की क्षति हुई ( यह महामारी का समय नहीं था), 2020-21 में 11 लाख करोड़ रुपये की क्षति हुई ( महामारी काल) और 2021-2022 में विकास दर यदि 5 प्रतिशत भी रहे, यह मान लें, तो भी, तब भी अर्थव्यव्यवस्था को 6.7 लाख करोड़ रुपये की क्षति होगी। यदि सिर्फ पिछले तीन वर्षों की क्षति को ही जोड़ दें, तो कुल राष्ट्रीय आर्थिक क्षति 20 लाख करोड़ रुपये की होती है। यह धनराशि भारत के कुल बजट ( 2021-2022) का करीब दो तिहाई है। भारत का 2021-2022 का कुल बजट 34 लाख 50 हजार और 305 करोड़ रुपये का था। ( द इंडियन एक्सप्रेस, 30 मई)

तीन वर्षों में हुए इस 20 लाख करोड़ रुपये की क्षति वाली धनराशि से भारत की स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था को दुनिया के शीर्ष देशों के स्तर का बनाया जा सकता था।

बेरोजगारी-

इस आकंडे से सभी लोग परिचित हो चुके हैं कि महामारी से पहले ही भारत की बेरोजगारी ने 45 वर्षों के रिकार्ड को तोड़ दिया। सीएमआईइ ( CMIE) के 26 मई 2021 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में बेरोजगारी की दर 11.17 प्रतिशत है। शहरों में 13.52 प्रतिशत और गांवों में 10.12 प्रतिशत। बेरोजगारी की यह दर तब है, जब 40 प्रतिशत से अधिक रोजगार की उम्र वाले लोग रोजगार की तलाश छोड़ चुके हैं। इसका मतलब है कि इस आंकड़े में उनकी गणना नहीं की गई है, जो करीब 60 प्रतिशत लोग रोजगार खोज रहे हैं, सिर्फ उनकी बेरोजगारी की बात की जा रही है।

2020-2021 में नियमित तनख्वाह पाने वाले करीब 1 करोड़ लोगों ने अपनी नौकरी खो दिया। रोजगार खोने का मतलब है, आय-मजदूरी खो देना। इसका निहितार्थ है, खरीदने और सेवा प्राप्त करने की क्षमता से वंचित हो जाना। इसमें जीने के लिए खाद्यान्न भी शामिल है। आरबीआई के आकंड़े ( मई 2021) भी इसकी पुष्टि करते हैं, जिंदा रहने के लिए अत्यन्त जरूरी चीजों के अलावा अन्य चीजें खरीदने या सेवा प्राप्त करने से लोग बच रहे हैं। अर्थव्यवस्था की यह स्थिति महामारी के अलावा भयानक आर्थिक कंगाली और तबाही की ओर ले जा रही है। यह 80 करोड़ से अधिक परिवारों पर कहर की तरह टूट रही है और टूटने वाली है।

चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था-

भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था किस हद तक चरमरा गई है, इसे पूरा देश कोरोना काल में देख चुका है।

राजनीतिक उपलब्धियां-

आजादी के बाद भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि चुनावी राजनीतिक लोकतंत्र को बचाए रखना रही है। इस संदर्भ में पिछले सात वर्षों में मोदी के शासन काल की उपलब्धियां-

चुनाव आयोग-

किसी भी राजनीतिक लोकतंत्र का आधार चुनाव आयोग की विश्वसनीयता और उसके द्वारा पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराना होता है। भारत में चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी ( जिसका मतलब मोदी जी होता है) के हाथ सिर्फ एक उपकरण बनकर रह गया है, भाजपा की विस्तारित इकाई। उसने अपनी विश्वसनीयता पूरी तरह खो दी है।

केंद्रीय एजेंसियां-

सभी केंद्रीय एजेंसिया ( सीबीआई, ईडी, एनआईए, आईटी, आईबी आदि) अपनी स्वायत्तता खोकर केंद्र सरकार की गुलाम बन गई हैं। शायद ही किसी को इस पर शक हो।

सर्वोच्च न्यायालय- 

संविधान और कानून के राज के संरक्षक के तौर पर भारत का सर्वोच्च न्यायालय अपनी संवैधानिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता को सहर्ष छोड़कर भारत की कार्यपालिका (मोदी जी) का विस्तारित अंग एवं हिस्सा बन गया है। पिछले सात वर्ष इसके प्रमाण हैं।

मीडिया-

लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मीडिया भी भाजपा-आरएसएस का विस्तारित अंग बन चुका है। इसके लिए कोई तथ्य देने की  जरूरत नहीं है।

कैबिनेट-

कैबिनेट कार्यपालिका की सबसे निर्णायक इकाई है। कैबिनेट में सामूहिक नेतृत्व और कार्यों का व्यक्तिगत स्तर पर बंटवारा ( मंत्रियों के बीच) कार्यपालिका का प्राण होता है, जिसमें मंत्रियों की अपने मंत्रालय के संदर्भ में स्वायत्तता और स्वतंत्रता अहम होती है, ताकि वे अपनी पूरी क्षमता के साथ कार्य कर सकें। माना यह जाता है कि भारत के सक्षम और जन से जुड़े लोग केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य बनाए जाएंगे और देश को दिशा और नेतृत्व देंगे।

नरेंद्र मोदी ने भारत की कैबिनेट व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है, सारी शक्तियां सचिवों के माध्यम से पीएमओ में केंद्रित हो गई हैं। भारत में कैबिनेट का मतलब सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी हो गया है। अन्य मंत्री, मंत्री बने रहने के लिए मोदी की हां में हां मिलाने के लिए बाध्य हैं और स्थिति चाटुकारिता तक पहुंच गई है।

संघीय प्रणाली का करीब खात्मा-

संघीय प्रणाली भारतीय लोकतंत्र का अनिवार्य स्तंभ रही है, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले सात वर्षों में आर्थिक और राजनीतिक तौर पर संघीय व्यवस्था को करीब-करीब ध्वस्त कर दिया गया है। जीएसटी के बाद तो राज्य आर्थिक मामलों में केंद्र पर मोहताज हो गए हैं। विपक्षी पार्टियों द्वारा शासित राज्य के नेता और नौकरशाह  केंद्रीय एजेंसियों के हमेशा रडार पर रहते हैं। केंद्रीय एजेंसियां हर समय उन्हें धर-दबोचने के लिए तत्पर रहती हैं। उदाहरण स्वरूप हाल के पश्चिम बंगाल के घटनाक्रम को ले सकते हैं।

सामाजिक क्षेत्र में उपलब्धियां-

अपर कास्ट की आक्रामकता-

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत  व्यवहारिक स्तर पर हिंदू राज्य में तब्दील हो गया है, जिसका अर्थ होता है, वर्ण-जाति श्रेणी क्रम और महिलाओं पर पुरुषों के वर्चस्व को स्वीकृति। आज़ादी के बाद वर्ण-जाति व्यवस्था की सबसे मुखर पैरोकार अपर कास्ट की जातियां धीरे-धीरे यह स्वीकार कर रही थीं कि उन्हें पिछड़ों ( शूद्रों) दलितों ( अतिशूद्रों) की बराबरी की आकांक्षा को स्वीकार करना ही पड़ेगा और धीरे-धीरे ही सही सामाजिक संबंधों के निर्वाह में वर्चस्व की स्थिति को छोड़कर धीरे-धीरे पीछे हटना होगा। पिछड़े-दलितों की मजबूत दावेदारी ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई थी, लेकिन नरेंद्र मोदी के पिछले सात वर्षों के कार्य-काल में अपर कास्ट आक्रामक हुआ है और वह नए सिरे से एक हद तक अपना खोया हुआ साम्राज्य वापस लेना चाह रहा है, जिसका निहितार्थ है, हिंदू धर्मग्रंथों ( मनुस्मृति) आधारित वर्ण-जाति व्यवस्था के श्रेणीक्रम को बनाए रखना और दलितों-पिछड़ों को मिले अधिकारों ( विशेषकर आरक्षण) को उनसे येन-केन तरीके से छीन लेना।

मर्दों की आक्रामकता- 

आजादी के बाद धीरे-धीरे ही सही महिलाएं पुरुषों के वर्चस्व को चुनौती देकर, समानता हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही थीं और एक हिस्से ने यह समानता हासिल भी किया। हिंदू राष्ट्र महिलाओं पर पुरुषों के वर्चस्व को जायज ठहराता है। मोदी के पिछले सात सालों में लव जेहाद आदि रोकने के नाम पर महिलाओं की स्वतंत्रता और समता की चाह को सीमित करने की तमाम कोशिशें हुई हैं और मर्द महिलाओं पर अपने वर्चस्व के संदर्भ में आक्रामक हुए हैं। सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के विरोध में भाजपा का स्टैंड, जैसे तमाम उदाहरण भी इस संदर्भ में प्रासंगिक हैं। हिंदू राष्ट्र की आदर्श महिला राम की अनुगामिनी सीता हैं।

धार्मिक उपलब्धि-

पिछले सात वर्षों के शासन काल में नरेंद्र मोदी ने धार्मिक सौहार्द और सहिष्णुता के सारे ताने-बाने को तोड़ दिया है। मुसलमानों को आतंकी एवं राष्ट्रद्रोही और ईसाईयों को धर्मान्तरण कर्ता घोषित किया, तो सिखों को खालिस्तानी। हिंदुओं के बीच मुसलमानों के प्रति इस कदर नफरत भर दी गई है कि फिलिस्तीन में एक बच्चा-बूढ़ा या जवान ( मुसलमान) मारा जाता है, तो भारत के हिंदुओं का एक हिस्सा खुशी से झूम उठता है और आराम से सोशल मीडिया पर अपनी खुशी को जाहिर करता है। धर्म के आधार पर लिंचिंग, दंगे और नरसंहारों की की चर्चा तो बहुत हो चुकी है।

वैदेशिक उपलब्धि-

विदेशी मामलों में भारत अपनी रही-सही हैसियत भी खो चुका है, ले-देकर उसके पास चीन विरोध के नाम पर अमेरिका और उसके सहयोगियों का पिट्ठू बनने का विकल्प बचा है। पड़ोसी देशों में कोई पक्का साथी नहीं रह गया है, हर जगह चीन की मजबूत उपस्थिति हो चुकी है और करीब सभी पड़ोसी विभिन्न कारणों से भारत से खफा हैं। चीनी सीमा पर क्या हुआ और हो रहा है, जगजाहिर है। रही-सही कसर कोरोना की दूसरी लहर में भारत सरकार की असफलता ने पूरी कर दी। चारों-तरफ थू-थू हो रही है। भारत का कोरोना संकट दुनिया के लिए खतरा बन रहा है।

पिछले सात सालों में मोदी ने देश को करीब हर मोर्चे पर गर्त में धकेल दिया है, तथ्य इसके प्रमाणित करते हैं। अभी मोदी कितने गर्त में देश को ले जाएंगे, यह सोचकर कंपकपी आ जाती है। इस देश का खुदा ही मालिक है, जब तक आरएसएस-भाजपा और मोदी शासन में हैं।

(डॉ. सिद्धार्थ जनचौक सलाहकार संपादक हैं।)

please wait...

You May Also Like

More From Author

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments