नई दिल्ली। अमेरिका के दौरे पर गए संसद में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अमेरिका में श्रम- समानता के सिद्धांत के विस्तार के तौर पर देखा जाता है- के सम्मान की प्रशंसा की। इसके साथ ही उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अगर देश स्किल का सम्मान करना शुरू कर दे तो एक दिन अपनी ताकत को बेहद मजबूत कर लेगा और चीन का मुकाबला करने के लिए तैयार हो जाएगा।
टेक्सास विश्वविद्यालय में छात्रों से हुई बातचीत के पहले सत्र में स्किल का सम्मान केंद्रीय प्रश्न था। पहला सत्र इंटरव्यू के तौर पर रखा गया था। टेक्सास और डेलास में भारतीय डायसपोरा को संबोधित करते हुए उन्होंने आरएसएस-बीजेपी को भी निशाने पर रखा। और खासकर इस दौरान बातचीत में उन्होंने लोकसभा चुनावों के नतीजों और उस दौर के पूरे संघर्ष को सामने लाने की कोशिश की। उनके मुताबिक पिछले एक दशक से भारत की राजनीति में जो भय था वह अब खत्म हो गया है।
उन्होंने कहा कि आरएसएस मानता है कि भारत का केवल एक विचार है। और हम मानते हैं कि भारत कई विचारों का समूह है। हम मानते हैं कि हर शख्स को भागीदारी की इजाजत मिलनी चाहिए….स्वप्न और….बगैर जाति, भाषा, धर्म, परंपरा, इतिहास का ख्याल किए सबको स्पेस मिलना चाहिए। यही लड़ाई है। और इस लड़ाई और ज्यादा संगठित रूप तब ले लिया जब भारत के लाखों लोग समझ गए कि भारतीय प्रधानमंत्री भारत के संविधान पर हमला कर रहे हैं।
विश्वविद्यालय आने से पहले डलास में कुछ भारतीय ट्रक ड्राइवरों से अपनी मुलाकात का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि जब हमने उनसे पूछा कि अमेरिका में उनको क्या चीज सबसे ज्यादा अच्छी लगती है तो उन्होंने कहा कि समानता का विचार, वह यह कि एक ट्रक ड्राइवर भी यहां सम्माननीय है। एक ट्रक ड्राइवर के रूप में भारत में हम किसी भी तरीके से सम्मान नहीं हासिल कर सकते हैं। कांग्रेस सांसद ने कहा कि समानता बहुत शक्तिशाली विचार है। एक विचार जो भारत की मदद कर सकता है। आप लोग समानता और साफ-सुथरेपन को वापस लाइये। आप लोग एक पुल हैं।
कौशल मुद्दे पर फिर से लौटते हुए उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोग कहते हैं कि भारत में स्किल की समस्या है। मैं नहीं मानता कि भारत में स्किल की समस्या है। मैं मानता हूं कि भारत में स्किल को सम्मान देने की समस्या है। भारत उन लोगों को सम्मान नहीं देता है जिनके पास स्किल है। लेकिन मैं यह नहीं मानता कि भारत में किसी तरह के स्किल की कमी है।
उन्होंने इस मौके पर मैनुफैक्चरिंग पर भी बात की और कैसे भारत, अमेरिका और यूरोप के सामने बेरोजगारी की समस्या है क्योंकि उन्होंने उत्पादन से उपभोग पर शिफ्ट कर दिया।
इस सवाल पर कि 20 साल बाद संसद में घुसने के बाद वह राजनीति को कैसे देख रहे हैं, उन्होंने कहा कि अब मैं इस नतीजे पर पहुंच रहा हूं कि बोलने से ज्यादा सुनना महत्वपूर्ण है। सुनना केवल सुनने के लिए नहीं बल्कि सुनते समय खुद को सामने वाले की परिस्थिति में रखकर चीजों को समझना एक और गहरी बात है।
अपनी भारत जोड़ो यात्रा पर राहुल गांधी ने कहा कि यह उस समय की परिस्थितियों के जवाब के तौर पर सामने आया जब विपक्ष उनका सामना कर रहा था। उस समय उसके सामने संचार के सारे रास्ते बंद हो गए थे। राहुल ने कहा कि यात्रा का अनियोजित नतीजा राजनीति में ‘प्यार के विचार’ का प्रवेश था।
इसके साथ ही उन्होंने इस मौके पर भारत में एकाधिकार की स्थितियों पर भी प्रकाश डाला। जिसमें आरएसएस द्वारा संस्थाओं पर कब्जा किया जाना तथा महिलाओं के सवाल पर संघ के साथ वैचारिक मतभेद प्रमुख मुद्दे थे। उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरएसएस मानते हैं कि महिलाओं को एक खास भूमिका तक ही सीमित कर देना चाहिए। उन्हें घर में रुकना चाहिए, खाना बनाना चाहिए और उन्हें बहुत ज्यादा नहीं बोलना चाहिए, और हम मानते हैं कि महिलाओं को वह सब कुछ हासिल करना चाहिए जिसकी वो इच्छा रखती हैं।